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बिहार: लोकसभा के बाद अब विधानसभा उपचुनाव में तकरार तय, गठबंधनों में खुलेंगे नए मोर्चे

लोकसभा चुनाव के बाद बिहार में विधानसभा की पांच सीटें खाली हुईं हैं। अब इन सीटों पर उप चुनाव में दोनों प्रमुख गठबंधनों के घटक दलों के बीच तकरार तय मानी जा रही है।

By Amit AlokEdited By: Published: Thu, 06 Jun 2019 01:33 PM (IST)Updated: Fri, 07 Jun 2019 10:42 PM (IST)
बिहार: लोकसभा के बाद अब विधानसभा उपचुनाव में तकरार तय, गठबंधनों में खुलेंगे नए मोर्चे
बिहार: लोकसभा के बाद अब विधानसभा उपचुनाव में तकरार तय, गठबंधनों में खुलेंगे नए मोर्चे

पटना [राज्य ब्यूरो]। लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) में विधायकों के सांसद बनने के कारण अब पांच विधानसभा क्षेत्रों में उप चुनाव होने जा रहा है। तारीख अभी तय नहीं है। फिर भी उप चुनाव को लेकर राष्‍ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) और महागठबंधन (Grand Alliance) के घटक दलों के बीच तकरार की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है।

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चार सीटों पर लड़ने की तैयारी में आरजेडी

महागठबंधन में राष्‍ट्रीय जनता दल (RJD) पांच में से चार सीटों पर लड़ने की तैयारी कर रहा है। ये चार उसकी परम्परागत सीटें मानी जाती हैं, जो पिछले विधानसभा चुनाव (Assembly Election) में साथ रहने के कारण जनता दल यूनाइटेड (JDU) के कोटे में चली गईं थीं। 2015 के विधानसभा चुनाव में आरजेडी, जेडीयू व कांग्रेस साथ लड़े थे। अब अारजेडी और कांग्रेस तो साथ हैं, लेकिन जेडीयू महागठबंधन का हिस्सा हो गया है। लिहाजा, दरौंदा, सिमरी बख्तियारपुर, नाथनगर और बेलहर पर आरजेडी का दावा बनता है।

इधर, कांग्रेस खेमे में भी बेलहर या नाथनगर में से किसी एक सीट पर लडऩे की तैयारी चल रही है। किशनगंज पहले से कांग्रेस के हिस्से में है। वहां 2010 में भी उसकी ही जीत हुई थी।

एनडीए में भी पेंच फंसने की आशंका

एनडीए में भी पेंच फंसने की आशंका है। पिछले चुनाव में इन पांच में से तीन सीटों पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और दो पर लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) के उम्मीदवार दूसरे नंबर पर थे। किशनगंज में जेडीयू का उम्मीदवार नहीं था, इसलिए इस बार भी बीजेपी की दावेदारी कायम रहेगी। मगर, बाकी चार सीटों में से एक-एक पर बीजेपी व एलजेपी सांकेतिक तौर पर दावा कर सकती हैं।

एनडीए के लिए लाभकारी रहा था यह फॉर्मूला

इस तरह से सीट हासिल करने का फॉर्मूला लोकसभा चुनाव में एनडीए के पक्ष में लाभकारी साबित हुआ था। एलजेपी ने अपनी जीती हुई मुंगेर की सीट जेडीयू को दी थी। बीजेपी ने तो पांच जीती हुई सीटें जेडीयू व एलजेपी के लिए छोड़ दी थी। हालांकि, जेडीयू के पक्ष में यह तर्क जा सकता है कि वह सरकार में है और उसे विधायकों की जरूरत है। लेकिन, महागठबंधन के दलों में तकरार का रास्ता तैयार हो रहा है। हिन्दुस्तानी अवामी मोर्चा (HAM) और विकासशील इंसान पार्टी (VIP) का दावा भले न हो, लेकिन कांग्रेस उप चुनाव में एक से अधिक सीटों पर लडऩे की तैयारी कर रही है।

दिल्‍ली से दिशानिर्देश लेगी कांग्रेस

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ. मदनमोहन झा ने कहा कि इस मामले में हम दिल्‍ली से दिशानिर्देश लेंगे। अगर 2015 का महागठबंधन कायम रहता तो कांग्रेस का दावा कमजोर हो सकता था। लेकिन महागठबंधन से जेडीयू के बाहर जाने के कारण कांग्रेस का मजबूत दावा बनता है। वैसे भी इनमें से कुछ सीटों पर कांग्रेेस अतीत में चुनाव जीतती रही है। 

2015 के चुनाव में किसे कितने मिले थे वोट

- दरौंदा

कविता सिंह (जेडीयू): 66,255)

जितेंद्र स्वामी (बीजेपी): 53,033

- सिमरी बख्तियारपुर

दिनेश चंद्र यादव (जेडीयू): 78,514

युसूफ सलाउददीन (एलजेपी): 40,708

- नाथनगर

अजय मंडल (जेडीयू): 66,485

अमर कुशवाहा (एलजेपी): 58,660

- किशनगंज

डॉ. जावेद (कांग्रेस): 66,522

स्वीटी सिंह (बीजेपी): 57,913

- बेलहर

गिरिधारी यादव (जेडीयू): 73,348

मनोज यादव (बीजेपी): 54,157

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