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पटना हाईकोर्ट से एंटीसिपेटरी बेल लेना हुआ मुश्किल, छोटे-छोटे मामलों में भी जेल जा रहे लोग

Patna High Court News फिलहाल एंटीसिपेटरी बेल पर नहीं होगी सुनवाई जमानत के लिए लंबित मामलों की संख्या 12 000 से भी बड़ी कोरोना काल में न्‍याय पाना होता जा रहा मुश्किल जजों के पद रिक्‍त होने का भी असर

By Shubh Narayan PathakEdited By: Published: Fri, 22 Jan 2021 01:41 PM (IST)Updated: Fri, 22 Jan 2021 01:41 PM (IST)
पटना हाईकोर्ट से एंटीसिपेटरी बेल लेना हुआ मुश्किल, छोटे-छोटे मामलों में भी जेल जा रहे लोग
हाईकोर्ट में अग्रि‍म जमानत के मामलों की सुनवाई पर असर। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

पटना, राज्य ब्यूरो। कोरोना काल में पटना हाईकोर्ट से न्‍याय की आस लगाए बैठे लोगों को लगातार झटका लग रहा है। न्‍यायालय में जजों की कमी के कारण मामलों की सुनवाई पहले से ही प्रभावित है। कोरोना काल में कोर्ट बंद रहने और अब कोरोना गाइडलाइन का पालन करने की वजह से भी कोर्ट में पेंडिंग मामलों की संख्‍या बढ़ती जा रही है। पटना हाईकोर्ट में ऐसा पहली बार हुआ है कि अग्रिम जमानत (एंटीसिपेटरी बेल) की सुनवाई लगभग बंद कर दी गई हैl 

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रजिस्ट्रार लिस्ट के कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार अग्रिम जमानत मामले को सूचीबद्ध नहीं  जाने का आदेश मिला है l अग्रिम जमानत पर सुनवाई नहीं होने के कारण हर दिन दर्जनों अभियुक्त केस की सुनवाई के बगैर ही  पकड़े जा रहे हैं l छोटे-छोटे  मामले में भी अभियुक्त अब जेल जाने लगे हैं l मामलों की सुनवाई में कटौती किए जाने के बाद स्थिति और भी बदतर होती जा रही हैl फिलहाल प्रत्येक न्यायाधीश 35 से अधिक मामले की सुनवाई नहीं करते हैं l

जमानत मामले की संख्या 12000 से अधिक पहुंची

हाईकोर्ट की रजिस्ट्री ऑफिस से मिली जानकारी के अनुसार फिलहाल अग्रिम जमानत के 7300 मामले लंबित हो गए हैं, जबकि नियमित जमानत के 5200 मामलेl एक रजिस्ट्रार ने अपना नाम छापने से मना करते हुए कहा कि यह समस्या बदतर होती जा रही हैl हालांकि कोर्ट प्रशासन और न्‍यायालय द्वारा कम संसाधनों में भी ज्‍यादा से ज्‍यादा काम निपटाने की कोशिश की जा रही है l

हर दिन बढ़ रही लंबित मामलों की संख्‍या

फिलहाल लगातार केस फाइल होते जा रहे हैं। करीब 2200 ऐसे मामले हैं जिसका अभी तक स्टांप रिपोर्टिंग भी नहीं हो पाई हैl दूसरी तरफ हर दिन नए केस भी फाइल हो रहे हैंl इसकी संख्या कभी 300 और कभी 600 भी होती हैl ऐसे में मामलों की समय पर सुनवाई करना कठिन हो गया है।


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