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फिल्म 'ब्लैक' के अमिताभ को थी ये खास बीमारी, कहीं आप भी नहीं इसके शिकार

अगर आपको रोजाना की बातें भूलने लगें तो इसे हल्के में न लें। यह अल्जाइमर नामक बीमारी हो सकती है। समय रहते पता चलने पर इसे मैनेज किया जा सकता है। विश्व अल्जाइमर दिवस पर विशेष...

By Amit AlokEdited By: Published: Wed, 21 Sep 2016 07:19 PM (IST)Updated: Wed, 21 Sep 2016 10:56 PM (IST)
फिल्म 'ब्लैक' के अमिताभ को थी ये खास बीमारी, कहीं आप भी नहीं इसके शिकार

पटना [अमित आलोक]। संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘ब्लैक’ में सुपर स्टार अमिताभ बच्चन ने एक ऐसे शिक्षक की भूमिका निभाई थी, जो बाद में सबको भूल जाता है। यह केवल फिल्मी कहानी नहीं, देश के करीब 50 लाख उम्रदराज लोगों की हकीकत है। इसका कारण ‘अल्जाइमर’ है। मोटे अनुमान के मुताबिक बिहार में भी इस रोग से पीड़ित लोगों की संख्या करीब तीन लाख है।

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अगर आप अपनों के नाम-पते और फोन डायल करने का तरीका भूल जाएं या अपने घर का रास्ता याद न रहे, तो इसे मामूली तौर पर न लें। यह बीमारी याददाश्त में कमी नहीं, बल्कि अल्जाइमर भी हो सकती है।
क्या है अल्जाइमर
पटना के इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (आइजीआइएमएस) के मनोविज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ. राजेश कुमार के अनुसार अल्जाइमर मस्तिष्क की ऐसी बीमारी है, जिसमें तंत्रिका कोशिकाएं मर जाती हैं। यह व्यक्ति की चीजों को याद रखने, स्पष्ट सोचने व निर्णय लेने की क्षमता को प्रभावित करती है।
डॉक्टरों के मुताबिक यह रोग 65 से ऊपर आयु वर्ग के लोगों में तेजी से बढ़ता है और एक-दो साल ध्यान न देने पर बढ़कर दो गुना हो जाता है। इसके बाद तो इसका इलाज मुश्किल हो जाता है।
आइजीआइएमएस की डॉ. निश्का सिन्हा बताती हैं कि बीमारी के शुरुआती लक्षण में याददाश्त में कमी होने लगती है, जिसमें रोगी धीरे-धीरे सब कुछ भूलने लगता है। यहां तक कि वह स्वयं को भी भूल जाता है। जब रोग बढ़ जाता है तो व्यक्ति अपनी याददाश्त पूरी तरह से गंवा देता है। बिल्कुल फिल्म 'ब्लैक' के अमिताभ की तरह।
रोग को रोक सकती हैं दवाएं
पटना मेडिकल कॉलेज अस्पतताल में न्यू रोफिजिशियन डॉ. संजय कुमार कहते हैं कि अल्जाइमर को पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता, लेकिन इसे मैनेज किया जा सकता है। दवाएं बीमारी को बढ़ने से रोक सकती हैं। इसमें दवाओं से अधिक काउंसिलिंग की आवश्यकता होती है।
मनोचिकित्सक को दिखाएं
आइजीआइएमएस के डॉ. राजेश कुमार व डॉ. केके सिंह के अनुसार बहुत से लोग अल्जाइमर को याददाश्त कम होना मान लेते हैं, पर यह समस्या बिल्कुल अलग है। छोटी-छोटी बातों को भूलना आम तौर पर बहुत ही सामान्य बात होती है और कई बार इसका कारण व्यस्तता या लापरवाही होता है। लेकिन, भूलने का संबंध अल्जाइमर से भी होता है, इसलिए इसे टालना उचित नहीं है। शुरूआती लक्षण दिखने पर तुरंत मनोचिकित्सक को दिखाना चाहिए।
अभी तक कारणों का पता नहीं
डॉ. संजय कुमार बताते हैं कि अल्जाइमर में दिमाग के तंतुओं का आपस में संपर्क कम हो जाता है। लेकिन, ऐसा क्‍यों होता है, इसका वास्तविक कारण अब तक पता नहीं चल पाया है। इस बीमारी के संबंध में अनुसंधान जारी है।

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