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रंगमंच पर दिखे व्यवस्था के पेच से जूझते आदिवासी

इंसान सृष्टि का सबसे अमूल्य वरदान है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 21 Oct 2019 11:55 PM (IST)Updated: Mon, 21 Oct 2019 11:55 PM (IST)
रंगमंच पर दिखे व्यवस्था के पेच से जूझते आदिवासी
रंगमंच पर दिखे व्यवस्था के पेच से जूझते आदिवासी

पटना। इंसान सृष्टि का सबसे अमूल्य वरदान है। लेकिन इसी इंसान को धर्म, मजहब के नाम पर बांटने और उनके अधिकारों से वंचित रखने की साजिश होते रहती है। दूसरी ओर ऐसे लोग भी हैं जो जीवन की मुख्य धारा से कटे लोगों को वापस लौटने, उनके अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ते हैं। इसके लिए उन्हें कई कुर्बानियां देनी पड़ती हैं। कुछ ऐसे ही लोगों की कहानी को प्रेमचंद रंगशाला के मंच पर सोमवार को जीवंत किया गया। प्रवीण सांस्कृतिक मंच के बैनर तले रवींद्र भारती लिखित एवं बिजेंद्र कुमार टॉक बिरजू के निर्देशन में 'हुलहुलिया' नाटक की प्रस्तुति की गई।

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ये थी कहानी -

कहलूकहाले नाम का लेखक दुनिया भर में घूम-घूम कर विलुप्त हो रही जातियों और उनकी लिपियों पर शोध करने में लगा रहता है। इसी क्रम में वो आदिवासी के समुदाय हलहुलिया जाति के बीच जाता है, जो पहाड़, जंगल और गुफा में अपनी जिदंगी जीने को विवश है। लेखक शोध के दौरान देखता है कि इन समुदाय के लोगों का नाम राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर में दर्ज नहीं है। वे अपने हक के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उनके पास कोई ऐसा कागजात नहीं, जिससे पता चल सके कि वह यहां के नागरिक हैं। जबकि उनकी पांच-छह पीढि़यों ने यहां अपनी जिदंगी गुजारी। लेखक उन लोगों का नाम नागरिक रजिस्टर में दर्ज कराने के लिए लग जाता है। इसी सिलसिले में वह छोटे लाना के कहने पर उद्योगपति जाकिट वाला से मिलता है। जाकिट वाला हलहुलियों का नाम नागरिक रजिस्टर में दर्ज कराने पर राजी हो जाता है, लेकिन उसकी शर्त होती है। लेखक के शोध कार्य की पांडुलिपि को अपने नाम करने की बात कहता है। लेखक लोगों की भलाई के लिए अपना शोध कार्य जाकिट वाला उद्योगपति को देता है। इसके बाद आदिवासी समुदाय के लोगों का नाम नागरिक रजिस्टर में दर्ज होता है और फिर जाकिट वाला के नाम से प्रकाशित शोधात्मक पुस्तक का विमोचन होता है। उधर पुलिस वाले लेखक को नक्सल के संदेह में गिरफ्तार कर थाने ले जाते हैं।

मंच पर कलाकार -

कहलूकहाले - मृत्युंजय प्रसाद

छोटे लामा - शुभ्रो भट्टाचार्य

पंथा - कुणाल कुमार

सूत्रधार - रोहित चंद्रा, अभिषेक ड्रामेबाज

बेटी - तान्या

अरे - रूबी खातून

जाकिट वाला - आदिल रशीद

उपांत चोचे - निलेश मिश्रा

मालकिन - नेहा निहारिका

नान्ही - मंजरी मणि त्रिपाठी

पुलिस अधिकारी - आदर्श रंजन, राजा भूमि, आशीष रंजन

मंच से परे कलाकार -

प्रकाश संचालन - राहुल रवि

वस्त्र सहयोग - राजमणि सिंह

मंच निर्माण - प्रबोध कुमार विश्वकर्मा, रंजीत कुमार

रूप सज्जा - जितेंद्र कुमार जीतू


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