बेहतर परवरिश से ख्वाहिशें होंगी पूरी
दैनिक जागरण संस्कारशाला की प्रार्थना सभा का आयोजन मंगलवार को बीडी पब्लिक स्कूल में किया गया।
दैनिक जागरण संस्कारशाला की प्रार्थना सभा का आयोजन मंगलवार को बीडी पब्लिक स्कूल में किया गया। जहां बच्चों को डॉ. प्रियेंदु सुमन ने ख्वाहिशें पूरी परवरिश अधूरी विषय पर कहानी सुनाई। डॉ. प्रियेंदु ने बच्चों को समाज में सकारात्मक विचार से कैसे बदलाव लाया जा सकता है इसकी तरकीब बताई। बीडी पब्लिक स्कूल की प्राचार्या माधवी कुमारी और मीरा कुमारी ने भी दैनिक जागरण की पहल की सराहना करते हुए कहा कि बच्चों को छोटी उम्र से ही समाज में हो रहे बदलाव के बारे में जानकारी देनी चाहिए। बच्चे सिर्फ मोबाइल और सोशल मीडिया पर लगे रहते हैं इस क्रम में कहानी के माध्यम से उनसे जुड़ना और उन्हें जागरूक करना ये अलग सोच है। मौके पर स्कूल के शिक्षक और छात्र मौजूद रहे।
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कम उम्र से दें समाजसेवा का सीख
संस्कारशाला की प्रार्थना सभा के क्रम में मंगलवार को दैनिक जागरण की टीम वीना विद्या निकेतन पहुंची। जहां बच्चों को स्कूल की श्वेता ने ख्वाहिशें पूरी परवरिश अधूरी पर कहानी सुनाई। कहानी में श्वेता ने बच्चों को बताया कि कैसे अपनी ख्वाहिशों को पूरा किया जा सकता है। साथ ही बताया कि जीवन में सफलता के लिए माता-पिता की सेवा करना बहुत जरूरी है। कहा कि हमारे अभिभावक धरती के भगवान हैं। उनका सम्मान करना बहुत जरूरी है। स्कूल के प्राचार्य एसएल दास ने भी दैनिक जागरण की इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि बच्चों को छोटी उम्र से ही समाज और परिवार के बारे में जानना जरूरी है। अभी से उनकों ये पता होना चाहिए कि उनके पालन-पोषण में माता पिता को कितनी परेशानी होती है। कहा कि बच्चों को माता-पिता की इच्छा का हमेशा सम्मान करना चाहिए। कहा कि जागरण की इस पहल से बच्चे अपने संस्कारों से अवगत हो सकेंगे। मेधा, रश्मि यादव, रोहित राज, जिंतेद्र कुमार के साथ स्कूल के शिक्षक मौजूद थे।
आर्टिकल
बिना भेदभाव के मिले अधिकार
आदर्श देश बनाने के लिए हमें अपनी सोच को आदर्श बनाना होगा। हमें सबको साथ लेकर चलना होगा। कमजोरों को सहारा और सभी को सम्मान व प्यार देकर आगे बढ़ाना होगा। इसकी शुरुआत हम अपने विद्यालय से ही कर सकते हैं। हमको अपने बच्चों को सिखाना होगा कि हर बच्चा हमारे लिए महत्वपूर्ण है। हर एक बच्चा बिना किसी भेदभाव के एक समान सुविधा प्यार व सम्मान का भागीदार है। हमें बच्चों को सिखाना होगा कि मानवता ही सर्वोच्च धर्म है। आज अगर दिल में हम की भावना हो तो समाज को बल मिलता है। भारत वर्गो, जातियों और धर्म में बांटकर अस्थिरता की ओर बढ़ रहा है। इस तरह की सोच को खत्म करना होगा। सभी के हित के बारे में सोचना होगा।
डॉ. वीएस ओझा, प्राचार्य डीएवी बीएसएबी स्कूल
पिता का अनुशासन दिलाएगा कमायाबी
मनुष्य के जीवन में अनेक उतार चढ़ाव आते हैं। हर व्यक्ति अपने जीवन में अनेक प्रकार के उत्तरदायित्वों का निर्वाह करता है पर बच्चों के लिए माता-पिता के द्वारा किए गए कार्यो एहसान कभी नहीं चुकाया जा सकता। मां की ममता और स्नेह तथा पिता का अनुशासन किसी भी मनुष्य के व्यक्तित्व निर्माण में सबसे प्रमुख भूमिका निभाता है। जिसका अनुमान स्वयं माता-पिता बनने के उपरान्त ही लगाया जा सकता है। माता-पिता हमारी अनेक गलतियों को भुलाते हुए हमेशा हमें माफ कर देते हैं। हमारा अस्तित्व केवल माता-पिता के कारण ही होता है। साथ ही माता-पिता को भी ये नहीं भूलना चाहिए कि बचपन बहुत कोमल होता है। बचपन को उचित मार्ग दर्शन की जरूरत है जो माता-पिता ही दे सकते हैं।
- एसएल दास, प्राचार्य वीना विद्या निकेतन