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बिहारः कोरोना काल में मोक्षधाम के सौदागर ढूंढ़ रहे मुनाफा, बक्सर की गंगा में उतराते मिले 30 शव

कोरोना संक्रमण के बीच जब लोग अपनों को खो रहे हैं तब लकड़ी बेचने वालों से लेकर कर्मकांड कराने वाले और मुक्तिधाम के ठेकेदार लाश के नाम पर अपनी झोली भर रहे हैं। लिहाजा अपनों को खो चुके लोग गंगा में सीधे शव को प्रवाहित कर दे रहे हैं।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Sun, 09 May 2021 07:38 PM (IST)Updated: Sun, 09 May 2021 07:38 PM (IST)
अंतिम संस्कार में होने वाले खर्च का वहन न कर पाने से गंगा में फेंके जा रहे शव। प्रतीकात्मक तस्वीर।

जागरण संवाददाता, बक्सर: कोरोना संक्रमण के बीच जब लोग अपनों को खो रहे हैं, तब मुक्तिधाम में लोगों की तकलीफों के सौदागर शवदाह में अपना मुनाफा ढूंढ़ रहे हैं। लकड़ी बेचने वालों से लेकर कर्मकांड कराने वाले और मुक्तिधाम के ठेकेदार लाश के नाम पर अपनी झोली भर रहे हैं। नतीजा यह है कि जो उनके मुंहमांगे खर्च का वहन करने में असमर्थ हैं, उन्होंने अपने स्वजनों के शवों को मजबूरी में सीधे गंगा में प्रवाह कर दिया। एक सप्ताह के भीतर चौसा के महादेवा घाट पर दर्जनों शवों का जल प्रवाह किया गया है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश को ताक पर रख गंगा में शवों के बहाए जाने से मोक्षदायिणी का पवित्र जल प्रदूषित हो रहा है। रविवार को जल-प्रवाह हुए करीब 30 शव गंगा के किनारे आकर लग गए, तब प्रशासन को इसकी जानकारी हुई।

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वीभत्स हो गया नजारा

गिद्ध और कुत्ते शवों को नोच-नोच कर अपना आहार बना रहे थे, जिससे कि वहां नजारा और भी वीभत्स हो गया था। स्थानीय अधिकारियों की तरफ से भी इसे साफ करने को लेकर कोई पहल नहीं की गई। ऐसे में परेशान हो चुके स्थानीय लोगों ने मीडिया को इस बात की जानकारी दी। चौसा प्रखंड के पवनी गांव के निवासी अनिल कुमार सिंह कुशवाहा ने बताया कि चौसा, मिश्रवलिया, कटघरवा समेत दर्जनों गांव के लोग घाट पर शवदाह के लिए आते हैं लेकिन, यहां की स्थिति देखकर अब वह दहशत से भर गए हैं। पहले जहां पांच से छह हजार रुपये में अंतिम संस्कार हो जाया करता था वहां अब 14 से 15 हजार रुपये खर्च हो रहे हैं। 

इलाज में ही टूट गए, कहां से कराएं संस्कार

गंगा नदी के किनारे बसे कई अन्य गांवों के लोग जो गंगा के जल का इस्तेमाल करते हैं वह भी यहां शवों का अंबार देख भयाक्रांत हो गए हैं। निश्चित रूप से इस तरह के स्थिति सामने आने के बाद अब दूसरे तरह की महामारी जन्म लेगी। गांव के लोगों ने बताया कि पिछले कुछ दिनों के भीतर कई ऐसे लोग यहां आए जो शव को सीधे गंगा में प्रवाह कर चले गए। उन लोगों का कहना था कि जिसके शव का प्रवाह करने आए हैं, उसके इलाज में ही वे लोग टूट चुके हैं और इतने पैसे नहीं हैं कि श्मशाम घाट पर शव का विधिवत दाह संस्कार करा सकें।

मुक्तिधाम धाम में नहीं है विद्युत शवदाह गृह

बक्सर में चरित्रवन मुक्तिधाम में दाह संस्कार के लिए कई जिलों से लोग आते हैं, लेकिन यहां अबतक विद्युत शवदाह गृह नहीं बन सका। वर्तमान में नमामि गंगे परियोजना के तहत गंगा घाटों के सौंदर्यीकरण के लिए करोड़ों रुपयों का खर्च किए जा रहे हैं, लेकिन विद्युत शवदाह गृह बनाए जाने की योजना केवल फाइलों में ही है। चौसा के रहने वाले सामाजिक कार्यकर्ता अश्विनी कुमार वर्मा बताते हैं कि मुक्तिधाम में विद्युत शवदाह गृह होता तो लोग मामूली खर्च में लोग शवों का दाह संस्कार कर सकते थे।

कराई जा रही साफ-सफाई

बक्सर के जिलाधिकारी अमन समीर ने कहा कि इस तरह की स्थिति की जानकारी मुझे भी मिली है, चौसा के अंचलाधिकारी को मौके पर भेजा गया है। वह साफ-सफाई के साथ-साथ आगे की कार्रवाई में लगे हुए हैं।


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