पहले कैंसर को दी मात, अब काला चावल का साथ
अगर जीने का जज्बा हो तो बड़ी मुश्किलें भी आसान हो जाती हैं।
प्रभात रंजन, पटना। अगर जीने का जज्बा हो तो बड़ी मुश्किलें भी आसान हो जाती हैं। जानलेवा कैंसर का नाम सुनकर लोग जीने की उम्मीद छोड़ जाते हैं। ऐसे में पटना से 35 किलोमीटर की दूरी पर विक्रम प्रखंड के संग्रामपुर गांव के किसान अरुण कुमार शर्मा ने इस भयावह बीमारी से लड़कर जीत हासिल की। इलाज के दौरान डॉक्टरों ने काला चावल खाने की सलाह दी तो बीमारी ठीक होने के बाद उसकी खेती कर रहे हैं।
इलाज के दौरान कट गई जीभ -
संग्रामपुर गांव के रहने वाले अरुण कुमार को दो वर्ष पहले मुंह के कैंसर का पता चला। ऐसा लगा कि जिंदगी अब खत्म हो गई। घर का माहौल बदल गया। इलाज के लिए मुंबई चले गए। परिवार वालों का सपोर्ट खूब मिला। डॉक्टरों ने इलाज के दौरान कैंसर से प्रभावित जीभ का हिस्सा काटकर अलग कर दिया। चिंता हुई कि अब कैसे बोल पाएंगे। आवाज तो थोड़ी बदल गई है, लेकिन कैंसर जड़ से खत्म हो गया।
काला चावल की जरूरत को अवसर में बदला : इलाज के क्रम में डॉक्टरों ने काला चावल खाने की सलाह दी। बताया कि इससे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। लेकिन यह बाजार में मुश्किल से मिलता था और कीमत भी ज्यादा थी। उन्होंने काले चावल की खेती की संभावना देखी। बीमारी ठीक होने के बाद उन्होंने खुद एक एकड़ खेत में काले चावल की खेती शुरू कर दी। अब उनके गांव के दूसरे किसान भी कई एकड़ में काला चावल की खेती कर आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ कर रहे हैं। कैंसर रोगियों के लिए यह चावल डिमांड में है।
कृषि वैज्ञानिकों ने बढ़ाया हौसला : अरुण के काम को देखने के बाद बाढ़ स्थित कृषि अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने उनकी सराहना की और हौसला बढ़ाया। अरुण बताते हैं कि ब्लैक राइस पौष्टिक होने के साथ ही एंटी ऑक्सीडेंट से भरपूर होता है। आम सफेद चावल के मुकाबले ब्लैक राइस में विटामिन बी, कैल्शियम, मैग्नीशियम, आयरन, जिंक की मात्रा अधिक होती है।