विधान सभा चुनाव : नहीं दिखते अपने दामन के दाग
आपराधिक छवि के राजनेताओं को लेकर सभी दलों के पास अपना-अपना आइना है। इसकी खूबी यह है कि इसमें उन्हें अपने दल के आपराधिक छवि वाले नेताओं की तस्वीर दिखाई नहीं देती, लेकिन पाला बदलते ही ऐसे राजनेताओं का आपराधिक इतिहास उन्हें नजर आने लगता है।
पटना [राजीव रंजन]। आपराधिक छवि के राजनेताओं को लेकर सभी दलों के पास अपना-अपना आइना है। इसकी खूबी यह है कि इसमें उन्हें अपने दल के आपराधिक छवि वाले नेताओं की तस्वीर दिखाई नहीं देती, लेकिन पाला बदलते ही ऐसे राजनेताओं का आपराधिक इतिहास उन्हें नजर आने लगता है।
शायद ही ऐसा कोई दल हो, जिसमें बाहुबली राजनेता न हों। विधानसभा चुनाव की आहट होते ही सभी दलों के बाहुबली राजनेता एक बार फिर से सक्रिय हो गए हैं। टिकट के लिए पार्टी तक बदल लेने की तैयारियां शुरू हो गई हैं।
अनंत सिंह के राजग में जाने के कयास
ऐसे राजनेताओं में पहला नाम मोकामा के विधायक अनंत सिंह का है। फिलहाल वे पटना के बेउर जेल में बंद हैं। बताया जाता है कि वे अपनी ही सरकार से नाराज हैं। अनंत सिंह ने मोकामा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी शुरू कर दी है। कहा जा रहा है कि वे बहुत जल्द ही राजग के एक प्रमुख घटक दल में शामिल होने वाले हैं।
क्या पाला बदलेंगे सुनील पांडेय?
इसी तरह, जदयू के एक अन्य बाहुबली विधायक सुनील पांडेय भी जल्द ही पाला बदलने की तैयारी में हैं। उनके भाई विधान पार्षद हुलास पांडेय ने पिछले दिनों जदयू से नाता तोड़ लिया था। फिलहाल उन्होंने लोजपा का दामन थाम लिया है और पार्टी ने उन्हें आरा से विधान परिषद की उम्मीदवारी भी सौंप दी है। सुनील पांडेय आरा कोर्ट में बम विस्फोट के बाद फरार हुए लंबू शर्मा के इकबालिया बयान के बाद से चर्चा में हैं।
रंजीत डॉन को बना दिया प्रत्याशी
राजनीति के अपराधीकरण और अपराधियों के राजनीतिकरण को लेकर चर्चा का बाजार चाहे जितना गरम रहे, लेकिन राजनीतिक दलों की पहली पसंद आज भी ये बाहुबली राजनेता ही हैं। बिहार विधान परिषद चुनाव में लोजपा ने पहले मेधा घोटाले के प्रमुख आरोपी रंजीत डॉन की पत्नी को मैदान में उतरा था, लेकिन उनका नामांकन रद होने पर पार्टी ने रंजीत डॉन को ही नालंदा से प्रत्याशी बना दिया।
साधु यादव भी दौड़ में शामिल
पिछले साल लोकसभा चुनाव के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के भाई अनिरुद्ध प्रसाद उर्फ साधु यादव ने जब नरेंद्र मोदी के गुणगान करने शुरू किए थे, तब उनके भाजपा में शामिल होने की चर्चा जोरों पर थी। लेकिन, पार्टी के प्रदेश नेतृत्व ने साधु यादव को भाजपा में शामिल करने का विरोध किया था। इस बार साधु यादव ने अपनी अलग पार्टी गरीब जनता दल (सेक्युलर) बना ली है और पूर्व केंद्रीय मंत्री नागमणि की पार्टी समरस समाज पार्टी के साथ गठबंधन कर लिया है।
साबिर अली को लेकर चर्चाएं गर्म
जदयू के पूर्व राज्यसभा सांसद साबिर अली के भाजपा में शामिल होने के बाद बवाल मचा था। तब साबिर को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था। चर्चा है कि विधानसभा चुनाव में साबिर अली भी किसी बड़ी पार्टी के साथ दिखाई देंगे।
मैदान में ताल ठोक रहे पप्पू यादव
राजद से निकाले गए सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने जन अधिकार पार्टी के बैनर तले मैदान में उतरने का एलान कर दिया है।
समरस समाज पार्टी में एजाजुल
इसी तरह, राजद के चर्चित नेता व पूर्व सांसद मो. शहाबुद्दीन के निकट संबंधी व पूर्व मंत्री एजाजुल हक ने भी नागमणि की समरस समाज पार्टी का दामन थाम लिया है। उन्हें समरस समाज पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है।