Move to Jagran APP

70 साल पुराना विद्युत शुल्क कानून निरस्त, सरकार को सालाना 300 करोड़ राजस्व की उम्मीद

बिहार में विद्युत शुल्‍क विधेयक 2018 को मंजूरी मिल गई। इसके साथ ही 70 साल पुराना विद्युत शुल्‍क कानून निरस्‍त हो गया। इससे बिहार को सलाना 300 करोड़ राजस्‍व मिलने की उम्‍मीद है।

By Ravi RanjanEdited By: Published: Thu, 29 Mar 2018 12:46 PM (IST)Updated: Thu, 29 Mar 2018 09:40 PM (IST)
70 साल पुराना विद्युत शुल्क कानून निरस्त, सरकार को सालाना 300 करोड़ राजस्व की उम्मीद
70 साल पुराना विद्युत शुल्क कानून निरस्त, सरकार को सालाना 300 करोड़ राजस्व की उम्मीद

पटना [राज्य ब्यूरो]। विधानसभा में बुधवार को बिहार विद्युत शुल्क विधेयक-2018 को मंजूरी मिल गई। इसके साथ ही 1948 के विद्युत शुल्क कानून को निरस्त करने के प्रस्ताव को भी स्वीकार कर लिया गया। उपमुख्यमंत्री सह वाणिज्य कर मंत्री सुशील कुमार मोदी ने सदन को बताया कि पुराने कानून के तहत बिजली की बिक्री के प्रत्येक चरण पर विद्युत शुल्क लगता है।

loksabha election banner

नए विधेयक में इस व्यवस्था को समाप्त कर केवल अंतिम चरण में उपभोक्ता से विद्युत शुल्क लेने की व्यवस्था की गई है। उनके मुताबिक, पूर्व की भांति नए अधिनियम में भी विद्युत शुल्क को जीएसटी से बाहर रखने का प्रावधान किया गया है। विद्युत शुल्क से सालाना 300 करोड़ रुपये के राजस्व संग्रह की उम्मीद है। चालू वित्तीय वर्ष में फरवरी तक 174 करोड़ रुपये वसूल हुए हैं।

सुशील कुमार मोदी ने कहा कि हाल के वर्षों में विद्युत उत्पादन का क्षेत्र निजी क्षेत्र के लिए भी खोल दिया गया है। बिहार राज्य विद्युत बोर्ड का पांच कंपनियों में विभाजन भी हो चुका है। अब हम सीधे खुले बाजार से बिजली की खरीद कर सकते हैं।

ऐसे में आवश्यक था कि नई जरूरतों के मद्देनजर अधिनियम में बदलाव किए जाएं। महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश जैसे राज्य पहले ही अपने विद्युत शुल्क अधिनियम में परिवर्तन कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि इस नए विधेयक के पारित होने से जनता पर कोई अतिरिक्त बोझ नहीं आएगा। पुराने और नए एक्ट की तुलना करते हुए उन्होंने कहा कि फर्क यह है कि 1948 के कानून में निजी क्षेत्र का उल्लेख नहीं था। पहले ऊर्जा की बिक्री करने वाले और इसका उपभोग करने वाले, दोनों पर ही टैक्स लगता था, अब केवल उपभोग करने वाले को शुल्क देना होगा।

पुराने एक्ट में पावर ट्रेडिंग और एक्सचेंज आफ पावर का प्रावधान नहीं थो, जबकि नए प्रस्तावित विधेयक में इनका स्पष्ट जिक्र है। आरंभ में इस विधेयक को लेकर विपक्ष की ओर से 61 संशोधन प्रस्ताव आए जो नामंजूर हो गए। अधिकांश संशोधन प्रस्ताव रामदेव राय ने पेश किए, जबकि समीर कुमार महासेठ ने सिद्धांत पर विमर्श का प्रस्ताव दिया। बिहार विद्युत शुल्क विधेयक-2018 को सदन ने ध्वनि मत से स्वीकृति प्रदान कर दी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.