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प्रवासियों को पैसा भेजने वाले बिहार मॉडल की देश में सराहना, झूठ-फरेब को भी पकड़ रहा मोबाइल ऐप

लॉकडाउन के दौरान विभिन्न राज्यों में फंसे प्रवासियों को बिहार सरकार ने जिस तरह से मदद पहुंचाई उसकी सराहना पूरे देश में हो रही है। प्रवासियों के खाते में एक-एक हजार रुपये भेजने की।

By Rajesh ThakurEdited By: Published: Mon, 25 May 2020 09:33 PM (IST)Updated: Tue, 26 May 2020 09:55 AM (IST)
प्रवासियों को पैसा भेजने वाले बिहार मॉडल की देश में सराहना, झूठ-फरेब को भी पकड़ रहा मोबाइल ऐप
प्रवासियों को पैसा भेजने वाले बिहार मॉडल की देश में सराहना, झूठ-फरेब को भी पकड़ रहा मोबाइल ऐप

पटना,  राज्य ब्यूरो। लॉकडाउन के दौरान विभिन्न राज्यों में फंसे प्रवासियों को बिहार सरकार ने जिस तरह से मदद पहुंचाई उसकी सराहना पूरे देश में हो रही है। खासकर प्रवासियों के खाते में एक-एक हजार रुपये भेजने की। यूपी और झारखंड ने इस मॉडल की मांग बिहार से की है। बिहार में एनआइसी ने जियो फेसिंग की मदद से प्रवासियों को सहायता राशि भेजने के लिए विशेष मॉडल का ऐप बनाया है। प्रवासियों को कहा गया कि वे जहां हैं, वहीं से सेल्फी भेजें, जो गूगल मैपिंग के लैटीट्यूड और लांगीट्यूड के आधार पर होना चाहिए। इसके जरिए अभी तक करीब 20 लाख से ज्यादा बिहारियों के खाते में एक-एक हजार रुपये भेजे जा चुके हैं। कोई शिकायत भी नहीं आई है। झूठ-फरेब को भी पकड़ा जा रहा है। 

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जियो टैगिंग पर आधारित है ऐप

कोरोना काल में बिहार एनआइसी द्वारा प्रवासी कामगारों के खाते में एक-एक हजार रुपए डालने को तैयार किए गए एप को पूरे देश में पसंद किया जा रहा है। इस एेप की खासियत इसका जियो टैगिंग पर आधारित होना है। यानी अगर आप पटना में बैठे हैैं और खुद को सूरत में फंसा हुआ बता रहे हैैं तो इसे एप तुरंत पकड़ लेगा।  फर्जीवाड़े की बात सामने आ जाएगी।

किस उद्देश्य से बना यह एेप

कोरोना काल में मुख्यमंत्री की पहल पर बाहर फंसे प्रवासी कामगारों के बैैंक खाते में एक-एक हजार रुपए भेजने का फैसला लिया गया। इसके लिए उन सभी प्रवासी कामगारों को आवेदन करने के लिए एक लिंक उपलब्ध कराया गया।  जिस पर वे आवेदन कर सकते थे। अब प्रवासी कामगारों का वेरिफिकेशन किस तरह से किया जाए यह काफी कठिन था। इस समस्या के समाधान के लिए एनआइसी बिहार ने एप विकसित किया।

किस तरह काम करता है यह एेप

इस एेप की खासियत यह है कि एक साल्यूशंस से यह कई तरह के काम करता है। एक हजार रुपए की सहायता के लिए प्रवासी कामगार को बिहार स्थित किसी भी बैैंक के खाते का नंबर डालना है जहां उसे राशि अंतरित की जाएगी। एेप में यह व्यवस्था है कि सरकार के पीएफएमएस सिस्टम से वह बैैंक खाते की जांच कर लेता है। इसके बाद आधार कार्ड की तस्वीर डालनी है। यह एेप आधार कार्ड की ऑनलाइन जांच कर लेता है। तीसरी महत्वपूर्ण बात है कि आवेदक जहां है वहां से उसे एक सेल्फी अपलोड करनी है। यह जियो टैगिंग से जुड़े होने की वजह से बता देता है कि किस लांगीट्यूड से तस्वीर ली गयी है। इससे शहर की जानकारी मिल जाती है औैर फर्जीवाड़ा नहीं हो पाता।

अब तक 21 लाख आवेदकों के खाते में गयी है राशि

इस एप के डेवलपर का कहना है कि इस एप के माध्यम से एक दिन एक-एक लाख लोगों के खाते में राशि स्थानांतरित की गयी है। अब तक 29.50 लाख आवेदन आए हैैं जिसमें से 21 लाख लोगों के खाते में राशि अंतरित कर दी गयी है।


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