सरल शब्दों का प्रयोग कर लोगों को ¨हदी से जोड़ें
¨हदी के विकास में मीडिया और पुस्तकों का योगदान ¨हदी की पहुंच सिर्फ किताबों तक नहीं है।
¨हदी की पहुंच सिर्फ किताबों तक नहीं है, फिल्मों तक है भी ये भाषा अपने पांव फैला चुकी है। अब ¨हदी सिर्फ पढ़ाई तक सीमित नहीं है मनोरंजन का साधन भी बन चुकी है। ये बातें मंगलवार को दैनिक जागरण द्वारा आयोजित साप्ताहिक परिचर्चा '¨हदी के विकास और विस्तार में मीडिया की भूमिका' विषय पर बागबान क्लब के सदस्यों ने कहीं।
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मीडिया और ¨हदी आपस में बहनें हैं। ¨हदी के पास अपना शब्दकोष है, और मीडिया उसी शब्दों को सही तरीकों से गूथ कर खबरों को स्वरूप देती है। ¨हदी को आगे बढ़ाने में समाचार पत्रों का बहुत बड़ा हाथ है।
- आरपी लाल, एकेपुरी
¨हदी अपने आप में एक विकसित भाषा है। मीडिया का काम है सिर्फ इसको सरल रूप में लोगों के सामने पेश करना। ¨हदी में हमेशा उन शब्दों का प्रयोग करना चाहिए जिसे लोगों को समझने में आसानी हो। इससे ¨हदी से हर लोग जुड़ सकें।
- मिथिलेश कुमार सिंह, राजीव नगर
¨हदी हमारी सब से पुरानी भाषा है। ¨हदी भाषा से ही बाकी सब भाषाओं का जन्म हुआ है। देश के 70 प्रतिशत लोग सिर्फ ¨हदी बोलते हैं। मीडिया का काम है कि वो सरल और मनोरंजक शब्दों का प्रयोग करते हुए लोगों को ¨हदी से जोड़े।
- राम प्रसाद राय, गोला रोड
साहित्य को आगे बढ़ाने में ¨हदी का बहुत बड़ा योगदान है। उसी प्रकार ¨हदी को आगे बढ़ाने में मीडिया और पुस्तकों का योगदान है। मीडिया ने अभी के समय में ¨हदी को आगे बढ़ाने में बहुत योगदान किया है। लोगों को ¨हदी अखबार से भी मीडिया ही जोड़ती है।
- शीला श्रीवास्तव, राजीव नगर
मीडिया की ही वजह से लोग आज ¨हदी अखबार पढ़ते हैं। अभी भी दो से तीन प्रतिशत लोग ही हैं जो अंग्रेजी या कोई और भाषा के अखबार को देखते हैं। ¨हदी के विस्तार में मीडिया का अहम योगदान है।
- विजय कुमार सिंह, राजीव नगर
देश के हर दो से तीन किलोमीटर पर भाषा बदल जाती है। हर भाषा के पास अपना शब्दकोश है। अभी भी वो ¨हदी के शब्दकोष पर ही पूरी तरह से निर्भर रहते हैं। ¨हदी सब से अमीर और समृद्ध भाषाओं में से एक है। किसी भी भाषा के पास ¨हदी से ज्यादा शब्द नहीं है।
- श्याम जी सहाय, अध्यक्ष बागबान क्लब
सिर्फ अखबार या न्यूज चैनल से ही नहीं फिल्मों के माध्यम से भी ¨हदी ने बहुत तेजी से विकास किया है। जो राज्य ¨हदी भाषी नहीं भी हैं वो भी ¨हदी फिल्मों और गानों से प्रभावित होते हैं। इससे ज्यादा और मीडिया ¨हदी का विकास कैसे कर सकती है।
- बांके बिहारी प्रसाद, आशियाना नगर
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इस परिचर्चा में कृष्णा वर्मा, चिंता प्रसाद महेश्वरी, कृष्ण चंदा प्रसाद ने भी अपने विचार रखे।