भिखारी ठाकुर से होती है बिहार में आधुनिक रंगमंच की शुरुआत
भिखारी ठाकुर का बिदेशिया नाटक बिहार के रंगमंच की शुरुआत है।
पटना। भिखारी ठाकुर का बिदेशिया नाटक बिहार के रंगमंच की शुरुआत है। उसी प्रकार जैसे भारतेंदु हरिशचंद्र को हिदी रंगमंच की शुरुआत माना जाता है। भिखारी ठाकुर के सारे नाटक महिलाओं को केंद्र में रखकर मंचित हुए, जो अपने में महत्वपूर्ण योगदान है। उक्त बातें वरीय अभिनेता और हिदी के प्राध्यापक डाक्टर जावेद अख्तर खा ने कहीं। मौका था 'नेमी स्मरण' के तहत बिहार इप्टा द्वारा नेमिचंद्र जैन की जन्मशती के मौके पर एएन सिन्हा सामाजिक शोध संस्थान सभागार में आयोजित 'रंगमंच की दृष्टि और दशा दिशा' पर संगोष्ठी का।
दूसरे सत्र में देश में सास्कृतिक राष्ट्रवाद के बढ़ते प्रदूषण की ओर ध्यान खींचते हुए डाक्टर जावेद ने कहा कि हिंदी रंगमंच दिल्ली - केंद्रित होता जा रहा है और हमारे रंगमंच के कर्ताधर्ता भी दिल्ली में केंद्रित हिंदी रंगमंच को ही राष्ट्रीय रंगमंच बनाने के काम में जुटे हैं। नेमिचंद्र जैन को दिल्ली केंद्रीय हिदी रंगमच को ही एक राष्ट्रीय रंगमंच के रूप में स्थापित करने की मुहिम चल पड़ेगी, इसका अंदेशा हो गया था।
युवा रंग समीक्षक और नाट्य प्राध्यापक अमितेश कुमार, दरभंगा विश्वविद्यालय के प्राध्यापक संतोष राणा ने भी अपनी बात रखी। सत्र की अध्यक्षता पटना विश्वविद्यालय के प्राध्यापक व वरीय आलोचक प्रो. तरुण कुमार ने की। पहले सत्र में नेमिचंद्र जैन की नाट्य दृष्टि पर विमर्श किया गया। प्रख्यात नाटक अविनाश चंद्र मिश्र ने कहा कि नेमिचंद्र जैन निश्चय ही भारतीय रंगकर्म, विशेषकर हिन्दी रंगमंच की चिंता को लेकर आधी शताब्दी से अधिक समय तक विभिन्न रूपों में और मोर्चो पर सक्त्रिय रहने वाले गिने-चुने व्यक्तियों में हैं। संगोष्ठी को सत्यदेव त्रिपाठी और ज्योतिष जोशी ने भी संबोधित किया। सत्र की अध्यक्षता आलोचक भारत रत्न भार्गव ने की। दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में कीर्ति जैन, रश्मि वाजपेयी, तनवीर अख्तर, फिरोज अशरफ खा, हृषीकेश सुलभ, विभा रानी, दीवान सिंह बजेली, योगेश, पुंज प्रकाश, मोना झा, विनोद, रविकात, उदय आदि ने विचार रखे। चित्र प्रदर्शनी का भी किया गया आयोजन
इस मौके पर नेमिचंद्र जैन के जीवनवृत्त को समर्पित चित्र प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया। प्रदर्शनी में 16 स्टैंडी के माध्यम से नेमिचंद्र जैन को कविता में अग्रदूत, आलोचना में उत्तरदाई नवाचार और रंगमंच में गंभीर चिंतक के रूप में प्रस्तुत किया गया।