आखिर इन शवों का कुसूर क्या है?
कोरोना संक्रमितों एवं आशंकितों की जांच रिपोर्ट मिलने में देरी के कारण मरीज साठ घंटे तक शव पड़ा रह रहा है।
पटना सिटी : कोरोना संक्रमितों एवं आशंकितों की जांच रिपोर्ट मिलने में देरी के कारण मरीजों के स्वजनों की परेशानी बढ़ गई है। कोरोना अस्पताल एनएमसीएच में खाजेकलां निवासी 36 वर्षीय गर्भवती और राजाबाजार निवासी 52 वर्षीय मरीज की इलाज के दौरान हुई मौत के तीसरे दिन और कुल 60 घंटे बीत जाने के बाद भी शव जांच रिपोर्ट के इंतजार में अस्पताल परिसर में वाहन पर पड़े हैं। सुरक्षित रखने के लिए अस्पताल प्रशासन ने एक शव वाहन का एसी चालू कर दोनों लाशें उसमें रख दी हैं।
अधीक्षक डॉ. निर्मल कुमार सिन्हा ने कहा कि नियमानुसार कोरोना जांच रिपोर्ट आने के बाद ही शव प्रशासन की सहमति से स्वजन को सौंपा जा सकता है। मंगलवार की सुबह इन दोनों की मौत हो गई थी। इन्हें कोरोना पॉजिटिव मान इनके शवों को पैक करा वाहन में रखा गया है। आरएमआरआइ निदेशक से रिपोर्ट जल्दी भेजे जाने को कहा गया है। रिपोर्ट निगेटिव होने पर शव स्वजनों को सौंप दिया जाएगा ताकि वह विधि विधान से अंतिम संस्कार कर सकें। रिपोर्ट यदि पॉजिटिव हुई तो शव का संस्कार नियमानुसार स्वजनों को प्रशासन की मौजूदगी में करना होगा।
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एंबुलेंस चालक रहे हड़ताल पर
जागरण संवाददाता, पटना सिटी : कोरोना अस्पताल एनएमसीएच में संक्रमितों को लाने, पहुंचाने वाली एंबुलेंस और शव वाहन के चालक गुरुवार को हड़ताल पर रहे। इस कारण काम प्रभावित हुआ। चालक कमलेश, सोनू, अरुण, सुबोध, बलबीर, अनिल, अजय, नागमणी, विकास ने बताया कि निजी एजेंसी द्वारा चालक तीनों पाली में कार्यरत हैं। संक्रमितों को लाने-पहुंचाने तथा शव ढोने के दौरान सुरक्षा के लिए न तो पीपीई किट दी जा रही है न ही मास्क। एंबुलेंस को सैनिटाइज भी नहीं किया जाता है। अस्पताल में उनके रहने की व्यवस्था तक नहीं है। अधीक्षक डॉ. निर्मल कुमार सिन्हा ने कहा कि चालक निजी एजेंसी के अधीन कार्यरत हैं। उनकी सुरक्षा व अन्य मांग को लेकर एजेंसी से बात की गई है।
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एनएमसीएच में अब केवल गंभीर व अतिगंभीर मरीज होंगे भर्ती
जागरण संवाददाता, पटना सिटी : कोरोना अस्पताल एनएमसीएच में गुरुवार को बिना किसी लक्षण वाले मरीजों को अस्पताल से लौटा दिया गया। प्राचार्य डॉ. हीरा लाल महतो ने बताया कि एनएमसीएच में अब केवल कोरोना पॉजिटिव गंभीर एवं अति गंभीर मरीज ही भर्ती होंगे। एसिप्टोमेटिक लोगों को शहर के क्वारंटाइन सेंटर में शिफ्ट किया जाएगा। इसके लिए सिविल सर्जन स्तर से व्यवस्था की जा रही है। अस्पताल में उपलब्ध विशेषज्ञ चिकित्सकों को देखते हुए कोरोना ग्रसित गंभीर मरीजों का ही इलाज होगा। ऐसे मरीजों के लिए ही बेड खाली कराया जा रहा है। वहीं, नोडल पदाधिकारी डॉ. अजय कुमार सिन्हा ने बताया कि ऐसे 85 मरीजों को चिह्नित किया गया है। क्वारंटाइन सेंटर की सूची प्राप्त होते ही इन मरीजों को वहां शिफ्ट किया जाएगा।