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पटना विवि के सौवें स्थापना दिवस पर दीक्षा समारोह, 81 स्‍टूडेंट्स को मिले गोल्ड मेडल

बिहार का पटना विवि रविवार को सौ साल का हो गया। इसके सौवें स्थापना दिवस पर दीक्षा समारोह का आयोजन किया गया। इसमें 81 स्‍टूडेंट्स को गोल्ड मेडल दिए गए।

By Amit AlokEdited By: Published: Sun, 01 Oct 2017 11:25 PM (IST)Updated: Sun, 01 Oct 2017 11:27 PM (IST)
पटना विवि के सौवें स्थापना दिवस पर दीक्षा समारोह, 81 स्‍टूडेंट्स को मिले गोल्ड मेडल
पटना विवि के सौवें स्थापना दिवस पर दीक्षा समारोह, 81 स्‍टूडेंट्स को मिले गोल्ड मेडल

पटना [जेएनएन]। पटना विश्वविद्यालय के 100वें स्थापना दिवस पर रविवार को 81 स्नातक उत्तीर्ण विद्यार्थियों को ऊर्जा मंत्री विजेंद्र प्रसाद यादव ने गोल्ड मेडल और सर्टिफिकेट प्रदान किए। इनमें 2016 में उत्तीर्ण विभिन्न विषयों के 41 में 28 तथा 2017 के 40 में 36 विद्यार्थी मेडल लेने पहुंचे। 2016 बैच के 41 में 36 तथा 2017 में 40 में से 31 गोल्ड मेडल छात्राओं ने अपने नाम किए।

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रविवार और मुहर्रम की छुट्टी के बावजूद स्थापना दिवस को लेकर विश्वविद्यालय हाफ टाईम तक खुला रहा। परीक्षा नियंत्रक डॉ. आरके मंडल ने बताया कि जो विद्यार्थी समारोह में शामिल नहीं हो सके, उनके गोल्ड मेडल और सर्टिफिकेट संबंधित कॉलेजों में भेज दिए जाएंगे।

टॉप-10 विवि में शामिल करने का लें संकल्प
इस अवसर पर ऊर्जा मंत्री ने कहा कि उनके दौर में पटना विश्वविद्यालय में नामांकन होना आसान नहीं था। आज भी पीयू सूबे के श्रेष्ठ विश्वविद्यालय में शामिल है। शताब्दी वर्ष में शिक्षक, कर्मी और विद्यार्थी इसके पुराने दिन पुराने दिन लौटाने का संकल्प लें। सभी के सहयोग से ही पीयू को दोबारा भारत के टॉप-10 विश्वविद्यालयों में शामिल किया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि शिक्षा के प्रति लगाव में कमी आई है। विश्वविद्यालय में शिक्षकों की हड़ताल और बच्चे के हिंसात्‍मक प्रतिरोध को जायज नहीं कहा जा सकता है। सूबा ज्ञान के मामले से प्राचीन काल से ही धनी रहा है। नालंदा और विक्रमशिला विश्वविद्यालय इसकी बानगी हैं। सुसंस्कृत समाज के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा अनिवार्य है। सूबे में गुरु-शिष्य की विरासत उच्च रही है।
हर क्षेत्र और प्रदेश को मिला छांव
कुलपति प्रो. रासबिहारी प्रसाद सिंह ने कहा कि रविवार को विवि 101वें साल में प्रवेश कर गया है। एक सौ साल पहले जिन्होंने इस विवि की बुनियाद रखी, आज हम उन्हें याद कर रहे हैं। उसी तरह सौ साल बाद हम नहीं रहेंगे, लेकिन हमलोगों के कार्यों को आगे की पीढ़ी याद करेगी।

उन्होंने कहा कि पीयू बरगद के समान है। इसकी छांव से हर क्षेत्र और प्रदेश लाभांवित होता रहा है। बीच के कुछ काल विश्वविद्यालय के लिए प्रतिकूल रहे। शताब्दी वर्ष में शिक्षकों, कर्मियों और छात्रों के सहयोग से पीयू को उसका गौरव लौटाने का काम शुरू कर दिया गया है।

उन्‍होंने बताया कि पटना साइंस कॉलेज के छात्र के नाम पर अंटार्टिका में एक शिखर का नाम रखा गया है। आजादी से लेकर अब एक भी ऐसा केंद्रीय कैबिनेट नहीं रहा, जिसमें पटना विश्वविद्यालय के छात्र शामिल नहीं रहे हों। कुलपति ने कहा कि शताब्दी वर्ष का आयोजन महाकुंभ के समान है। इसका निमंत्रण सभी को है।

कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत प्रोवीसी प्रो. डॉली सिन्हा तथा धन्यवाद ज्ञापन रजिस्ट्रार प्रो. रवींद्र कुमार ने किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. अतुल आदित्य पांडेय ने किया। मौके पर नालंदा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आरके सिन्हा, मगध विश्वविद्यालय के प्रोवीसी प्रो. केएन पासवान, छात्र संकायाध्यक्ष प्रो. एनके झा, प्रॉक्टर प्रो. जेके पलई, डिप्टी रजिस्ट्रार एन जमां, बीएन कॉलेज प्राचार्य प्रो. राजकिशोर प्रसाद, पटना कॉलेज के पूर्व प्राचार्य प्रो. नवल किशोर चौधरी, डॉ. रामजीवन यादव, प्रो. आर्या सहित वरीय प्रोफेसर, विभागाध्यक्ष, कर्मी और अभिभावक मौजूद थे। 
 


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