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पटना के 30% बच्चे ये दो समस्या लेकर डाक्टर के पास पहुंच रहे, लापरवाही पर बचपन में हो सकती है गंभीर बीमारी

पीएमसीएच समेत अस्पतालों में जितने बच्चे इलाज कराने पहुंच रहे हैं उनमें से औसतन 30 प्रतिशत एलर्जी व सांस की समस्या है। एलर्जी व सांस की इन समस्याओं का अभी स्थायी निराकरण नहीं किया गया तो वे बचपन में ही अस्थमा और ब्रांकाइटिस की चपेट में आ सकते हैं।

By Pawan MishraEdited By: Akshay PandeyPublished: Thu, 24 Nov 2022 05:02 PM (IST)Updated: Thu, 24 Nov 2022 05:02 PM (IST)
पटना के 30% बच्चे ये दो समस्या लेकर डाक्टर के पास पहुंच रहे, लापरवाही पर बचपन में हो सकती है गंभीर बीमारी
सांस और एलर्जी की समस्या से जूझ रहे बच्चे। सांकेतिक तस्वीर।

जागरण संवाददाता, पटना : ठंड में हर वर्ष सर्दी-खांसी, बुखार, निमोनिया, कोल्ड डायरिया समेत कई प्रकार के वायरल-बैक्टीरियल संक्रमण शिकंजा कस देते हैं। कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता के कारण बच्चे और बुजुर्ग आसानी से इसकी चपेट में आ जाते हैं। आजकल पीएमसीएच समेत अस्पतालों के शिशु रोग विभाग में जितने बच्चे इलाज कराने पहुंच रहे हैं, उनमें से औसतन 30 प्रतिशत एलर्जी व सांस की समस्या है। डाक्टर ठंड में लापरवाही के साथ इसका प्रमुख कारण बढ़ते वायु प्रदूषण को भी मान रहे हैं।

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अस्थमा और ब्रांकाइटिस की चपेट में आ सकते हैं

यही नहीं यदि बच्चों को एलर्जी व सांस की इन समस्याओं का अभी स्थायी निराकरण नहीं किया गया तो वे बचपन में ही अस्थमा और ब्रांकाइटिस की चपेट में आ सकते हैं। अभिभावक बच्चों का नियमित टीकाकरण, घर के बाहर मास्क पहना कर भेजने और यदि घर वायु प्रदूषित इलाके में है ह्यूमिडिफायर से कमरों की हवा को सांस लेने लायक बनाकर रखें ताकि कम उम्र में बच्चों के फेफड़े कमजोर नहीं होने पाएं। ये बातें पीएमसीएच में शिशु रोग के विभागाध्यक्ष और आइजीआइसी के शिशु रोग विशेषज्ञ डा. एनके अग्रवाल ने कहीं।

बच्चों की सुरक्षा के लिए सतर्कता बहुत जरूरी

डा. एके जायसवाल ने बताया कि निमोनिया-फ्लू के टीका दिलाकर और मास्क पहनाकर काफी हद तक बड़े बच्चों को ठंडजनित इन रोगों से बचाया जा सकता है। छोटे बच्चों की सुरक्षा के लिए सतर्कता बहुत जरूरी है। कहीं शिशु हाइपोथर्मिया से पीड़ित तो नहीं है इसे पहचानना जरूरी है। यदि बच्चा दूध नहीं पिए, रात को चौंके, चिड़चिड़ा हो जाएं तो डाक्टर से परामर्श लेना चाहिए। तापांतर से छोटे बच्चों के शरीर का मेटाबालिज्म सिस्टम गड़बड़ा जाता है।

निमोनिया व अस्थमा तक की शिकायत

वहीं डा. एनके अग्रवाल ने बताया कि ठंड में नमी के कारण 2.5 माइक्रोन के पार्टिकल्स नीचे आकर सांस के साथ शरीर में चले जाते हैं। इससे बच्चों को गले में दर्द व कफ, जुकाम, सिरदर्द, सीने में जकड़न से लेकर चिड़चिड़ेपन की समस्या बढ़ जाती है। अधिक समय तक दूषित हवा में रहने पर सांस लेने में तकलीफ, सिर व सीने में दर्द, आंखों में जलन व भूख कम होने की भी समस्या होती है। इनका इलाज नहीं कराने पर निमोनिया व अस्थमा तक की शिकायत हो सकती है।

   इनका रखें ध्यान, स्वस्थ रहेंगे बच्चे :

  • - घर से बाहर जाने पर बच्चों को मास्क या नेजल मास्क पहनाएं।
  • - बाहर निकलते समय अधिक ठंड का अहसास नहीं होने पर भी गर्म कपड़े पहना कर रखें।
  • - बच्चों को गर्म-ताजा भोजन व गुनगुना पानी दें, फ्रिज में रखी कोई भी चीज सीधे खाने को नहीं दें।
  • - विटामिन सी वाले फल आंवला, संतरा, नींबू, अमरूद आदि व हरी सब्जियों को भोजन में शामिल करें ताकि इम्यून पावर मजबूत रहे।
  • - ठंड में बच्चों के कम पानी पीने से भी कई समस्या होती है, इसलिए अधिक से अधिक तरल पदार्थ पिलाएं। सोते समय हल्दी वाला दूध भी लाभदायक है।
  • - खाने में लहसुन, अदरक के साथ गुड़ से बनी चीजों या गुड़ का सेवन भी उपयोगी है। इससे प्रदूषण का असर कम होता है।
  • - यदि बच्चे को सांस संबंधी एलर्जी की समस्या पहले से है तो उसे प्रदूषित जगहों से दूर रखें व उसका कुछ असामान्य लक्षण दिखने पर डाक्टर से मिलें।
  • - सांस की समस्या से पीड़ित बच्चों को शाम के समय भाप दिलाने के साथ डाक्टर द्वारा दी दवाएं या इन्हेलर समय पर देते रहें।

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