बिहार के छोटे-से गांव की स्वीटी कुमारी बनी International young player of the year, जानिए सक्सेस स्टोरी
बिहार के बाढ़ प्रखंड के नवादा गांव की स्वीटी कुमारी को इस साल का International young player का खिताब मिला है। इस छोटे-से गांव की लड़की के बड़े-बड़े सपने हैं। जानिए....
पटना, काजल। बिहार के एक छोटे-से प्रखंड बाढ़ के नवादा गांव से निकलकर स्वीटी कुमारी ने इस साल का International young player of year का खिताब जीता है। इस खिताब को जीतने वाली इस रग्बी खिलाड़ी के बड़े-बड़े सपने हैं। वो इस साल अपने देश के लिए रग्बी में गोल्ड मेडल जीतना चाहती है। उन्होंने बताया कि आज बिहार की लड़कियां भी देश-विदेश में नाम कमा रही हैं। ये सही है कि यहां खेल के लिए हमें संघर्ष कुछ ज्यादा करना पड़ता है, लेकिन अगर घरवाले साथ दें तो हम किसी से कम नहीं हैं।
एक छोटे-से गांव से निकलकर अंतर्राष्ट्रीय पहचान बनाने वाली इस रग्बी खिलाड़ी स्वीटी कुमारी ने Jagran.com से खास बातचीत में बताया कि मुझे बचपन से पढ़ने-लिखने में कोई खास रुचि नहीं थी। बस खेलना- तेज दौड़ना पसंद था। बड़े भाई को देखकर एथलेटिक्स सीखना शुरू किया और कठिन संघर्ष से आज इस मुकाम पर पहुंची। आज अच्छा लगता है कि बिहार के एक छोटे-से गांव की इस लड़की को सभी जानते हैं।
स्वीटी ने कई खिताब किया है अपने नाम
विश्व रग्बी की ओर से रग्बी खिलाड़ी स्वीटी कुमारी को इंटरनेशनल यंग प्लेयर ऑफ द ईयर घोषित किया गया है। वर्ल्ड रग्बी द्वारा जारी वर्ष 2019 के विभिन्न श्रेणियों के अंतर्गत यह पुरस्कार दिया गया है। पिछले साल स्वीटी ने एशियन यूथ व सीनियर रग्बी चैंपियनशिप में बेस्ट प्लेयर का खिताब जीता था।
इंटरनेशनल यंग प्लेयर श्रेणी में दस देशों से एक दर्जन से अधिक खिलाडिय़ों के नामों की अनुशंसा की गई थी। केवल स्वीटी ने टीम बनाने के बाद इस खेल की शुरुआत की। इस कारण ही स्वीटी अन्य नामांकित खिलाडिय़ों पर भारी पड़ीं और यह खिताब जीतने में कामयाब रहीं।
बता दें कि स्वीटी को एशिया रग्बी अंडर 18 गर्ल्स चैंपियनशिप भुवनेश्वर, विमेन सेवेंस ट्राफी ब्रुनेई और एशिया रग्बी सेवेंस ट्राफी जकार्ता, इंडोनेशिया 2019 में बेस्ट स्कोरर और बेस्ट प्लेयर का अवॉर्ड मिल चुका है।
गेम्स में हिस्सा लेने गई थी, दौड़ते-दौड़ते बन गई रग्बी खिलाड़ी
उन्होंने बताया कि साल 2014 में स्कूल की तरफ से आयोजित गेम्स में हिस्सा लेने के लिए मैं बाढ़ से पटना आई थी। वहां रग्बी के सेक्रेटरी और मेरे कोच पंकज कुमार ज्योति ने मुझे दौड़ते हुए देखा तो मुझे रग्बी खेलने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि जब तुम्हें दौड़ना आता है तो तुम रग्बी के लिए परफेक्ट हो, जल्द ही सीख जाओगी।
फिर मुझे लगा कि ये कौन-सा गेम है। लेकिन, उन्होंने जैसा बताया मैंने वैसा ही सीखना शुरु किया। उस वक्त मुझे बस इतना पता था कि कैसे बस बॉल को पीछे पास करना होता है और आगे भागना होता है। रग्बी के रुल्स मुझे नहीं समझ आ रहे थे, मैं सिर्फ कोच पकंज के बताए तरीके से खेल रही थी लेकिन प्रैक्टिस करते-करते ये पता ही नहीं चला कि मैं कब दौड़ते-दौड़ते रग्बी सीख गई। इसके बाद मैंने रग्बी के रुल्स सीखे और जमकर प्रैक्टिस की।
आसान नहीं था सफर
स्वीटी अभी बाढ़ के ही एएनएस कॉलेज से ग्रेजुएशन कर रही हैं। उन्होंने बताया कि मैं दो साल तक बाढ़ से पटना ट्रेन में एक घंटे का सफर तय कर पहुंचती थी फिर रग्बी की कोचिंग करती थी। उस वक्त घऱ के लोग भी नहीं जानते थे कि मैं रग्बी खेलने जाती हूं। जब मुझे रग्बी खेलने दुबई जाना था और पासपोर्ट बनवाना था तब मम्मी पापा ने जाना कि रग्बी भी कोई खेल होता है और उनकी बेटी विदेश जाएगी। ये सुनकर वो बहुत खुश हुए।
तब बाढ़ में क्या बिहार में भी रग्बी खेलने की कोई सुविधा नहीं थी। कोई इस खेल को जानता नहीं था। मुझे देखकर लोग कहते थे जब देखो, दौड़ती रहती है। क्या खेलती है? पता नहीं। आज तो बिहार में भी लोग रग्बी को जानते हैं। राज्य में कई जगहों पर और अब तो बाढ़ में भी रग्बी खेलने की सुविधा हो गई है और आज करीब 70 बच्चे यहां की कोचिंग में ट्रेनिंग ले रहे हैं।
पहली बार विदेश गई तो मन में डर था, आत्मविश्वास से हम जीत गए
स्वीटी ने बताया कि जब 2017 में रग्बी खेलने पहली बार मैं विदेश गई थी तो दुबई में यूथ ओलिंपिक क्वालिफाई गेम खेलना था। मैं उस वक्त काफी डरी हुई थी लेकिन वहां पहला मैच खेलकर लगा जैसे फ्रेंडशिप मैच खेल रहे हों। हमारे कोच ने आत्मविश्वास बढ़ाया और हमने जीतने का सोच रखा था। पहले मैच के बाद मन का सारा डर निकल गया और हमने जीत दर्ज की। 2019 रग्बी के लिए बहुत अच्छा रहा, अब 2020 में उससे भी बेहतर करना है।
देश के लिए रग्बी में गोल्ड जीतना मेरा सपना है
उसके बाद सिंगापुर के खिलाफ मैच खेला वहां भी हम सफल रहे। मैं सिंगापुर, ब्रुनेई, फिलीपींस, इंडोनेशिया और लाओस में रग्बी खेलने जा चुकी हूं। अपने देश के लिए, अपने राज्य के लिए तो अबतक सिल्वर-ब्रॉंन्ज मेडल ही हमने जीता है औऱ अब इस साल रग्बी में देश को गोल्ड मेडल दिलाना है। ये मेरा सपना है।
जापान में रग्बी के लिए जुनून देखकर हुआ था आश्चर्य
सबसे ज्यादा खुशी मुझे जापान में पिछले साल सितंबर में एशिया रग्बी (मेंस) की ओपनिंग सेरेमनी में जाकर मिली। वहां लोगों के बीच रग्बी के लिए गजब का उत्साह दिखा जिसे देखकर मुझे आश्चर्य हुआ कि इस खेल के लिए इस देश में वैसा ही जुनून है, जैसे भारत में क्रिकेट के लिए होता है। इतनी भीड़ और जापान के लोगों के बीच इस खेल के लिए उत्साह को देखकर बहुत अच्छा लगा था।
बिहार में खेल को मिलना चाहिए बेहतर माहौल
स्वीटी ने बताया कि बिहार में खेल को लेकर कोई खास माहौल नहीं है, खासकर लड़कियों को स्पोर्ट्स में पैरेंट्स भेजना नहीं चाहते। ये गलत बात है। पढ़ना भी जरुरी है, लेकिन खेल में भी हम अपना कैरियर बना सकते हैं। अपने राज्य का अपने देश का नाम रौशन कर सकते हैं।
खेल में आगे बढ़ने के लिए समर्पण और आत्मविश्वास की जरूरत होती है। साथ ही, घरवालों का सपोर्ट सबसे ज्यादा जरुरी है। मेरे माता-पिता ने कभी लड़की हो, ये नहीं कर सकती। ऐसा नहीं सोचा। मुझे हमेशा सपोर्ट किया। खेल में भी कैरियर के बहुत सारे ऑपशंस हैं। डॉक्टर-इंजीनियर के साथ ही क्रिकेट, हॉकी, या फुटबॉल के साथ ही अन्य खेलों को भी बढ़ावा मिलना चाहिए। आज बिहार भी किसी से पीछे नहीं है।