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ऑटो के पहिये की तरह थमी चालकों की कमाई, सवारी के लिए हो गए मोहताज

लॉकडाउन में चलाने की छूट तो मिली पर इसके बावजूद राजधानी की सड़कों पर गिने-चुने ही ऑटो दिख रहे हैं।

By Edited By: Published: Thu, 28 May 2020 01:03 AM (IST)Updated: Thu, 28 May 2020 09:16 AM (IST)
ऑटो के पहिये की तरह थमी चालकों की कमाई, सवारी के लिए हो गए मोहताज

पटना, जेएनएन। लॉकडाउन में चलाने की छूट तो मिली पर इसके बावजूद राजधानी की सड़कों पर गिने-चुने ऑटो चल रहे हैं। शहर की लाइफलाइन कहे जाने वाले ऑटो आजकल सवारी के लिए मोहताज खड़े हैं। लॉकडाउन के पहले तक ऑटो के लिए लोग सड़कों पर इंतजार करते थे, फिलहाल ऑटो-चालक सवारी के इंतजार में अपनी पलकें बिछाए खड़े रहते हैं। ऑटो के पहिए क्या रुके इसे चलाने वाले चालकों की कमाई भी ठहर सी गई है। शहर के कारगिल चौक, कुर्जी मोड़, मीठापुर बस स्टैंड, पटना जंक्शन सहित तमाम सड़कों पर ऑटो-चलाने वाले चालकों की स्थिति ठीक नहीं है।

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ऑटो चालकों के सामने सबसे बड़ा संकट अपने परिवार के भरण -पोषण का है। ऑटो का किराया दोगुना बढ़ने और दो से अधिक सवारी बैठाने की अनुमति नहीं होने व शाम छह बजे के बाद ऑटो चालन बंद करने के आदेश से चालक परेशान हैं।

20 साल में पहली बार ऐसी स्थिति आई है जब सड़कों पर सवारी के लिए इंतजार करना पड़ा रहा है। पहले गांधी मैदान से स्टेशन का भाड़ा 10 रुपये था वही आज किराया दोगुना होने के कारण गिने-चुने लोग ही ऑटो में बैठ रहे हैं। जिसके कारण आमदनी काफी प्रभावित हुई है। ऑटो चलाकर परिवार का गुजारा बहुत मुश्किल से हो रहा है। बच्चों की स्कूल फीस कैसे भरेंगे, यह बड़ा संकट है।

- प्रमोद राय, ऑटो चालक, गांधी मैदान

किराया में बढ़ोतरी और दो से अधिक सवारी बैठाने के कारण आमदनी काफी प्रभावित हुई है। पूरे दिन सौ से दौ सौ कमाई होती है ऐसे में ऑटो मालिक को भी भाड़ा देना पड़ता है। आमदनी सही नहीं होने के कारण घर परिवार चलाना मुश्किल हो गया है। पटना जंक्शन से सिटी का किराया 20 रुपया था लेकिन अब दोगुना किराया होने के कारण गिने-चुने लोग ही बैठते हैं।

- सतीश कुमार, ऑटो चालक, पटना जंक्शन

लॉकडाउन में ऑटो चलाने की छूट तो मिली लेकिन दो से अधिक सवारी बैठाने की इजाजत नहीं है। किराया बढ़ने के कारण बहुत मुश्किल से लोग ऑटो में बैठते हैं। सुबह से शाम तक सवारी के लिए इंतजार करना पड़ता है। दिन भर में 200 से 300 की कमाई होती है ऐसे में परिवार का भरण-पोषण मुश्किल हो रहा है।

- मंटू कुमार, ऑटो चालक, करबिगहिया


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