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    कटघरे में सिस्टम: बिहार में सूचना मांगने पर मिलता है मुकदमा

    By Amit AlokEdited By:
    Updated: Wed, 14 Mar 2018 09:17 PM (IST)

    बिहार में सरकार की मंशा पर सिस्टम में शामिल अधिकारी ही पानी फेर रहे हैं। सूचना के अधिकार के तहत सूचना मांगने पर आवेदकों पर झूठे मुकदमे किए जा रहे हैं। क्‍या है मामला, जानिए।

    कटघरे में सिस्टम: बिहार में सूचना मांगने पर मिलता है मुकदमा

    पटना [दीनानाथ साहनी]। बक्सर के सामाजिक कार्यकर्ता शिव प्रकाश ने सूचना के अधिकार कानून (आरटीआइ) के जरिए जिला पुलिस में व्याप्त वित्तीय अनियमितता की जानकारी मांगी तो उनके खिलाफ रंगदारी का मुकदमा दर्ज करा दिया गया। जब वे फर्जी मुकदमे की शिकायत लेकर जिलाधिकारी व आरक्षी अधीक्षक के पास पहुंचे तो वहां भी उनके साथ अमर्यादित व्यवहार किया गया। खगडिय़ा के शिव बालक सिंह ने आरटीआइ के तहत आवेदन देकर प्रखंड कार्यालय से फर्जी तरीके से कराए गए भू-हदबंदी के बारे में सूचना मांगी तो संबंधित अफसर ने एससी-एसटी उत्पीडऩ एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज करा दिया। आरा के सीताराम सिंह, नवादा के गोपाल मांझी, पूर्णिया के कपिल शर्मा, सीतामढ़ी के जितेंद्र पासवान, समस्तीपुर के प्रभाकर झा को भी सूचना लेने पर ऐसे फर्जी मुकदमे झेलने पड़ रहे हैं।

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    दरअसल, बिहार में सूचना के अधिकार के तहत सूचना मांगने पर अफसरों का दिमाग गरमा जा रहा है। वे इसी तरह आवेदकों पर मुकदमे कर रहे हैं और आवेदक इंसाफ के लिए सूचना आयोग व मानवाधिकार आयोग से लेकर डीजीपी व मुख्यमंत्री तक के चक्कर लगा रहे हैं। बिहार में ऐसे मुकदमों से जुड़े 600 आवेदन राज्य सूचना आयोग, राज्य मानवाधिकार आयोग एवं डीजीपी के दफ्तर में सुनवाई के लिए लंबित हैं। इसमें रंगदारी मांगने, एससी-एसटी उत्पीडऩ करने एवं अपहरण का प्रयास जैसे मुकदमे शामिल हैं। अफसरों के कारनामों से पूरा सिस्टम कठघरे में है।

    जिलाधिकारी कार्यालय में बुला किया प्रताडि़त

    आरटीआइ कार्यकर्ता शिव प्रकाश ने बताया कि बक्सर के पुलिस महकमे में व्याप्त वित्तीय अनियमितता की सूचना मांगी थी। इस पर अफसरों ने मुझे जिलाधिकारी कायार्लय में बुलाया और सादे कागज पर हस्ताक्षर करने को कहा। जब इन्कार किया तो रंगदारी का मुकदामा दर्ज करा दिया। पुलिस ने भी कई बार प्रताडि़त किया। उन्‍होंने बताया कि झूठा मुकदमा उठाने के लिए वे मुख्यमंत्री सचिवालय तक में आवेदन दे चुके हैं।

    सूचना मांगने पर डरा रहे अफसर

    सूचना का अधिकार कानून के तहत  प्राप्त जानकारी में अफसरों के कई हैरतगंज कारनामे सामने आए हैं। मसलन, जिनके कंधों पर आरटीआइ के आवेदनों पर सूचना देने की जवाबदेही है वे ही इस कानून का सही तरीके से अनुपालन सुनिश्चित नहीं कर रहे हैं।

    सूचना आयोग ने सूचना नहीं देने वाले अफसरों से जुड़े मामलों की सुनवाई में पाया है कि सूचना मांगे जाने संबंधी ज्यादातर आवेदनों में लोक सूचना से जुड़े अफसर दिलचस्पी नहीं दिखाते हैं बल्कि उल्टे आवेदकों को डराते-धमकाते हैं। दबाव बनाने पर अफसरों द्वारा आवेदकों के विरुद्ध ही झूठे मुकदमे करा दिए जाते हैं ताकि डर से कोई सूचना नहीं मांगने आए। ऐसे चार दर्जन से ज्यादा मामलों को आयोग ने पकड़ा है।

    राज्‍य सूचना आयोग गंभीर

    राज्य सूचना आयोग ने आरटीआइ कार्यकर्ताओं पर दर्ज हो रहे फर्जी मुकदमों को गंभीरता से लिया है। आयोग ने इस मामले में गृह सचिव एवं डीजीपी को पत्र लिखा है और फर्जी मुकदमों की जांच करने, झूठे मुकदमे वापस लेने एवं दोषी अधिकारियों पर आवश्यक कार्रवाई करने को कहा है। खुद आयोग ने सूचना नहीं देने वाले 143 अफसरों के विरुद्ध कार्रवाई करते हुए उनपर आर्थिक दंड लगाया है। 

    मानवाधिकार आयोग ने भी लिया संज्ञान

    बिहार राज्य मानवाधिकार आयोग ने आरटीआइ कार्यकर्ताओं पर फर्जी मुकदमों से जुड़े आवेदनों का संज्ञान लिया है। आयोग ने संबंधित फर्जी मुकदमों की शिकायतों की जांच करने, दोषी अफसरों पर कार्रवाई करने, निर्दोष लोगों को मुक्त करने तथा झूठे मुकदमों को वापस लेने का निर्देश राज्य सरकार को दिया है।

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