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Taste of Patna: इस खबर को जरा सावधानी से पढ़ें, आपके मुंह में पानी आ सकता है

Taste of Patnaपिछले 106 वर्षों से स्वाद के शौकीनों के लिए यह दुकान खास है। सुबह आठ बजे से ही खस्ता कचौड़ी व कचरी खाने वाले जुटने लगते हैं। युवा महिला बुजुर्ग सभी चटखारा लेकर स्वादिष्ट नमकीन का लेते हैं मजा

By Shubh NpathakEdited By: Published: Sun, 29 Nov 2020 08:00 AM (IST)Updated: Sun, 29 Nov 2020 08:00 AM (IST)
Taste of Patna: इस खबर को जरा सावधानी से पढ़ें, आपके मुंह में पानी आ सकता है
अपनी दुकान पर बैठकर कचौरी छानते नंदू। जागरण

पटना सिटी [अनिल कुमार]। ऐतिहासिक व पौराणिक शहर पटना सिटी के अशोक राजपथ स्थित चौक सब्जी बाजार में नंदू जी की 106 वर्ष पुरानी दुकान में कचरी व कचौड़ी खाने वाले शौकीनों का सुबह आठ से रात आठ बजे तक जमावड़ा लगा रहता है। युवा, बच्चे, महिलाएं, बुजुर्ग सभी इस दुकान की कचरी व कचौड़ी के दीवाने हैं। खाने वालों का कहना है कि जायकेदार इस कचौड़ी व कचरी का कोई विकल्प नहीं।

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चने की गरम घुघनी और धनिया की चटपटी चटनी

चने की गरम घुघनी और धनिया की चटपटी चटनी के साथ खस्ता कचौड़ी-कचरी, आलू चॉप, प्याजू- बैगनी खाकर दिल खुश हो जाता है। पिछले 106 वर्षों से स्वाद के शौकीनों के लिए यह दुकान खास है। सुबह आठ बजे से ही खस्ता कचौड़ी व कचरी खाने वाले जुटने लगते हैं। स्कूल जाने वाले बच्चे, काम पर निकलने वाले युवा, सैर पर निकले बुजुर्गों की टोली यहां की सोंधी खुशबू से खींचे चले आते हैं। कचौड़ी, आलू चॉप, प्याजू, बैगनी, फूलगोभी के पकौड़े चार-चार रुपये तथा कचरी एक रुपये प्रति पीस बिकता है। दुकान की खासियत है कि पूरा परिवार मिल कर यह स्वादिष्ट व्यंजन बनाता है। सामग्री निर्माण के लिए मसाला घर में ही तैयार किया जाता है।

वर्ष 1914 में स्वर्गीय नंदू लाल ने शुरू की थी दुकान

श्याम नारायण ने शुक्रवार को बताया कि वर्ष 1914 में स्वर्गीय पिता नंदू लाल ने मिरचाई गली के सामने चौकी पर परौठा तथा सब्जी की दुकान खोली। दुकान पर बढ़ते ग्राहकों को देख पिताजी ने सेव, घुघनी, कचरी, लिट्टी, आलू चॉप, प्याजु, गोभी का पकौड़ा बेचने का काम शुरू किया। कुछ ही माह में जगह कम पड़ने के कारण पिताजी ने चौक सब्जी बाजार स्थित बरगद के पेड़ के नीचे झोपड़ी में दुकान स्थापित किया। बाद में आमदनी बढ़ने के बाद पक्का दुकान बना लिया।

गुणवत्ता से समझौता न करने की नसीहत पर आज भी अमल

श्याम नारायण ने बताया कि खेसारी के दाल से शुद्ध सरसों तेल में निर्मित कचरी में उनके पिताजी पोस्तादाना, गोलकी, अजवाइन, मंगरैला, हरा धनिया, कच्ची मिर्च तथा मीठा सोडा मिलाकर स्वादिष्ट कचरी बनाते थे। घर का खरा मसाला सिलावट पर पीस कर आलू में मिलता है। चने का बेसन, मंगरैला, अजवाइन, जीरा, लाल मिर्च, कच्ची मिर्च और धनिया का पाउडर का प्रयोग प्याजु में होने से स्वादिष्ट अलग हो जाता है। शुद्ध बेसन से सरसों तेल में बैगन की भाजी, चने के बेसन में आलू चॉप बनता है। गुणवत्ता बनाए रखने की पिता जी की नसीहत पर आज भी अमल किया जाता है। कचौड़ी में सत्तू भरा रहता है। खाने वाले को पत्ता के दोने में कचौड़ी से लेकर अन्य सामान परोसा जाता है। हाथ धोने तथा पानी पीने की व्यवस्था पीछे में हैं।

पूरा परिवार जुटा रहता है निर्माण कार्य में

नंदू जी समेत तीन भाई अब इस दुनिया में नहीं हैं। लगभग 50 वर्ष पूर्व नंदू जी का निधन हो चुका है। इस परिवार के वर्तमान सदस्यों के बीच डेढ़-डेढ़ माह का बंटवारा है। डेढ़ माह की आय एक के पास जाती है। इसके अलावा दुकान में काम करने वाले परिवार के सदस्यों को प्रतिदिन मजदूरी मिलती है।

ख्याति ऐसी कि महानगरों से भी निमंत्रण

दुकानदार केदार प्रसाद बताते हैं कि पटना सिटी की प्रसिद्ध कचरी लिट्टी निर्माण के लिए वे लोग मुबंई, कोलकाता, बंगलौर, दिल्ली के अलावा सूरत, झारखंड, पंजाब तथा दूसरे शहरों में जा चुके हैं। वे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आवास पर भी कार्यक्रमों के दौरान सिटी के प्रसिद्ध कचौड़ी-कचरी तथा अन्य सामानों का स्वाद चखा चुके हैं। दुकान पर दर्जनों राजनेता, फिल्मी कलाकार तथा शहर के प्रतिष्ठित व्यक्ति कचौड़ी, कचरी, आलू चॉप समेत अन्य का स्वाद ले चुके हैं।


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