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2 लाख की बजाए अब तक 99 हजार टीबी मरीजों की हुई पहचान, 2025 तक बीमारी समाप्त करने पर सवाल Patna News

स्वास्थ्य महकमा प्रदेश के टीबी मरीजों की खोज कर पाने में असफल दिखाई दे रहा है। तय लक्ष्य से आधे टीबी मरीज अबतक नहीं मिल पाए हैं।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Sun, 08 Dec 2019 08:35 AM (IST)Updated: Sun, 08 Dec 2019 08:35 AM (IST)
2 लाख की बजाए अब तक 99 हजार टीबी मरीजों की हुई पहचान, 2025 तक बीमारी समाप्त करने पर सवाल Patna News
2 लाख की बजाए अब तक 99 हजार टीबी मरीजों की हुई पहचान, 2025 तक बीमारी समाप्त करने पर सवाल Patna News

नीरज कुमार, पटना। केंद्र सरकार ने पूरे देश से 2025 तक टीबी समाप्त करने के लिए लक्ष्य निर्धारित किया है, लेकिन जिस तरह से प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग की तैयारी चल रही है, उससे नहीं लगता की प्रधानमंत्री का संकल्प पूरा हो पाएगा। राज्य सरकार का स्वास्थ्य महकमा प्रदेश के आधे टीबी मरीजों को भी नहीं खोज पा रहा है।

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आधे से भी कम की हुई खोज

सरकार ने प्रदेश में इस वर्ष 2 लाख 10 हजार टीबी मरीजों की खोज करने का लक्ष्य निर्धारित किया था, लेकिन इस वर्ष अब तक मात्र 99 हजार मरीजों की ही खोज हो पाई है। विशेषज्ञों का कहना है कि देश में प्रति लाख 199 टीबी मरीजों की संख्या होनी चाहिए। इसी संख्या में राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में टीबी मरीज फैले हैं। लेकिन राज्य सरकार का स्वास्थ्य महकमा अब तक प्रति लाख मात्र 97 टीबी मरीजों को ही खोज पाया है।

अधिकतर को नहीं पता अपना रोग

जिन मरीजों की खोज हो चुकी है, उनका इलाज चल रहा है। परंतु जिन मरीजों को अब तक खोज नहीं हुई है, उनका इलाज नहीं हो पा रहा है। इसमें कई ऐसे भी मरीज हैं, जिन्हें स्वयं पता नहीं है कि वे टीबी के मरीज हैं और टीबी का शिकार होने के बावजूद अन्य बीमारियों के दवा खाने को मजबूर हैं।

व्यापक अभियान चलाने की योजना

राज्य में अब तक कुल 99 हजार टीबी मरीजों की पहचान हुई है। उसमें से 62 हजार मामले सार्वजनिक क्षेत्र में एवं 36 हजार टीबी मरीजों की पहचान निजी क्षेत्र में हुई थी। सरकार ने टीबी मरीजों की पहचान के लिए व्यापक अभियान चलाने की योजना बनाई है।

पीएमसीएच में नहीं बना एमडीआर वार्ड

राज्य के कोने-कोने से टीबी मरीज पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में आते हैं। लेकिन यहां पर टीबी मरीजों को परेशान किया जाता है। जैसे ही यहां किसी टीबी मरीज की पहचान होती है, उन्हें अस्पताल से बाहर दूसरे संस्थान में रेफर कर दिया जाता है। यहां पर एमडीआर वार्ड बनाने की योजना लंबे समय से ठंडे बस्ते में है। सरकार की ओर से बार-बार कहा जाता है कि जल्द एमडीआर वार्ड बन जाएगा। मगर इसकी सुविधा मरीजों को कब मिलेगी कहना मुश्किल है।


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