एक पिता की मजबूरी, बदल गए बच्चों के नाम, मजहब और परिवार, जानिए मामला
गरीबी से मजबूर एक पिता ने पत्नी की मौत के बाद अपने दोनों बच्चों को दूसरों की गोद में डाल दिया, ना जाति देखी ना धर्म। बच्चों के नाम परिवार और मजहब उसके सामने बदल गए। जानिए...
पटना, जेएनएन। एक मजबूर पिता ने गरीबी सेे तंग आकर अपने ही दो बच्चों की बेहतर परवरिश के लिए दूसरों को सौंप दिया। उसने ना जाति देखा ना धर्म। पहले पत्नी ने साथ छोड़ा फिर मजबूरीवश पिता को भी अपने बच्चों को दूसरों की गोद में देना पड़ा। वजह थी पत्नी की मौत और आर्थिक तंंगी।
एेसे मजबूर पिता की मजबूरी और हालात को समझा दो मुस्लिम परिवारों ने और इंसानियत के नाते दो परिवारों ने उसके दोनों बच्चों को गोद ले लिया। उनके लिए ना तो मजहब की दीवार सामने आयी और ना ही सामाजिक बंधन। आज दोनों बच्चे अपने नए मां-बाप के पास खुश हैं और बच्चों को खुश देख पिता भी खुश है कि उसके बच्चों को कम-से-कम मां-बाप दोनों का प्यार मिल रहा है।
ये घटना गोपालगंज जिले के कटेया थाना क्षेत्र के महंथवा गांव की है, जहां विनोद कुमार यादव की शादी पांच साल पहले रंभा देवी से हुई थी। शादी के बाद विनोद पत्नी के साथ खुश था। वह मेहनत-मजदूरी करता था और पत्नी की खुशी का पूरा ख्याल रखता था। दोनों की खुशहाल जिंदगी की गाड़ी चल रही थी।
दो साल पहले रंभा ने मुस्कान नाम की बेटी को जन्म दिया जिसे पाकर विनोद की खुशी दोगुनी हो गई। मुस्कान के बाद रंभा फिर से गर्भवती हुई। जैसे ही विनोद को पता चला कि वह दुबारा बाप बनने वाला है। वह खुश था रंभा को प्रसव वेदना हुई तो विनोद ने उसे अस्पताल में भर्ती कराया।
अस्पताल में रंभा की तबीयत बिगड़ने लगी तो विनोद के पास जो कुछ भी जमापूंजी थी, उसने पत्नी की जिंदगी बचाने में लगा दी। लेकिन बेटे राज को जन्म देने के बाद रंभा विनोद को छोड़कर इस दुनिया से दूर चली गई। इसके बाद विनोद की पूरी दुनिया ही उजड़ गई। एक तरफ बेटी और फिर नवजात बेटा, विनोद क्या करे उसे समझ में नहीं आ रहा था।
बच्चों की बेहतर परवरिश को लेकर विनोद ने खुद की दूसरी शादी करने की जगह बच्चों को वैसी गोद में देने का फैसला किया, जिनकी गोद सुनी थी। इसी दौरान, भोरे थाने के रामपुर चकरवां गांव के दो परिवारों ने विनोद से मुलाकात की और दोनों बच्चों को गोद देने की बात कही। हालांकि दोनों के मजहब अलग थे। लेकिन, मजबूरी सामने थी।
विनोद ने भोरे थाना क्षेत्र के रामपुर चकरवां गांव के वकील अंसारी की पत्नी मुर्शीद खातून को बेटा दे दिया और इम्तियाज अंसारी की पत्नी मैजूद नेशा को अपनी बच्ची मुस्कान सौंप दी। यह कार्य पंचायत के मुखिया उमेश बैठा, गोपाल भगत, हंसनाथ मांझी, राजेंद्र भगत, राम कुमार प्रसाद, दिनेश चौधरी, राजू सिंह के सामने किया।
पंचों की राय के बाद बच्चों को सौंपने का एक समझौता पत्र भी बनाया गया। इसमें विनोद ने लिखा है कि आज के बाद बच्चों से उसका कोई सरोकार नहीं होगा।