16 साल बाद भी आधा-अधूरा है एम्स पटना, शुरुआत के साथ उम्मीद को लगे थे पंख पर हकीकत कुछ और
तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ने 2004 में शिलान्यास किया था। 2012 में शुभारंभ हुआ । 16 सालों बाद भी यहां कई विभाग शुरू नहीं हो सके। अभी तक आधारभूत संरचना भी पूर्ण नहीं हुई। है। आधी-अधूरी स्वास्थ्य सेवाओं की सुविधा के साथ यह लोगों को बेहद निराश करता है
पटना, नलिनी रंजन । अब दिल्ली की दौड़ नहीं लगानी होगी। उम्मीद को पंख इसलिए लगे कि पटना में एम्स की आधारशिला रखी जा रही थी। यह साल 2004 था। एम्स बनकर तैयार भी हो गया, पर 'एम' (लक्ष्य) से अभी काफी दूर।
पटना में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) 16 वर्षों बाद भी पूर्ण आकार ले नहीं सका है। तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 2004 में इसका शिलान्यास किया था। अस्पताल 2012 में चालू भी हो गया, पर अभी तक दूसरे चरण का कार्य शुरू भी नहीं हो सका है।
फेज वन में चार पैकेज के रूप में कार्य शुरू किया गया, जिसे 2016 तक पूरा कर लेना था। इसी साल फेज टू का काम भी शुरू करना था, लेकिन फेज वन का कार्य ही लक्ष्य से तीन साल बाद यानी 2019 में पूरा हुआ। फेज थ्री तो दूर, क्योंकि फेज टू का कार्य ही शुरू नहीं हो सका है। इसके लिए केंद्र से बजट नहीं मिल सका है।
अभी तक नहीं बन सके हैं भवन
फेज टू में 'जी प्लस 10Ó का एकेडमिक ब्लाक, 'जी प्लस 6' का प्रशासनिक भवन और छह फ्लोर का एडवांस रेडियोलॉजी सेंटर बनाया जाना था। स्वास्थ्य मंत्रालय को इस संदर्भ में बजट भेजा गया, पर यह अभी तक नहीं मिला है। यूं कहें कि अभी आधारभूत संरचना भी खड़ी नहीं की जा सकी है।
डॉक्टरों की नियुक्ति नहीं
संस्थान में फैकल्टी के 305 पद स्वीकृत हैं, पर अभी सिर्फ 160 ही कार्यरत हैं। शेष के लिए प्रक्रिया ही चल रही है। अस्पताल के शुभारंभ के नौ साल बाद भी डॉक्टरों की नियुक्ति पूरी नहीं हो सकी है। यही कारण है कि कई रोगों के मरीजों को एम्स दिल्ली या फिर अन्य बड़े संस्थानों में जाना पड़ रहा है। हालत यह कि अल्ट्रासाउंड और सिटी स्कैन के लिए तीन-तीन महीने प्रतीक्षा करनी होती है।
न्यूरोलॉजी और नेफ्रोलॉजी जैसे विभाग कार्यरत नहीं
एम्स, पटना में एक वर्ष में पांच से छह लाख तक मरीज पहुंचते हैं, लेकिन कई विभागों के अस्तित्व में नहीं आने की वजह से निराश होकर लौटना भी पड़ता है। यहां न्यूरोलॉजी, नेफ्रोलॉजी, इंडोक्राइनोलॉजी, गठिया रोग विभाग अभी नहीं है। एम्स के डीन प्रो. उमेश भदानी ने बताया कि यहां एमबीबीएस में 125 व पीजी में 91 छात्रों का नामांकन हो रहा है। अभी एमबीबीएस बैच 2016 के छात्र इंटर्न कर रहे हैं। अन्य सत्रों के छात्र भी अपनी पढ़ाई कर रहे हैं।
22 ऑपरेशन थिएटर
विभिन्न विभागों के आइसीयू में कुल 120 बेड हैं, जिनमें अभी 30 कोविड के लिए सुरक्षित हैं। इसके अतिरिक्त सर्जरी आइसीयू, मेडिकल आइसीयू, पीडियाट्रिक, एनेस्थीसिया, न्यूरो सर्जरी, कॉॢडयोलॉजी विभाग में आइसीयू की सुविधा उपलब्ध है। यहां 22 ऑपरेशन थिएटर हैं।
कहते हैं निदेशक
एम्स पटना के निदेशक डॉ पीके सिंह का कहना है कि कोरोना के कारण वर्ष 2020 में भर्ती प्रक्रिया नहीं हो सकी। अब आरंभ कर दी गई है। डॉक्टरों की नियुक्ति आरंभ हो जाएगी। जिन विभागों में डॉक्टर नहीं हैं, उनमें नियुक्ति कर विभाग को जल्द आरंभ कराया जाएगा।
एम्स दिल्ली एम्स पटना
1. विभाग 42 28
2.फैकल्टी 800 160
3. रेजिडेंट डॉक्टर 2000 210