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कल जहां बसती थी खुशियां, आज है मातम वहां... तीन दिनों में ही विधवा हो गई छपरा की ये दुल्‍हन

छपरा से एक ऐसी खबर सामने आई है जिसे पढ़कर आपकी आंखें भी नम हो जाएंगी। शादी के महज तीन दिनों बाद ही विवाहिता की मांग का सिंदूर उजड़ गया। 16 मई की रात शादी हुई और 19 मई को पति की मौत हो गई।

By Vyas ChandraEdited By: Published: Sat, 21 May 2022 05:16 PM (IST)Updated: Sat, 21 May 2022 05:16 PM (IST)
कल जहां बसती थी खुशियां, आज है मातम वहां... तीन दिनों में ही विधवा हो गई छपरा की ये दुल्‍हन
तीन दिन पहले दुल्‍हन बनी संगीता अपने पति के साथ। फोटो-स्‍वजन

तरैया (सारण), संवाद सूत्र।  तीन दिन पहले जिस घर में शहनाई गूंज रही थी, आज उस घर में मातम छा गई है। जहां मंगल गीत की गूंज थी, वहां चित्‍कार की आवाज सुनाई दे रही है। दुल्हन की मेहंदी का रंग फीका पड़ा ही नहीं कि उससे पहले उसका सुहाग उजड़ गया। अचानक दूल्हे की तबीयत खराब हुई और उसकी मौत हो गई। घटना तरैया थाना क्षेत्र के चंचलिया गांव की है। रिश्‍तेदारों से भरे घर में अचानक आई विपदा हर किसी को मर्माहत कर गई है। 

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16 मई की रात गई थी बरात

रघुनाथ राय के पुत्र सुदीश कुमार राय की शादी 16 मई को छपरा के मेहिया माला के मोहरी गांव निवासी उत्तम राय की पुत्री संगीता के साथ हुई थी। 17 को दुल्हन को लेकर बरात आई। घर में खुशियों का माहौल था। इसी क्रम में 18 मई की रात में अचानक दूल्हे की तबीयत खराब हो गई। आनन-फानन में स्वजन उसे लेकर रेफरल अस्पताल तरैया पहुंचे। वहां चिकित्सकों ने दूल्हे का प्राथमिक उपचार कर सदर अस्पताल छपरा रेफर कर दिया। वहां से उपचार के एक दिन बाद चिकित्सकों ने पीएमसीएच रेफर कर दिया। पीएमसीएच में उपचार के दौरान 20 मई को दूल्हे की मौत हो गई।

मिर्गी की बीमारी का कराया गया था इलाज 

घटना की खबर मिलते ही स्वजनों में चीख पुकार मच गई। उससे पूरा गांव में मातम छाया हुआ है। दूल्हे की मां बदहवास है। वहीं दुल्हन रो-रोकर बेसुध पड़ी हुई है। शादी समारोह में आए सभी संगे संबंधी अभी वापस अपने घर नहीं लौटे थे, क्योंकि उसी घर में दूल्हे के चचेरे भाई की भी 26 मई को शादी होने वाली है, लेकिन शादी का माहौल गम में बदल गया है। दूल्हे के स्वजनों ने बताया कि 2009 में मैट्रिक उत्तीर्ण होने के बाद उनको मिर्गी की बीमारी हो गई थी। पीएमसीएच में उपचार के बाद वे बिल्कुल ठीक हो गए थे। उसके बाद जीविकोपार्जन के लिए बंगलुरु चले गए थे। वहां से आने के बाद घर पर मजदूरी और खेती करते थे। 


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