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जिले के 50 फीसद हाईस्कूलों में नहीं है खेल का मैदान

जिले के आधे से अधिक हाईस्कूलों में खेल का मैदान नहीं है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 18 Mar 2020 01:45 AM (IST)Updated: Wed, 18 Mar 2020 06:08 AM (IST)
जिले के 50 फीसद हाईस्कूलों में नहीं है खेल का मैदान
जिले के 50 फीसद हाईस्कूलों में नहीं है खेल का मैदान

पटना। जिले के आधे से अधिक हाईस्कूलों में खेल का मैदान नहीं है। राज्य सरकार की ओर से जारी बच्चों के सर्वागीण विकास का नारा फाइलों में ही गूंज रहा है। जिले में 417 हाईस्कूल हैं। इसके अलावा 164 मध्य विद्यालयों को हाईस्कूलों में उत्क्रमित कर एक अप्रैल से उनमें भी नौवीं की पढ़ाई शुरू होगी। इन उत्क्रमित मध्य विद्यालयों में भी अधिकांश में खेल का मैदान नहीं है। ऐसे स्कूल राजधानी में भी हैं, जहां बच्चों के लिए खेल के मैदान नहीं हैं।

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सचिवालय से महज एक किलोमीटर की दूरी पर ही राम लखन सिंह यादव हाईस्कूल, बांकीपुर ग‌र्ल्स स्कूल एवं बीएन कॉलेजिएट सहित कई स्कूलों में खेल का मैदान नहीं है। यहां पर जो जमीन है, वहां पर भवन बना हुआ है। अब सवाल उठता है कि हाईस्कूलों की मान्यता के लिए सरकार ने दो एकड़ जमीन निर्धारित कर रखी है, लेकिन इन स्कूलों को बिना मानक के ही मान्यता कैसे प्रदान कर दी गई। जिन अधिकारियों ने मानकों को नजरअंदाज कर मान्यता दी, क्या उनके खिलाफ कार्रवाई की गई।

राजकीय स्कूलों में पहले से है खेल का मैदान: राजधानी के राजकीय स्कूलों में ही खेल का मैदान है। अधिकांश राजकीय स्कूलों की स्थापना आजादी के पूर्व हुई है। जिला कार्यक्रम अधिकारी नीरज कुमार का कहना है कि जिले के लगभग आधे स्कूलों में खेल का मैदान नहीं है। अधिकांश स्कूलों में जमीन की कमी महसूस की जा रही है। खासकर शहरों में तो जमीन की कमी के कारण स्कूलों का विस्तार नहीं हो पा रहा है। इससे छात्रों को भी परेशानी हो रही है। खेलने की सुविधा नहीं मिलती है।


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