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कोरोना से डरकर नहीं, लड़कर जीत रहा पटना

देखते-देखते लॉकडाउन के दो माह पूरे हो गए

By JagranEdited By: Published: Sat, 23 May 2020 06:30 AM (IST)Updated: Sat, 23 May 2020 06:30 AM (IST)
कोरोना से डरकर नहीं, लड़कर जीत रहा पटना
कोरोना से डरकर नहीं, लड़कर जीत रहा पटना

देखते-देखते लॉकडाउन के दो माह पूरे हो गए। ठीक दो माह पूर्व 23 मार्च को कोरोना संक्रमण को देखते हुए पटना समेत पूरे बिहार में लॉकडाउन लागू हुआ था। लॉकडाउन का पहला महीना भले ही कोरोना से डरकर बीता हो मगर इसके बाद का एक महीना कोरोना से लड़ते हुए पटना ने गुजारा है। अब जिंदगी कोरोना के साथ ही चल रही है। प्रवासी वापस घरों को लौट रहे हैं। बाजार गुलजार हैं। कार्यालय खुल चुके हैं। सड़कों पर वापस गाड़ियों का रेला है। हां, इस बीच जरूरी एहतियात भी बरते जा रहे हैं। लॉकडाउन के दो माह होने पर यह विशेष रिपोर्ट।

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2800 हुई कोरोना जांच की क्षमता :

वैश्विक महामारी कोविड-19 ने 22 मार्च को जब प्रदेश में दस्तक दी थी तब केवल आरएमआरआइ ही एकमात्र संस्थान था, जिसे आइसीएमआर से कोरोना जांच की अनुमति प्राप्त थी। शुरुआत में यहां हर दिन मात्र दस जांच की जा रही थीं। प्रदेश की जनसंख्या के अनुपात में जांच की अत्यधिक जरूरत को देखते हुए सरकार ने जांच क्षमता बढ़ाने के प्रयास तेज किए। नतीजा, इस समय आठ संस्थानों में आरटीपीसीआर मशीन से हर दिन औसतन 2800 से अधिक जांचें की जा रही हैं। वहीं ट्रूनैट मशीनों से छह अन्य जिलों में जांच शुरू कर दी गई है। हर ट्रूनैट मशीन से अभी औसतन दस जांचें की जा रही हैं।

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55 स्वस्थ होकर लौटे घर

शुक्रवार शाम तक कोरोना संक्रमितों की संख्या 186 थी। इसमें से 55 ठीक होकर घर जा चुके हैं। वहीं ग्रुप सैपलिंग विधि से जांच शुरू होने के बाद निगेटिव जांच रिपोर्ट आने में देरी के कारण करीब 16 लोगों के डिस्चार्ज की प्रक्रिया रुकी हुई है। 186 संक्रमित मरीजों में से सर्वाधिक 55 बीएमपी चेन के और 36 बाढ़ अनुमंडल में अन्य राज्यों से लौटे लोग हैं। इसके अलावा 22 लोग खाजपुरा चेन के हैं। ऐसे में पटना के अधिकांश क्षेत्रों में कोरोना संक्रमण के बहुत कम मामले ही सामने आए हैं। अब तक केवल दो संक्रमितों को ही ऑक्सीजन की जरूरत पड़ी हैं जबकि 82 प्रतिशत लोग बिना दवा के औसतन सात दिन में अपने आप ठीक हुए हैं। सरकार ने रिकवरी का यह औसत देखते हुए अब एक ही जांच निगेटिव आने के बाद संक्रमितों को होम क्वारंटाइन पर भेजने का निर्णय लिया है।

--------------------- ओपीडी में वापस आने लगे मरीज

पटना : 23 मार्च को जब लॉकडाउन घोषित किया गया था तो सरकारी और निजी अस्पतालों में इलाज एक तरह से थम गया था। जिस पीएमसीएच की ओपीडी में औसतन ढाई हजार मरीज आते थे वह संख्या घटकर 100 के नीचे आ गई थी। इमरजेंसी में संख्या घटकर 350 रह गई। इमरजेंसी ऑपरेशन छोड़कर सभी बंद हो गए।

वहीं दो माह गुजरने के बाद शुक्रवार को एम्स पटना, आइजीआइएमएस और कोरोना अस्पताल एनएमसीएच को छोड़कर सभी सरकारी व निजी अस्पतालों में जांच, ओपीडी से लेकर ऑपरेशन तक शुरू हो चुके हैं। पीएमसीएच की ओपीडी में संख्या 650 से अधिक हो चुकी है तो इमरजेंसी में अब भी औसतन 350 रोगी आ रहे हैं। माइनर और मेजर सर्जरी भी शुरू हो गई है।


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