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पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय की किताब से ही आर्यभट्ट ज्ञान विश्‍वविद्यालय में भी होगी पढ़ाई

Education in Bihar पीपीयू की सीनेट में सोमवार को लग चुकी है मुहर एकेयू में पढ़ाई के लिए इस्‍तेमाल की जाएंगी पाटलिपुत्र विश्‍वविद्यालय की किताबें तत्कालीन कुलपति द्वारा खरीदी गईं साढ़े चार करोड़ की पुस्तकों पर लगी है मुहर

By Shubh Narayan PathakEdited By: Published: Tue, 26 Jan 2021 04:04 PM (IST)Updated: Tue, 26 Jan 2021 04:04 PM (IST)
पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय की किताब से ही आर्यभट्ट ज्ञान विश्‍वविद्यालय में भी होगी पढ़ाई
पाटलिपुत्र विवि सीनेट की बैठक में हुआ फैसला। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

पटना, जागरण संवाददाता। Bihar Education News: पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय (Patliputra University) में खरीदी गई किताब से छात्र अब आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय (एकेयू) में भी पढ़ाई कर सकेंगे। विश्वविद्यालय की ओर से आनन-फानन में करीब एक महीने पहले साढ़े चार करोड़ की किताबें खरीदी गई हैं। अब इन किताबों को एक कॉलेज के छात्रावास में रखा गया है। अब इन किताबों का उपयोग हो, इसके लिए विवि ने एकेयू विवि (Aryabhatta Knowledge University) में जगह किराए पर लेने की तैयारी की है। इसे पाटलिपुत्र विवि सीनेट की बैठक में फैसला किया जा चुका है।

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60 लाख रुपये मासिक किराये पर ली जाएगी जगह

इसके तहत पाटलिपुत्र विवि लगभग 60 लाख रुपये मासिक देकर एकेयू में जगह लिया जाएगा। इन जगहों पर पीपीयू की लाइब्रेरी के साथ पीजी सेंटर व परीक्षा विभाग के लिए भी उपयोग किया जाएगा। साथ ही खरीदी गई किताबों की भी स्वीकृति सीनेट से ली गई है। पाटलिपुत्र विवि की ओर से सीनेट की बैठक सोमवार की दोपहर 11 बजे से आयोजित की गई थी। इसमें लगभग एक दर्जन मुद्दों पर हरी झंडी दी गई। इसका मकसद विवि में संसाधनों के सही इस्‍तेमाल और पठन-पाठन को बेहतर बनाना है। इनमें कई फैसलों को अमलीजामा पहनाने में अभी वक्‍त लगेगा।

पुस्तक खरीदारी पर उठ चुका है मामला

पाटलिपुत्र विवि में लगभग साढ़े चार करोड़ की पुस्तक खरीदारी को लेकर राजधानी के कई विशेषज्ञ व छात्र संगठन भी सवाल उठा चुके हैं। बताया जाता है कि तत्कालीन कुलपति प्रो. जीसीआर जासवाल आनन-फानन में बगैर संसाधन के पुस्तकों की खरीदारी कर इसे एक कॉलेज के छात्रावास में रखवा दिया। पटना विवि के सेवानिवृत्त प्रोफेसर व बीपीएससी के पूर्व सदस्य प्रो. शिवजतन ठाकुर, छात्र जदयू, आइसा व विभिन्न संगठनों ने पीपीयू में हुई पुस्तक खरीदारी में गड़बड़ी को लेकर सवाल उठा चुके हैं। इनका कहना था कि बगैर संसाधन के अचानक इतनी बड़ी खरीदारी होना संदेह के घेरे में है।


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