बेंगलुरु में बताया ऑपरेशन से जान को खतरा, IGIMS में हुआ सफल इलाज
पटना में एक एेसे मरीज का ऑपरेशन किया गया है जिसका बेंगलुरु में इलाज किए जाने से मना कर दिया गया था।
पटना, जेएनएन। पटना के डाक्टरों ने एक मरीज की जान बचाकर मिसाल पेश की है। इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (आइजीआइएमएस) में बुधवार को भागलपुर की एक युवती का जन्मजात बीमारी का जटिल ऑपरेशन किया गया। मरीज भागलपुर के तारापुर की रहने वाली है। चिकित्सा अधीक्षक सह जीआइ सर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ. मनीष मंडल ने बताया कि मरीज के पेट में साल भर पहले दर्द हुआ था। अप्रैल 2018 में मरीज के अल्ट्रासाउंड से पता चला कि उसे जन्मजात बीमारी कोलेडोकल सिस्ट है। इसके बाद भागलपुर के चिकित्सक ने बेंगलुरु रेफर कर दिया। जहां मरीज के परिजनों ने बेंगलुरु मेडिकल कॉलेज एवं रिसर्च इंस्टीट्यूट में दिखाया। वहां के चिकित्सकों ने बताया कि जन्मजात बीमारी का ऑपरेशन खतरनाक है। मरीज की जान जाने का भी खतरा है।
इसके बाद मरीज व परिजन भागलपुर लौट आए, जहां भागलपुर के एक चिकित्सक ने आइजीआइएमएस रेफर कर दिया। नवंबर 2018 में जीआइ सर्जरी के डॉ. राकेश कुमार सिंह के ओपीडी में दिखाया। ऑपरेशन टीम में डॉ. राकेश कुमार सिंह, डॉ. रण विजय, डॉ. सुजीत कुमार, डॉ. कुणाल सिंह, डॉ. नेहा सिंह ने सफलता पूर्वक किया।
50 हजार में ऑपरेशन, सात दिन में मरीज स्वस्थ
डॉ. मनीष मंडल ने बताया कि इलाज में लगभग 50 हजार रुपये खर्च हुए, जबकि निजी क्लीनिक में ऐसे ऑपरेशन में दो लाख से ढाई लाख रुपये खर्च होते है। डॉ. राकेश कुमार सिंह ने बताया कि 23 जनवरी को मरीज को भर्ती किया गया। इसके बाद 24 जनवरी को लेप्रोस्कोपिक विधि से जन्मजात बीमारी कोलेडोकल सिस्ट का ऑपरेशन किया गया। इस बीमारी में जन्मजात पित की थैली की नली की गड़बड़ी को दूरबीन द्वारा ऑपरेशन कर काटकर निकाला गया। फिर छोटी आंत को मशीन द्वारा लिवर से जोड़ दिया गया। मरीज के पेट में एक सेंटीमीटर का पांच छेद करके ऑपरेशन किया गया। मरीज ऑपरेशन के बाद ठीक होकर बुधवार को घर भेजा गया।