गर्मी में मलेरिया से रहें सावधान, समय से कराएं इलाज बच सकती जान
गर्मी में मच्छरों का प्रकोप बढ़ जाता है। इनमें शामिल मादा एनोफिलीज मच्छर के काटने से मलेरिया होता है। थोड़ी सावधानी रखें तो इससे बचाव संभव है। इस बीमारी का इलाज भी है। जानिए।
पटना [जेएनएन]। मलेरिया मच्छर जनित बीमारी है। इसका प्रभाव दुनियाभर में है। मलेरिया से विश्व में प्रतिवर्ष 50 करोड़ से ज्यादा लोग प्रभावित होते हैं। इसमें से लगभग 20 लाख लोगों की मौत हो जाती है। हालांकि, जरा सी सावधानी बरतें तो इससे बचाव संभव है। अगर मलेरिया हो भी जाए तो घबराएं नहीं, इसका इलाज संभव है।
भारत में मलेरिया कई राज्यों में गंभीर बीमारी है। अभी ओडि़शा में इसका कहर देखा जा रहा है। बिहार के भी कई जिले मलेरिया के चपेट में हैं। यह बीमारी मादा एनोफिलीज मच्छर के काटने से फैलता है। यह गरीबों के लिए अभिशाप साबित रहा है। गरीब व्यक्ति मच्छरों के चपेट में जल्द आ जाते हैं। साथ ही उनके इलाज की व्यवस्था भी समुचित नहीं होती, जिससे उनकी मौत हो जाती है।
मलेरिया के लक्षण
तेज बुखार आना
सर्दी-जुकाम होना
चक्कर आना
सांस फूलना
ऐसे होता है मलेरिया
मादा एनोफिलीज मच्छर जब किसी व्यक्ति को काटता है तो उसके परजीवी शरीर के लाल रक्त कोशिकाओं में प्रवेश कर जाते हैं। वहां पर उनकी संख्या तेजी से बढऩे लगती है, जिससे प्रभावित व्यक्ति के शरीर में तेजी से खून की कमी होने लगती है। इसके अलावा पीडि़त व्यक्ति का बुखार काफी बढ़ जाता है। अगर बीमारी जल्द पकड़ में नहीं आए तो मरीज के लिए जानलेवा साबित होती है। मादा एनोफिलीज मच्छर प्राय: 10 फीट तक की ऊंचाई तक उड़ पाते हैं। इसलिए मच्छर मारने वाली दवाओं का छिड़काव घरों में 10 फीट तक करना चाहिए। बाहरी वातावरण में मच्छर पैदा होने वाले स्थानों पर इसका छिड़काव समय-समय पर जरूर करते रहना चाहिए। मच्छरों पर नियंत्रण से इस बीमारी से बचा जा सकता है।
हर स्वास्थ्य केंद्र पर जांच की सुविधा
पटना के सिविल सर्जन डॉ. प्रमोद कुमार झा का कहना है कि जिले के हर प्राथमिक चिकित्सा केंद्र पर मलेरिया के मरीजों की जांच की व्यवस्था की गई है। इसके अलावा स्वास्थ्य केंद्रों पर इलाज की भी सुविधा मौजूद है। स्वास्थ्य केंद्रों पर पर्याप्त मात्रा में दवाएं मौजूद हैं।
मच्छरदानी का उपयोग सबसे बेहतर
सिविल सर्जन का कहना है कि मच्छरदानी का उपयोग मलेरिया से बचने का सबसे बेहतर उपाय है। इसके अलावा मच्छर भगाने वाली दवाओं का उपयोग भी लाभकारी होता है। साथ ही जल जमाव वाले इलाके में कीटनाशी का छिड़काव होने से मच्छरों पर नियंत्रण स्थापित करने में मदद मिलती है। अगर एक बार मलेरिया की बीमारी हो गई तो उसके लिए लंबे समय तक दवाओं का सेवन करना पड़ता है। मलेरिया संक्रमित मरीजों के इलाज में नई दवाएं ज्यादा कारगर साबित हो रही हैं।