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74 साल पहले आज के ही दिन शहीद हुए थे बिहार के ये सात सपूत...

11 अगस्त 1942 को पटना में सचिवालय पर तिरंगा फहराने के दौरान फिरंगी हुकूमत की गोलियों से सात छात्र शहीद हो गए थे। शहादत दिवस पर आज राष्ट्र उन्हें याद कर रहा है।

By Amit AlokEdited By: Published: Thu, 11 Aug 2016 01:49 PM (IST)Updated: Thu, 11 Aug 2016 03:42 PM (IST)
74 साल पहले आज के ही दिन शहीद हुए थे बिहार के ये सात सपूत...
74 साल पहले आज के ही दिन शहीद हुए थे बिहार के ये सात सपूत...

पटना [प्रभात रंजन]। आज ही दिन 1942 में ब्रिटिश हुकूमत को चुनौती देते हुए सूबे के सात लाल पुलिस की गोलियों से छलनी कर दिए गए थे। बापू के आह्वान पर अगस्त क्रांति में शामिल हो गए और सचिवालय पर तिरंगा फहराने की कोशिश करते हुए शहीद हो गए। भारत माता के नाम पर अपने प्राणों की आहूति दे दी। हमारी आजादी के लिए घर-परिवार भूल गए। अफसोस कि आज उन्हीं शहीदों को हम सब भूल रहे हैं।
आज 11 अगस्त को उनकी स्मृति एक रस्म अदायगी बनकर रह गई है। सातों युवा पटना के स्कूल-कॉलेजों के छात्र थे। और जगह कौन कहे, उनके स्कूल-कॉलेज भी उन्हें याद रखने को तैयार नहीं। सात में से पांच की कोई तस्वीर नहीं है उनके संस्थान में। उनसे जुड़े तमाम रिकॉर्ड नष्ट हो चुके हैं।
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एक के बाद एक होते गए थे शहीद
साल 1942 में अगस्त क्रांति के दौरान 11 अगस्त को समय दो बजे पटना सचिवालय पर झंडा फहराने निकले लोगों में से सातों युवा पर जिलाधिकारी डब्ल्यूजी आर्थर के आदेश पर पुलिस ने गोलियां चलाईं। सबसे पहले जमालपुर गांव के 14 वर्षीय को पुलिस ने गोली मार दी गई।
देवीपद को गिरते पुनपुन के दशरथा गांव के राम गोविंद सिंह ने तिरंगे को थामा और आगे बढऩे लगे। उन्हें भी गोली का शिकार होना पड़ा। साथी को गोली लगते देख रामानंद, जिनकी कुछ दिन पूर्व शादी हुई थी, आगे बढऩे लगे। उन्हें भी गोली मार दी।
गर्दनीबाग उच्च विद्यालय में पढऩे वाले छात्र राजेन्द्र सिंह तिरंगा फहराने को आगे बढ़े लेकिन वह सफल नहीं हुए। उन्हें भी गोलियों से ढेर कर दिया गया। तभी राजेन्द्र सिंह के हाथ से झंडे लेकर बीएन कॉलेज के छात्र जगतपति कुमार आगे बढ़े। जगतपति को एक गोली हाथ में लगी और दूसरी गोली छाती में तीसरी गोली जांघ में। इसके बावजूद तिरंगे को झुकने नहीं दिया।
तब तक तिरंगे को फहराने को आगे बढ़े उमाकांत। पुलिस ने उन्हें भी गोली का निशाना बनाया। उन्होंने गोली लगने के बावजूद सचिवालय के गुंबद पर तिरंगा फहरा दिया।
ये थे आजादी के सात दीवाने
उमाकांत प्रसाद सिंह : राम मोहन राय सेमेनरी स्कूल में नौवीं कक्षा के छात्र थे। वह सारण जिले के नरेंद्रपुर गांव के निवासी थे।
सतीश प्रसाद झा : पटना कॉलेजिएट के 10वीं कक्षा के छात्र थे। भागलपुर जिले के खडहरा के रहने वाले थे।
रामानंद सिंह : राम मोहन राय सेमेनरी स्कूल में नौवीं कक्षा के छात्र थे। पटना जिले के शहादत गांव के रहने वाले थे।
देवीपद चौधरी : मिलर हाई स्कूल के नौवीं कक्षा के छात्र थे। सिलहट जमालपुर के रहने वाले थे।
राजेन्द्र सिंह : पटना हाई स्कूल में 10वीं कक्षा के छात्र थे। सारण जिले के बनवारी गांव के रहने वाले थे।
राम गोविंद सिंह : पुनपुन हाई स्कूल के 10वीं के छात्र थे। पटना अंतर्गत दशरथा के रहने वाले थे।
जगतपति कुमार : बीएन कॉलेज में सेकेंड इयर के स्टूडेंट थे। औरंगाबाद जिले के खराठी गांव के रहने थे।
स्कूलों में भी बस एक दिन की स्मृति
शहीदों के स्कूलों-कॉलेजों में उनकी स्मृति के रूप में प्रतिमाएं स्थापित की गईं। हालांकि राममोहन राय सेमेनरी में केवल शिलापट लगा है। हर वर्ष 11 अगस्त को स्कूलों में शिक्षक और छात्र इन पर फूल अर्पण कर नमन करते है। कुछ स्कूलों में इन सपूतों पर चर्चा होने के साथ बच्चों को इनके जैसा बनने की बात कही जाती है। दिवस खत्म होते ही न तो छात्रों की रूचि जानने की होती है और न शिक्षकों को बताने की।
स्कूलों में इनके बारे में न तो चर्चा होती है और न विस्तृत जानकारी दी जाती है। जिन स्कूलों में शहीदों की प्रतिमा लगी है, वहां पर पढऩे वाले बच्चे भी इन चीजों में रुचि नहीं रखना चाहते। बड़ी वजह प्रेरणा का अभाव है।
सिलेबस से निकाल दिए गए देवीपद
मिलर हाई स्कूल का नाम देवीपद मिलर हाई स्कूल कर दिया गया। प्राचार्य सोफिया खातून के अनुसार, वहां के सिलेबस में पांच साल पहले पाठ्यक्रम में देवीपद चौधरी का जिक्र था। उसके बाद सरकार ने सिलेबस बदल दिया। नए सिलेबस से देवीपद चौधरी को हटा दिया गया। बाकी अन्य शहीदों के साथ भी यही कहानी दुहराई गई। किसी का कभी जिक्र ही नहीं हुआ या हुआ तो फिर हटा दिया गया।
शहादत दिवस के दिन होती है सफाई
स्कूलों में बनी शहीदों की प्रतिमा पर भी साल में एक बार साफ-सफाई होती है। शहादत दिवस मनाने के बाद प्रतिमा को साफ रखने का ध्यान किसी का नहीं जाता। इसके कारण प्रतिमा का स्वरूप बिगड़ता जा रहा है।
कहते हैं उनके स्कूलों के प्राचार्य व शिक्षक
''स्कूल की स्मारिका में सात शहीदों की जानकारी दी गई थी। इधर स्मारिका का प्रकाशन न होने से बच्चों को जानकारी नहीं मिल रही। प्रतिवर्ष 11 अगस्त को शहीद दिवस स्कूल में मनाया जाता है और बच्चों को इसके बारे में बताया जाता है। पांच साल पहले नए सिलेबस से शहीद देवीपद चौधरी को हटा दिया गया।''
- सोफिया खातून (प्राचार्य मिलर हाई स्कूल, पटना)
''अगस्त क्रांति के मौके पर स्कूल में बनी राजेन्द्र सिंह की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर बच्चों को इनके जीवनी से रूबरू कराते हैं। कम उम्र में देश सेवा का जुनून आदि विषयों से अवगत कराते हैं। हमारे यहां सिलबेस में इनकी जीवनी से जुड़ा कुछ नहीं है। इसके कारण बच्चों को विस्तार से जानकारी नहीं मिल पाती।''
- रामचंद्र चौधरी (सहायक प्राचार्य, पटना हाई स्कूल)
''हमारे स्कूल में शहीद उमाकांत प्रसाद सिंह एवं रामानंद सिंह से जुड़ी कोई बात पाठ््यक्रम में नहीं है। अगस्त क्रांति के मौके पर बच्चों को इनके जीवनी पर प्रकाश डालकर प्रेरित करते है। शहीदों को नमन करते हैं।''
- डॉ. एस साहा (प्राचार्य, राम मोहन राय सेमनरी स्कूल, पटना)
''हर साल बच्चों को सात शहीदों के बारे में बताते हैं। नेशनल मूवमेंट विषय में वर्ग आठ के पाठ्यक्रम में सात शहीदों का जिक्र किया गया है। इसमें स्कूलों के साथ शहीदों के नाम लिखे हैं। सतीश प्रसाद झा के बारे में बच्चों को सारी जानकारी देते हैं। प्रतिवर्ष इनकी प्रतिमा पर पुष्प चढ़ा कर नमन करते हैं।''
- डॉ. माधुरी द्विवेदी (प्राचार्य, पटना कॉलेजिएट, पटना)
''बिहार नेशनल कॉलेज शहादत के लिए जाना जाता रहा है। प्रतिवर्ष शहादत दिवस पर छात्रों को शहीद जगतपति व शहीद महेश्वर की जीवनी से रूबरू कराते है। कॉलेज ने आजादी के आंदोलन में कई लाल देश के लिए न्यौछावर कर दिया।''
- डॉ. राजकिशोर प्रसाद (प्राचार्य, बीएन कॉलेज, पटना)

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