पेयजल प्रदूषण को रोकने से दूर हो सकता है एईएस का वायरस
पटना। मुजफ्फरपुर में एईएस (एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम) की भयावता को जल प्रदूषण को कम किया जा सकता है।
पटना। मुजफ्फरपुर में एईएस (एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम) की भयावता को जल प्रदूषण को कम करके रोका जा सकता है। इस विषय पर पटना एम्स ने वर्ष 2014 में ही शोध किया था। इसके लिए तत्कालीन निदेशक डॉ. जीके सिंह के नेतृत्व में एम्स की टीम मुजफ्फरपुर के पीड़ित परिवारों के घर भी गई थी। पूर्व निदेशक डॉ. जीके सिंह ने बताया कि 126 प्रकार के वायरस एईएस को उत्पन्न करते हैं। मुजफ्फरपुर की घटना में हर वर्ष वायरस अपना स्वरूप बदल रहा है। इसमें एक तरह का वायरस जनसंख्या को एक बार अटैक करता है। वर्ष 2014 में 1,347 मरीजों के पीड़ित होने के बाद एम्स पटना ने आरएमआरआइ, यूनिसेफ व आपदा प्रबंधन विभाग के साथ मिलकर शोध किया। शोध में पाया कि जल प्रदूषण के कारण यह बीमारी अधिक पनप रही है। इसके बाद रोकथाम के लिए उपाय किए गए। नतीजा यह हुआ कि वर्ष 2015 में मरीजों की संख्या घटकर 64 रह गई। सरकार को इस बीमारी की रोकथाम के लिए ट्रांसमिशन पर ध्यान देने की जरूरत है।
10 के दम को लेकर जागरूकता की जरूरत
डॉ. सिंह ने बताया कि बिहार सरकार की ओर से 2014 में एक कार्यक्रम '10 का दम' चल रहा था। तब इसमें स्कूलों में बच्चों को शौचालय से आने के बाद और खाना खाने से पहले साबुन से हाथ धोने के लिए जागरूक किया गया था। इसका असर भी देखने को मिला। स्वच्छता का बीमारी से बड़ा कनेक्शन है। इसको दूर कर एईएस पर काफी हद तक काबू पाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि अभियान चलाने के बाद बड़ी संख्या में लोग जागरूक भी हुए थे।
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