Sushant Singh Rajput Death Case: चौतरफा दबाव में BMC ने IPS अधिकारी विनय तिवारी को किया क्वारंटाइन मुक्त
बिहार पुलिस मुख्यालय के पत्र और सुप्रीम कोर्ट की फटकार के असर से आइपीएस ऑफिसर विनय तिवारी को बीएमसी ने क्वारंटाइन से मुक्त कर दिया।
पटना, जेएनएन। बिहार सरकार के दबाव, सुप्रीम कोर्ट की फटकार और राजनीतिक-प्रशासनिक घेराबंदी के आगे महाराष्ट्र सरकार ने घुटने टेक दिए। बंबई महानगर पालिका (बीएमसी) को बिहार कैडर के आइपीएस अधिकारी विनय तिवारी को क्वारंटाइन की बीच अवधि में ही छोड़ना पड़ा। आइपीएस अधिकारी को 14 दिनों के लिए क्वारंटाइन में भेजा गया था, लेकिन पांचवें दिन ही उन्हें मुक्त कर दिया गया। हालांकि इसके लिए विनय तिवारी को रिटर्न टिकट दिखाना पड़ा।
दो अगस्त को कर दिया गया था क्वारंटाइन
गौरतलब है कि अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत मामले की जांच के लिए दो अगस्त को मुंबई गए विनय तिवारी को हवाई अड्डा से बाहर निकलते ही होम क्वारंटाइन में भेज दिया गया था। बीएमसी के कर्मियों ने आइपीएस अधिकारी के हाथ पर मुहर लगा दी। उसके बाद बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने सख्त आपत्ति जताई थी। उन्होंने ट्वीट कर विनय तिवारी के हाथ पर लगाई गई मुहर पर क्षोभ प्रकट किया था।
पत्र लिखकर जताई आपत्ति
डीजीपी के निर्देश पर पटना के आइजी ने बीएमसी को पत्र लिखकर विनय तिवारी को क्वारंटाइन मुक्त करने का आग्रह किया था। अफसोस कि बीएमसी के आयुक्त ने पटना के आइजी संजय सिंह की नहीं सुनी थी। इसी बीच पूरे मामले को लेकर रिया चक्रवर्ती की अपील पर सुप्रीम कोर्ट में पांच अगस्त को हुई सुनवाई में सॉलिसिटर जनरल ने आइपीएस अधिकारी को क्वारंटाइन करने पर सवाल खड़ा किया था। महाराष्ट्र सरकार की जांच प्रक्रिया पर आपत्ति जताई थी। सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने भी नाराजगी प्रकट की थी। तब तक बीएमसी ने आइपीएस अधिकारी विनय तिवारी को नहीं छोड़ा था। आखिर में बिहार पुलिस मुख्यालय के एडीजी जितेंद्र कुमार ने छह अगस्त को पत्र लिखकर सख्त आपत्ति जताई थी। पत्र में सुप्रीम कोर्ट की नाराजगी का भी जिक्र किया था। डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने तो बीएमसी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट तक जाने की चेतावनी दी थी। उन्होंने कहा था कि यह सीधे-सीधे संघीय ढांचा पर प्रहार है। अंतत: बीएमसी को झुकना पड़ा और विनय तिवारी पटना लौटने के लिए मुक्त कर दिए गए।