दस महीने का काम तीन साल बाद भी अधूरा, लागत दोगुनी
संजय गांधी जैविक उद्यान में बनने वाले थ्री डी थियेटर के निर्माण में लगातार विलंब होता जा रहा है।
पटना । संजय गांधी जैविक उद्यान में बनने वाले थ्री डी थियेटर के निर्माण में लगातार विलंब होता जा रहा है। भवन निर्माण की लागत लगभग दोगुनी हो गई है। साढ़े तीन करोड़ की लागत से बनने वाले थ्री डी थियेटर की लागत अब सात करोड़ हो गई है। इस भवन का निर्माण हाइडा (आधारभूत संरचना विकास प्राधिकार) करा रहा है।
उद्यान में थ्री डी थियेटर का निर्माण वन्य प्राणियों पर फिल्म दिखाने के उद्देश्य से किया जा रहा है। इसका निर्माण कार्य फरवरी 2015 में शुरू हुआ और दस माह के अंदर पूरा करने की घोषणा की गई थी। इसके पहले कई वर्षो तक विभागीय स्तर पर इसके लिए केवल फाइलें ही दौड़ लगाती रही। आखिर में हाइडा ने योजना का कार्य लिया और लागत बढ़ते चली गई।
भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के राष्ट्रीय विज्ञान संग्रहालय को थ्री-डी थियेटर के अंदर साज-सज्जा करने से लेकर सभी कार्यो को पूरा करना है। अब तक हाइडा से भवन हैंडओवर नहीं लिया गया। 1.25 करोड़ रुपये आंतरिक भाग में कार्य के लिए सौंप दिया गया है। निर्माण कार्य में विलंब होने से लागत बढ़ते जा रही है। इसे दुर्गापूजा के पहले चालू करने का लक्ष्य पूरा होते नजर नहीं आ रहा है। संजय गांधी जैविक उद्यान के निदेशक थ्री डी थियेटर के कार्य में तेजी लाने के प्रयास में जुट गए हैं।
यह भी चर्चा का विषय है कि विभागीय कार्य में लागत दोगुनी हुई होती तो कई अधिकारियों की नौकरी चली जाती। निशाचर भवन के निर्माण के हाल से सबके सब परिचित हैं। वर्ष 2000 तक 32 लाख की लागत से निशाचर भवन बनकर चालू हो जाना था। 28 लाख रुपये खर्च के बाद भी भवन अधूरा ही रहा। आखिर में राशि गबन का मामला उजागर हो गया। 17 साल तक निशाचर भवन अधूरा रह गया। 17 वर्षो के बाद 60 लाख रुपये खर्च कर निशाचर भवन का निर्माण पूरा किया गया। तत्काल इसका काम जारी रखा गया होता तो निशाचर भवन केवल दो-तीन लाख अधिक राशि लगने के साथ पूरा हो गया होता।