पैकेजिंग की बारीकियों से अवगत हुए शिल्पी
बिहार में बहुत सारे कलाकार अपने-अपने क्षेत्रों में रहकर लोक कला का सृजन करने में लगे हैं।
पटना। बिहार में बहुत सारे कलाकार अपने-अपने क्षेत्रों में रहकर लोक कला का सृजन करने में लगे हैं। सृजन के पश्चात कलाकृतियों को कहीं बाहर भेजना होता है तो वे काफी परेशान हो जाते हैं, क्योंकि कलाकृतियों की पैकिंग बहुत जरूरी हो जाती है। अगर पैकिंग अच्छी है तो कलाकृतियां सुरक्षित चली जाती हैं। आज के दौर में पैकिंग का तरीका जानना बहुत जरूरी है। ये बातें उद्योग विभाग के सचिव नर्मेदश्वर लाल ने उपेंद्र महारथी शिल्प अनुसंधान संस्थान की ओर से आयोजित दो दिवसीय पैकिंग कार्यशाला के दौरान कहीं।
उन्होंने कहा कि पैकेजिंग सिखाने के लिए भारतीय पैकेजिंग संस्थान कोलकाता के उप निदेशक विधान दास आए हैं। वे कलाकारों को बारीकियों से अवगत कराएंगे। विधान दास ने कहा कि किसी भी वस्तु की पैकेजिंग बहुत जरूरी होती है। इसके बहुत सारे तरीके हैं। छोटी, बड़ी, पैकेजिंग कैसे किया जाए, जिससे कलाकृति टूटे न फूटे इन बातों पर भी ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने शिल्प संस्थान को धन्यवाद देते हुए कहा कि ऐसे आयोजन होने से शिल्पियों को बहुत सारी बातों की जानकारी मिलेगी। वस्त्र मंत्रालय, भारत सरकार हस्तकला के सहायक निदेशक बीके झा ने कहा कि सरकार की ओर से बहुत सारी योजनाएं हैं, जिनसे कलाकारों को मदद मिलती है। कलाकारों का भविष्य उज्ज्वल हो सके, इस दिशा में काम किया जा रहा है। जिला उद्योग केंद्र, पटना के महाप्रबंधक उमेश कुमार ने कहा कि कलाकारों को अपनी विधा का विकास करने के लिए सामने आने और कार्य करने की जरूरत है। शिल्प संस्थान के निदेशक अशोक कुमार सिन्हा ने कहा कि परिसर में टिकुली कला को लेकर शिविर का आयोजन किया गया है। यह कला काफी विस्तार पा रही है। उन्होंने कहा कि कलाकृतियों की पैकेजिंग बहुत जरूरी है। ऐसे ही आयोजन समय-समय पर आयोजित किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि हमारे कलाकारों में अद्भुत सृजन क्षमता है। इस दौरान कई दिनों से संस्थान परिसर में चल रहे सुजनी कला का समापन भी किया गया। शिविर में अलग-अलग तरह की सामग्रियों का निर्माण कलाकारों ने शिविर के दौरान की। मौके पर शिल्प संस्थान के शिक्षक व कर्मचारी मौजूद थे।