FSL जांच के लिए 3099 सैंपल लंबित, सबसे ज्यादा मुजफ्फरपुर में, राजगीर में जल्द शुरू होगी लैब
सबसे ज्यादा 1551 सैंपल लंबित हैं मुजफ्फरपुर एफएसएल में। पटना के विधि विज्ञान प्रयोगशाला में 1335 सैंपल जांच के इंतजार में हैं। वहीं 213 सैंपल भागलपुर के एफएसएल में पड़े हैं। इसको लेकर बिहार सरकार के गृह विभाग ने जरूरी निर्देश दिए हैं।
पटना, राज्य ब्यूरो। राज्य के तीन विधि विज्ञान प्रयोगशाला (Forensic Science Laboratory) में तीन हजार से अधिक सैंपल जांच के लिए लंबित हैं। इनमें सबसे अधिक सैंपल मुजफ्फरपुर एफएसएल (FSL) में लंबित हैं। गृह विभाग ने एफएसएल जांच की समीक्षा करते हुए पुलिस मुख्यालय को लंबित जांचों को जल्द पूरा करने का निर्देश दिया है। अपराध अनुसंधान विभाग (CID) के डीआइजी को एफएसएल लैब का निरीक्षण कर आवश्यक कार्रवाई करने को भी कहा है। दरअसल, पुलिस अपराधिक कांडों के वैज्ञानिक व तकनीकी जांच के लिए विधि विज्ञान प्रयोगशाला में सैंपल भेजती है।
तीन एफएसएल लैब में लंबित पड़े हैं सैंपल
अभी राज्य में पटना, मुजफ्फरपुर और भागलपुर में तीन एफएसएल कार्यरत हैं। गृह विभाग को मिली रिपोर्ट के अनुसार, पटना एफएसएल में अगस्त तक लंबित सैंपल की संख्या 1451 थी जो मध्य सितंबर तक 1335 रह गई है। मुजफ्फरपुर एफएसएल में लंबित सैंपल की संख्या 1551 है। इसी तरह भागलपुर एफएसएल में भी लंबित सैंपल की संख्या अगस्त में 199 थी जो अब बढ़कर 213 हो गई है। गृह विभाग ने लंबित सैंपल के जल्द निष्पादन के लिए राजगीर के क्षेत्रीय विधि विज्ञान प्रयोगशाला में सैंपल की जांच अविलंब शुरू करने को कहा है। इसके लिए आवश्यक उपकरणों को भी अधिष्ठापित करने का निर्देश दिया गया है।
जिलों के पुलिस लाइन में खुलेगी एफएसएल लैब
तकनीकी व वैज्ञानिक अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए सभी प्रमंडलीय मुख्यालयों में विधि विज्ञान प्रयोगशाला (एफएसएल) सृजन को स्वीकृति दी गई है। इसके अलावा सभी जिलों में भी एफएसएल लैब की स्थापना का प्रस्ताव है। इसके लिए शेष 28 जिलों के स्थानीय पुलिस लाइन परिसर में एफएसएल लैब के लिए भूमि चिह्नित करने का निर्देश दिया गया है।
छह करोड़ रुपये खर्च का मिला प्रस्ताव
समीक्षा बैठक में बताया गया कि केंद्रीय अनुदान की छह करोड़ 12 लाख की राशि खर्च करने के लिए प्रस्ताव प्राप्त हुआ है। गृह विभाग ने सीआइडी को मानव संसाधन के लिए कर्णांकित 12 लाख रुपये खर्च करने के लिए विस्तृत ब्योरा उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही सीआइडी के एडीजी को इंज्यूरी रिपोर्ट के पोर्टल एवं साफ्टवेयर विकसित करने के लिए आवश्यक कार्रवाई का निर्देश दिया गया है।