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Ayurvedic Medicine: अंग्रेजी के नाम बेची जा रहीं आयुर्वेदिक दवाएं, अब गोरखधंधे पर कसेगा शिकंजा

आयुर्वेदिक होमियोपैथी व यूनानी दवाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए प्रदेश में 2020 से अलग आयुष औषधि विभाग सृजित किया गया है। हालांकि पहले आयुष औषधि नियंत्रक की सेवानिवृत्ति के बाद दो वर्ष से यह पद रिक्त है और कार्यरत दो औषधि निरीक्षक निर्देश के अभाव में जांच नहीं करते। इसके अलावा प्रदेश में आयुष दवाओं की जांच के लिए मान्यता प्राप्त सरकारी प्रयोगशाला भी नहीं है।

By Pawan Mishra Edited By: Rajat Mourya Published: Thu, 04 Apr 2024 03:09 PM (IST)Updated: Thu, 04 Apr 2024 03:09 PM (IST)
अंग्रेजी के नाम बेची जा रहीं आयुर्वेदिक दवाएं, अब गोरखधंधे पर कसेगा शिकंजा (फाइल फोटो)

जागरण संवाददाता, पटना। आयुर्वेदिक नामों से दवा के नाम पर कुछ भी बेचने वालों पर अब औषधि विभाग शिकंजा कसने जा रहा है। पटना के सहायक औषधि नियंत्रक डॉ. सच्चिदानंद विक्रांत ने बुधवार को कहा कि इस संबंध में सभी औषधि निरीक्षकों को संदिग्ध उत्पादों की सूची बनाने का निर्देश दिया गया है।

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गुरुवार को कार्यालय से आधिकारिक आदेश भी जारी कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि जैसा उत्तर प्रदेश में आयुर्वेदिक दवाओं की जांच में स्टेरायड, दर्द निवारक, यौनवर्धक आदि अंग्रेजी दवाओं की पुष्टि हुई है, तो हम इसे अंग्रेजी दवाओं में आयुर्वेद की मिलावट का मामला मानकर जांच करेंगे।

बताते चलें कि आयुर्वेदिक, होमियोपैथी व यूनानी दवाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए प्रदेश में 2020 से अलग आयुष औषधि विभाग सृजित किया गया है। हालांकि, पहले आयुष औषधि नियंत्रक की सेवानिवृत्ति के बाद दो वर्ष से यह पद रिक्त है और कार्यरत दो औषधि निरीक्षक निर्देश के अभाव में जांच नहीं करते।

इसके अलावा प्रदेश में आयुष दवाओं की जांच के लिए मान्यता प्राप्त सरकारी प्रयोगशाला भी नहीं है। सहायक औषधि नियंत्रक ने बुधवार को दैनिक जागरण में आयुर्वेदिक दवा के नाम पर कुछ भी बेचने की छूट शीर्षक से प्रकाशित खबर के बाद यह निर्णय लिया है।

2019 के बाद आयुर्वेदिक दवाओं की नहीं हुई जांच

प्रदेश में आयुर्वेदिक कम 'मैजिक' दवाओं के नाम पर कुछ भी बेचने का धंधा काफी पुराना है। फरवरी 2013 से लेकर मई 2015 तक आपरेशन सम्राट दवाखाना चलाया गया था। इसमें गया, नालंदा, पटना, आरा जिलों में आयुर्वेदिक दवाएं बनाने वाली कंपनियों की जांच की गई थी। इसके बाद ऑपरेशन ऑब्जेक्शनल एडवर्टिजमेंट ऑफ ड्रग्स ओबैड चलाकर गया के तथाकथित राजवैद्य के यहां तो दस दिन तक कार्रवाई चली थी। वह पूरे देश में आनलाइन शर्तिया उपचार करता था।

बाद में उस पर 14 करोड़ का जुर्माना हुआ था। जो देश में अबतक का सबसे बड़ा जुर्माना है। हालांकि, अबतक सिर्फ 10 लाख जुर्माने की ही वसूली हो सकी है। 2016 में ही ऑपरेशन राज चला, जिसमें उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, गुजरात, दिल्ली के 155 लोगों को आरोपित किया गया था। यह अभियान एक वर्ष तक चला था। इसके बाद इस क्रम की अंतिम कार्रवाई 23 अगस्त 2019 को पटना बाईपास में हुई थी जहां बिना लाइसेंस एलोपैथिक दवाओं के मिश्रण से यौनवर्धक कैप्सूल व दर्द निवारक दवाएं बनाई जा रही थीं।

मैजिक दवाओं का बड़ा बाजार है प्रदेश

भ्रामक विज्ञापनों के सहारे आयुर्वेदिक-यूनानी दवा के नाम पर कुछ भी बेचने वाली कंपनियों के लाइसेंस रद करने के आयुष मंत्रालय ने आदेश दिए हैं। बावजूद इसके प्रदेश में काले से गोरा करने, वजन कम या बढ़ाने, कद बढ़ाने, संतानोत्पत्ति, यौनवर्धक दवाओं के अलावा जादुई अर्क, काढ़े, आसव, च्यवनप्राश, चूर्ण व जूस का प्रदेश में बड़ा बाजार है।

यही नहीं थोक दवा मंडी में सिरदर्द दूर करने वाला बाम, गैस, नींद, दर्दनिवारक नकली दवाएं बेची जा रही हैं। ये प्रतिष्ठित कंपनियों के रैपर पर बेची जाती हैं। 2019 में पटना में जिस आयुर्वेदिक कंपनी में छापेमारी की गई थी, वहां तमाम प्रतिष्ठित कंपनियों के रैपर मिले थे।

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