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आवारा कुत्ताें व सियारों का सेफ जोन बना बिहार का बेगूसराय, दो को जिंदा नोंच डाला, सालाना 12 हजार को बनाते शिकार

बिहार के बेगूसराय में आवारा कुत्ताें व सियारों का आंतंक है। हालत यह है कि दो सालों के भीतर वहां दो वृद्धों को ये जानवार जिंदा नोंच चुके हैं। वे सालाना 12 हजार लोगो को वहां अपना शिकार बनाते हैं।

By Amit AlokEdited By: Published: Wed, 24 Mar 2021 05:12 PM (IST)Updated: Wed, 24 Mar 2021 05:12 PM (IST)
बेगूसराय में आवारा कुत्‍तों व सियारों का आतंक। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर।

बेगूसराय, जागरण संवाददाता। बिहार के बेगूसराय जिला को यहां के आमजन डॉग, मंकी एवं जैकल बाइट जोन मानते हैं। इस जिला में प्रतिवर्ष 12 हजार से अधिक लोगों को कुत्ते, बंदर एवं सियार काटकर जख्मी कर देते हैं। परिणामस्वरूप उनके इलाज के लिए लगने वाली एंठी रेबीज वैक्‍सीन की खरीदारी पर लगभग प्रतिवर्ष 60 लाख रुपये खर्च करने पड़ते हैं। यह आंकड़ा केवल सरकारी अस्पतालों का है। वहीं काफी संख्या में ऐसे मरीज निजी क्लिनिकों में भी वैक्सीन लेने जाते हैंं। वैसे, बीते वर्ष लंबे समय तक लॉकडाउन रहने के कारण जानवरों ने कम लोगों को शिकार बनाया था।

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तटीय इलाका होने के कारण जानवरों की है अधिक संख्या

बेगूसराय जिला में कुल 18 प्रखंड हैं। उनमें से छह साहेबपुरकमाल, बलिया, मटिहानी, बरौनी, तेघड़ा, बछवाड़ा, शाम्हो गंगा के किनारे हैं। जबकि, साहेबपुरकमाल, बलिया, डंडारी नावकोठी, चरियाबरियारपुर, खोदावंदपुर, वीरपुर के इलाके गंडक के किनारे हैं। वहीं वीरपुर, तेघड़ा, भगवानपुर, मंसूरचक बलान व बैंती नदी के किनारे एवं छौड़ाही, गढपुरा, बखरी चन्द्रभागा नदी व बागमती नदी के पड़ोस के इलाके हैं। इसलिए इन नदियों का तटीय क्षेत्र कुत्ताें व सियारों का सेफ जोन होता है। वहां कृषि कार्य में लगे लोगों एवं राहगीरों को वे शिकार बनाते हैं। वहीं मंझौल के ऐतिहासिक स्थल जयमंगला गढ़ एव कावर झील के आसपास प्रखंडों में हजारों की संख्या में बंदर है, जो बराबर ही आसपास के गांव में जाकर प्रतिवर्ष हजारों लोगों को अपना शिकार बनाते है।

जिला को वर्ष 2020 में मिला था 33280 वायल एआरवी

सिविल सर्जन डॉ. विनय कुमार झा ने बताया कि वर्ष 2020 से अबतक में जिला को राज्य स्वास्थ्य समिति से 33280 वायल एआरवी प्राप्त हुए हैं। इनमें से वर्तमान में कुल चार हजार वायल स्टॉक में है। शेष खर्च हो चुके हैं। एक पीडि़त को तीन वायल एवं कुछ को पांच वायल का डोज दिया जाता है। इससे स्पष्ट है कि लगभग जिला में अब तक 11 हजार से अधिक लोग कुत्ताें,बंदरों व सियारों के शिकार हो चुके हैं। औसत दो सौ रुपये प्रति वायल की दर से लगभग 60 लाख से अधिक की राशि खर्च हुई है।

दो वर्षों में दो वृद्धाें को कुत्तों के झुंड ने नोंचकर मार डाला

दो वर्ष पूर्व वीरपुर थाना क्षेत्र के सहुरी गांव में बहियार में पत्ता चुनने गई 65 वर्षीय महिला को कुत्तों के झुंड ने नोंचकर मार डाला था। वहीं इसी माह बछवाड़ा थाना क्षेत्र में एक 80 वर्षीय महिला जब बागीचा में जलावन चुनने गई थी तो आवारों कुत्तों के झुंड ने हमला बोलकर मार दिया था। 


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