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कुलपति बोले- अब कोई रास्‍ता नहीं बचा, सीएम से मिलकर दे दूंगा इस्‍तीफा; बिहार के विश्‍वविद्यालयों में भ्रष्‍टाचार का मामला

Corruption in Universities of Bihar इस मामले में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी राज्यपाल से जांच कराने का आग्रह किया था। वहीं 19 दिसंबर को कुलपति ने इस मामले को लेकर एक आंतरिक जांच कमेटी भी गठित की थी।

By Shubh Narayan PathakEdited By: Published: Tue, 07 Dec 2021 07:27 AM (IST)Updated: Tue, 07 Dec 2021 07:27 AM (IST)
कुलपति बोले- अब कोई रास्‍ता नहीं बचा, सीएम से मिलकर दे दूंगा इस्‍तीफा; बिहार के विश्‍वविद्यालयों में भ्रष्‍टाचार का मामला
बिहार के विवि में भ्रष्‍टाचार का मामला। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

पटना, जागरण संवाददाता। बिहार के विश्‍वविद्यालयों में भ्रष्‍टाचार और मनमानी का मामला शांत होने का नाम नहीं ले रहा है। मौलाना मजहरूल हक अरबी-फारसी विवि के कुलपति प्रो. कुद्दुस ने कहा कि उन पर तरह-तरह से दबाव बनाया जा रहा है। गलत कार्य करने के लिए कहा जा रहा है। ऐसे में अब वह और कार्य करना संभव नहीं। वे जल्द ही मुख्यमंत्री से मुलाकात कर उन्हें पूरी जानकारी देते हुए इस्तीफा दे देंगे। कुलपति ने कहा कि विवि में राशि की बंदरबांट की जा रही है। उन्होंने इसकी शिकायत करते हुए जांच के लिए मुख्यमंत्री व राजभवन को पत्र लिखा। इसके बाद अब दवाब बनाया जा रहा है। सरकार से राशि नहीं आने के बाद भी कर्मचारियों को भुगतान के लिए दबाव बनाया जा रहा है।

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जांच कमेटी ने खड़े किए हाथ, राज्‍यपाल और सीएम को थी शिकायत

मौलाना मजहरूल हक अरबी-फारसी विवि में उत्तर पुस्तिका खरीद तथा सुरक्षा एजेंसी की टेंडर प्रक्रिया में अनियमितता को लेकर विवि स्तर पर बनी कमेटी के सदस्यों ने खुद को जांच से अलग कर लिया है। बीते 19 दिसंबर को कुलपति प्रो. कुद्दुस ने तत्कालीन प्रभारी कुलपति प्रो. एसपी सिंह द्वारा आनन-फानन में कई टेंडर प्रक्रिया को पूरा करने में अनियमितता बरते जाने का आरोप लगाते हुए इसकी विस्तृत जानकारी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार व राज्यपाल फागु चौहान को पत्र के माध्यम से दी थी।

मुख्‍यमंत्री ने भी राज्‍यपाल से किया था जांच कराने का आग्रह

इस मामले में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी राज्यपाल से जांच कराने का आग्रह किया था। वहीं 19 दिसंबर को कुलपति ने इस मामले को लेकर एक आंतरिक जांच कमेटी भी गठित की थी। इसमें अंग्रेजी के एसोसिएट प्रो. एजाज आलम, सहायक प्राध्यापक नेहा दूबे एवं नौशाद आलम को रखा गया था। लेकिन सभी सदस्यों ने निजी कारणों का हवाला देते हुए खुद को जांच से अलग कर लिया।


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