Move to Jagran APP

Bihar Flood: बिहार में बाढ़ की स्थिति गंभीर; कई जगह तटबंध टूटे, पटना-नेपाल सड़क संपर्क भंग

Bihar Flood बिहार में कोसी नदी में उफान को देखते हुए बराज के सारे फाटक खोल दिए गए हैं। बागमती भी सीमाएं तोड़ रही है। पढ़ें बिहार में बाढ़ की स्थिति की पड़ताल करती खबर।

By Amit AlokEdited By: Published: Sun, 14 Jul 2019 12:34 PM (IST)Updated: Mon, 15 Jul 2019 09:55 AM (IST)
Bihar Flood: बिहार में बाढ़ की स्थिति गंभीर; कई जगह तटबंध टूटे, पटना-नेपाल सड़क संपर्क भंग
Bihar Flood: बिहार में बाढ़ की स्थिति गंभीर; कई जगह तटबंध टूटे, पटना-नेपाल सड़क संपर्क भंग

पटना [जागरण टीम]। बिहार व नेपाल के जल-ग्रहण वाले इलाकों में भारी बारिश के कारण बिहार में अब जल-प्रलय जैसे हालात बनते दिख रहे हैं। कोसी व बागमती सहित प्रमुख नदियों में भयानक उफान के कारण त्राहिमाम की स्थिति है। देर रात बागमती के पानी के कारण सीतामढ़ी में पटना को नेपाल से जोड़ने वाला महत्‍वपूर्ण पुल टूट गया। उधर, कोसी प्रमंडल में तटबंध के भीतर अचानक पानी के प्रवेश के बाद वहां से लोगों का पलायन शुरू है। सीतामढ़ी, दरभंगा, मधुबनी, चंपारण व किशनगंज सहित जगह-जगह तटबंध टूटे हैं।
कोसी तटबंध पर पानी का भयानक दबाव है। एहतियातन कोसी बराज से चार लाख क्‍यूसेक पानी छोड़ा गया है। बराज के सभी 56 फाटक खोल दिए गए हैं।  इस बीच मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार के निर्देश पर प्रशासन अलर्ट मोड में है। प्रभावित जिलों में सरकारी अधिकारियों की छुट्टी पर रोक लगा दी गई है। उधर, पीडि़त लोग प्रदर्शन भी करने लगे हैं।  

loksabha election banner

पीडि़त लोगों ने किया प्रदर्शन
सुपौल के गढिय़ा वार्ड संख्या आठ में शनिवार रात सुरक्षा बांध टूटने से आक्रोशित लोगों ने रविवार दोपहर को नेशनल हाईवे जाम कर दिया। बांध टूटने के कारण लोगों के घरों में पानी घुस गया है। लोग प्रदर्शन कर मुआवजे की मांग कर रहे थे। इस जाम के कारण हाईवे पर दोनों ओर वाहनों की लंबी कतार लग गई। जाम करने वालों का कहना था कि सुरक्षा बांध के टूट जाने के बाद उन लोगों के घरों में एक दाना तक नहीं बचा है। कपड़े व बर्तन भी डूब गए हैं। पानी घुसने के करीब 12 घंटे बीतने के बाद भी प्रशासन द्वारा कोई सहायता नहीं भेजी गई। घर में फंसा सामान निकालने के लिए भी लोगों को कोई सहायता नहीं मिल पा रही है। जाम स्थल पर मौजूद कई महिलाओं ने कहा कि रात में बच्चों के खाने के लिए भी कुछ नहीं है। लोग तत्काल सहायता की मांग कर रहे थे। बाद में प्रखंड प्रमुख विजय कुमार यादव एवं भपटियाही थानाध्यक्ष प्रभाकर भारती के आश्वासन पर लोगों ने जाम हटाया। 

बाढ़ से प्रभावित छह जिले
आपदा प्रबंधन विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत ने बताया कि बिहार के छह जिले (शिवहर, सीतामढ़ी, पूर्वी चंपारण, मधुबनी, अररिया व किशनगंज) बाढ़ प्रभावित हैं। संबंधित जिलों के डीएम बाढ़ राहत के काम में जुट गए हैं। आपदा प्रबंधन विभाग भी स्थिति पर नजर है।

सीतामढ़ी होकर पटना-नेपाल सड़क संपर्क भंग
सीतामढ़ी में सुप्पी प्रखंड के जमला गांव के पास बागमती नदी का बांध टूट गया है। इस करण सुप्पी प्रखंड के एक दर्जन से अधिक गांवों में बाढ़ का पानी तेजी से घुस रहा है। बांध टूटने से लोगों में हाहाकार मच गया है। सोनबरसा और परिहार के नए इलाकों में बाढ़ का पानी घुसने से भी लोग दहशत में हैं। सीतामढ़ी का पूर्वी चंपारण जिले से सड़क संपर्क भी भंग है।
बागमती में उफान के कारण सीतामढ़ी के मेजरगंज में पटना को सीतामढ़ी से जोड़ने वाली सड़क पर स्थित पुल शनिवार की देर रात बह गया। इस कारण पटना का सीतामढ़ी से सड़क संपर्क टूट गया है। यही सड़क पटना को नेपाल से जोड़ती है। इस कारण पटना का सीतामढ़ी होकर नेपाल से सड़क संपर्क टूट गया है।
बाढ़ के हालात को देखते हुए सीतामढ़ी में डीएम रंजीत कुमार ने जिले में सभी सरकारी व गैरसरकारी स्‍कूलों को 20 जुलाई तक बंद करने का निर्देश दिया है।

रौद्र रूप में कोसी, तटबंध के भीतर हालत गंभीर
बिहार व नेपाल में कोसी के जल-ग्रहण क्षेत्र में लगातार बारिश के कारण कोसी नदी अपना रौद्र रूप दिखाने लगी है। डेढ़ दशक बाद इसका डिस्‍चार्ज चार लाख क्‍यूसेक पार गया है। इससे पूर्व 2004 में यहां का डिस्चार्ज चार लाख के करीब पहुंचा था। रविवार घरों में पानी घुस जाने से तटबंध के अंदर के गांवों में अफरा-तफरी मच गई है। लोग सुरक्षित ठिकानों की तलाश में निकलने लगे हैं। देर रात से ही अफरा-तफरी का माहौल है। किसी के घर बह गए हैं तो किसी के मवेशी।

सुपौल में सुरक्षा बांध टूटा
सुपौल के सरायगढ भपटियाही प्रखंड अंतर्गत गढ़िया सुरक्षा बांध टूट जाने से वहां बसी एक हजार आबादी के लिए विकट समस्या खड़ी हो गई है । पूर्वी तटबंध के 33.90 किमी स्परों के उपर से पानी बह रहा है। ये स्पर एनएच 57 से बिलकुल सटे हैं। वहीं मरौना निर्मली मुख्य सड़क मरौना चौक के समक्ष टूट गई है, जिससे मरौना थाना और स्‍वास्‍थ्‍य केंद्र से लोगों का संपर्क टूट गया है।
राहत व बचाव से ग्रामीण असंतुष्‍ट
इस बीच तटबंध के अंदर व निचले इलाकों में विभिन्‍न गांवों में स्थिति विकराल हो गई है। सुपौल के 36 गांव विशेष प्रभावित हैं। जिला प्रशासन का दावा है कि वहां 14 मोटर बोट व 170 से अधिक नावों के सहारे राहत व बचाव कार्य शुरू कर दिए गए हैं। हालांकि, राहत व बचाव में लापरवाही को लेकर स्‍थानीय ग्रामीण आक्रोश में हैं। लोगों के अनुसार गांव में पानी अचानक घुसा। इसके लिए कोई पूर्व सूचना भी नहीं दी गई।

कोसी बांध पर खतरा मंडराया
कोसी में अचानक भयानक जल-प्रवाह से बांध पर खतरा मंडराने लगा है। अगर यह टूटा तो जल-प्रलय आना तय है। खतरे को देखते हुए कोसी बराज के सभी 56 फाटक खोल दिए गए हैं। इसके साथ पानी भयानक प्रवाह के साथ निचले रिहायशी इलाकों व खेतों की ओर चल पड़ा है। इस कारण सुपौल, सहरसा और मधेपुरा समेत आसपास के जिलों में तटबंध के आसपास बसी पांच लाख की आबादी खतरे में है।
सहरसा में तटबंध के अंदर बसे गांवों में बाढ़ का पानी फैलने लगा है। वहां स्थिति भयावह है। नवहट्टा, महिषी, सलखुआ आदि प्रखंडों के तटबंध के अंदर बसे गांवों के निचले इलाकों में पानी फैल गया है। मधेपुरा में भी नदियां उफान पर हैं। कोसी और उसकी उपनदियों में शुक्रवार रात से तेजी से पानी बढ़ रहा है। आलमनगर और चौसा प्रखंड के निचले इलाकों में पानी भर आया है। वहीं, कुमारखंड प्रखंड में सुरसर नदी उफान पर है।
चार लाख क्यूसेक डिस्चार्ज
सुपौल में शनिवार संध्या चार बजे कोसी बराज से 3,07,655 क्यूसेक जलस्राव रिकॉर्ड किया गया। देर रात 10 बजे तक यह डिस्चार्ज चार लाख क्यूसेक के करीब हो गया था। रविवार सुबह तक यह चार लाख क्‍यूसेक पार कर गया था। इससे सुपौल, बसंतपुर, सरायगढ़-भपटियाही, किसनपुर, मरौना और निर्मली प्रखंड के दर्जनों गांवों में बाढ़ का पानी प्रवेश कर गया है। सिकरहट्टा मझारी लो बांध के 6.40 एवं 9.40 बिंदुओं पर नदी का दबाव बढ़ गया है। पुल्टेगौड़ा स्थित स्पर संख्या 11 पर रेनकट के कारण कोसी का दबाव बढ़ गया है।
मरौना-निर्मली मुख्य सड़क पर दबाव
उधर, तिलयुगा व बिहुल नदी भी उफान पर है। बिहुल नदी में पानी बढऩे से बेलही से ललमिनिया जाने वाली सड़क दो भागों में विभक्त हो गई। वहीं, तिलयुगा नदी ने बसखेरा गांव के समीप मरौना-निर्मली मुख्य सड़क पर दबाव बना रखा है। किसनपुर प्रखंड क्षेत्र के नौआबाखर में ग्रामीणों द्वारा बनाए गए सुरक्षा बांध के टूटने से कई गांव जलमग्न हो गए।

दरभंगा में टूटा कमला नदी का तटबंध
मधुबनी जिले में कमला बलान झंझारपुुर में खतरे के निशान से तीन मीटर ऊपर बह रही है। दरभंगा जिले के तारडीह प्रखंड के ककोढ़ा एवं कैथवार के पास कमला नदी का बायां तटबंध और घनश्यामपुर के कुमरौल के पास दायां तटबंध रविवार की सुबह में टूट गया। उधर, झंझारपुर के नरूआर के पास तटबंध टूटने से मनीगाछी की दो पंचायतों में पानी घुस गया है। अफरातफरी के बीच लोग अपने सामान एवं मवेशी को सुरक्षित करने में लगे हुए हैं। पानी का प्रवाह अगस्त 2017 में आई बाढ़ से ज्यादा तेज है।
गाेपालगंज में भरभरा कर गिरा तीनमंजिला मकान
गोपालगंज के भोरे थाना क्षेत्र के पड़ौली गांव में तेज बारिश के बीच एक तीन मंजिला मकान भरभरा कर गिर गया। मकान झुकते देख समय रहते घर के सदस्यों ने घर से बाहर निकल कर अपनी जान बचाई। हादसे में कोई हताहत नहीं हुआ।
पूर्वी चंपारण, सीतामढ़ी, शिवहर और मधुबनी में बढ़ रहा पानी
पूर्वी चंपारण में बंजरिया प्रखंड के घोड़मरवा गांव के पास दुधौरा नदी पर बना तटबंध टूट गया। आसपास के गांवों में तेजी से पानी फैलने लगा है। पताही व ढाका में बागमती का पानी कई गांवों में प्रवेश कर गया है। डीएम रमण कुमार ने खुद रेनकट की मरम्मत की लिए बालू की बोरियां भरीं। गुरहनवा स्टेशन के ट्रैक पर पानी के बढ़ रहे दबाव को लेकर सीतामढ़ी- रक्सौल रेलखंड पर परिचालन ठप कर दिया गया है।
समस्तीपुर और सीतामढ़ी जिले में बागमती, लखनदेई, झीम, रातो, मरहा और लालबकेया नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। सोनबरसा-नेपाल सड़क पर चार फीट पानी बह रहा है। बाढ़ को देखते हुए शनिवार को सीतामढ़ी-बैरगनिया-रक्सौल रेलखंड पर ट्रेनों के परिचालन पर रोक लगा दी गई।  मुजफ्फरपुर जिले के कटरा और औराई प्रखंड में स्थिति भयावह होती जा रही है। शिवहर- पिपराही पथ (एसएच 54) पर करीब दो फीट पानी चढ़ गया है। मंडल कारा परिसर में भी पानी प्रवेश कर गया है।

मोतिहारी में लालबकेया व बागमती खतरे से निशान से ऊपर
पूर्वी चंपारण जिले में हुई भारी बारिश के बाद यहां की नदियों में उफान है। बागमती व लालबकेया  खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। पताही, ढाका व फेनहारा के दर्जनों गांवों में बाढ़ का पानी घुस गया है। पताही के जिहुली में ढाका पूर्व विधायक अवनीश सिंह और मुखिया के घर में भी बाढ़ का पानी घुस गया है। उधर, गंडक व बूढ़ी गंडक नदी के जलस्तर में भी तेजी से वृद्धि होने के साथ तटबंधों पर दबाव बढ़ने लगा है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.