भगत सिंह की पोती ने कहा, स्वार्थ छोड़ दें नेता तो देश बन जाएगा महान
शहीद भगत सिंह की पोती अनुष प्रिया ने पटना में बातचीत के दौरान कहा कि दादा (शहीद भगत सिंह) के सपनों का भारत अधूरा रह गया। आज के राजनेता देश के लिए जान देने की बात तो दूर, स्वार्थ छोड़ दे तो भारत महान बन जाए।
पटना [अनिल कुमार]। लोग सरदार भगत सिंह को आजादी के दीवाने के रूप में जानते हैं। उन्होंने जिंदगी देश को समर्पित कर दी। सरदार भगत सिंह का नाम अमर शहीदों के रुप में प्रमुख रुप से लिया जाता है।
विश्व में सिखों के दूसरे बड़े तख्त हरिमंदिर साहिब में शनिवार को गुरुघर का आशीष लेने भगत सिंह के परिवार की पोती अनुष प्रिया, पति प्रभदीप सिंह, सास हरजीत कौर व पुत्र प्रभंज के साथ पहुंची।
पोती अनुष प्रिया ने बातचीत के दौरान कहा कि दादा (शहीद भगत सिंह) के सपनों का भारत अधूरा रह गया। आज के राजनेता देश के लिए जान देने की बात तो दूर, स्वार्थ छोड़ दे तो भारत महान बन जाए।
आजादी के बाद नहीं बदली सोच
आजादी के 68 वर्ष बीत जाने के बाद भी यहां के लोगों की सोच नहीं बदली है। दादा की प्रतिमा पर फूल-माला चढ़ाने से अच्छा है कि दादा के विचारों को लोग अमल करें। पोती ने इस बात दुख जताया कि महात्मा गांघी की प्रतिमा सरकारी एजेंसियां लगाती हैं, जबकि शहीद भगत सिंह की प्रतिमा निजी लोग चौक-चौराहों पर लगाते हैं।
आखिर दोरंगी नीति क्यों है? कई बार मांग उठने के बाद पांच व दस के सिक्कों पर शहीद भगत सिंह का चित्र शताब्दी वर्ष में देने की बात कही गई, लेकिन सरकार ने रिलीज नहीं किया।
परिजनों का राजनीति से किनारा
पोती अनुष प्रिया ने बताया कि मेरे दादा सरदार कुलवीर सिंह (शहीद भगत सिंह के छोटे भाई) दो बार जनसंघ पार्टी से विधायक रह चुके हैं। बाद में देशप्रेम की भावना में कमी, राजनीति की गिरती स्थिति और दांव-पेंच देख परिवार के लोगों ने राजनीति से किनारा कर लिया। अनुष के बिल्डर पति प्रभदीप ने बताया कि वर्तमान राजनीति से अच्छा है व्यवसाय कर सकून भरी जिंदगी जीना।
दादा का सपना अधूरा है
पोती का मानना है कि देश की आजादी के लिए कुर्बानी देने वाले शहीद भगत सिंह का सपना अधूरा है। क्रांतिकारी शहीद भगत सिंह में बदलाव लाने की भावना थी। स्वार्थ से परे रहकर वे हमेशा अन्याय का प्रतिकार करना सिखाते थे।
आजाद भारत में आदमी द्वारा आदमी का शोषण बंद करने सपना देखा था दादा ने। वर्तमान नेताओं को दादा के सिद्धांत नहीं ठीक लगते। पोती अनुष प्रिया का मानना है कि उस समय गोरों का शासन था आजादी के कुछ वर्षो बाद देश में कालों का शासन हो गया है।
चिठ्ठी को याद कर आंखों में आंसू
शहीद भगत सिंह द्वारा जेल से लिखी छोटे भाई कुलवीर सिंह को चिठ्ठी का उल्लेख करते ही पोती के आंखें नम हो गई। चिठ्ठी में भगत सिंह ने लिखा था कि-मेरे प्यारे भाई! जिंदगी बड़ी सख्त है और दुनिया बेरहम। सिर्फ हिम्मत और प्यार से ही गुजारा हो सकेगा। दादा ने हमेशा सभी को हौसला दिया।
पांच दशक बाद आया परिवार
पोती की मानें तो साठ के दशक में बटुकेश्वर दत्त की बिटिया की शादी में दादा (शहीद भगत सिंह) की मां विद्यावती, बहन बीबी अमर सिंह, भांजा जगमोहन आए थे। उस समय उन्होंने तख्त श्री हरिमंदिर जी पटना साहिब में मत्था टेका था। शनिवार को भगत सिंह के परिजनों को तख्त श्री हरिमंदिर में सिरोपा देकर सम्मानित किया गया।