समय से 11 बजे स्कूल पहुंच गए बच्चे मगर टीचरों ने किया एेसा काम कि हो गई छुट्टी Patna News
प्रखंड क्षेत्र के सबनिमा स्थित लालो कुंवर उच्च विद्यालय का हाल बेहाल है। यहां बच्चे तो हैं तो पर पढ़ाने के लिए टीचर नहीं। ये माजरा रोज का है।
By Edited By: Published: Sun, 14 Jul 2019 01:16 AM (IST)Updated: Sun, 14 Jul 2019 09:22 AM (IST)
पटना, जेएनएन। निर्धारित समय पर बच्चे स्कूल पहुंच गए, लेकिन गेट में ताला बंद था। बच्चे 11 बजे तक शिक्षकों का इंतजार करते रहे, लेकिन न कोई शिक्षक पहुंचे और न प्राचार्य। आखिरकार सभी बच्चे अपने घर लौट गए। यह नजारा प्रखंड क्षेत्र के सबनिमा स्थित लालो कुंवर उच्च विद्यालय में देखने को मिला। विद्यालय में शनिवार को अघोषित छुट्टी रही।
प्रभाव जमाने के लिए बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ इस संबंध में ग्रामीणों ने बताया कि कुछ शिक्षक और कर्मी विद्यालय में अपना प्रभाव जमाने के लिए अक्सर विद्यालय नहीं आते। इसका परिणाम बच्चों के कॅरियर पर पड़ रहा है। इसमें विद्यालय के छात्रों से वसूले जाने वाले शुल्क के वितरण को भी कारण बताया जा रहा है। विद्यालय में नौ पद हैं शिक्षकों के, सात हैं तैनात विद्यालय में शिक्षकों के नौ पद हैं। इसमें सात शिक्षक नियुक्त हैं, लेकिन वर्ग शिक्षक के अलावे पढ़ाने की जिम्मेदारी किसकी है यह किसी को नहीं मालूम।
जिसकी मर्जी वही लेता है क्लास
बच्चों ने बताया कि जिस शिक्षक की मर्जी होती है वही क्लास लेते हैं। इसके लिए विषयवार कोई चार्ट नहीं बनाया गया है। इस कारण पढ़ाई पूरी तरह बाधित हो रही है। तीन दिनों से नहीं आ रहे शिक्षक ग्रामीणों ने बताया कि गुरुवार से ही विद्यालय बंद है। शुक्रवार को भी कुछ छात्राएं स्कूल आई तो विद्यालय बंद मिला। छात्राओं ने बताया कि स्कूल में मात्र एक लिपिक थे। उन्होंने किसी रजिस्टर पर हस्ताक्षर करा लिया। विद्यालय में गठित समिति भी निष्क्रिय है। यह बात विद्यालय के प्रभारी प्रधान ने भी बातचीत में स्वीकारी। डेढ़ माह पूर्व ही मैंने प्रभार लिया है। विद्यालय से संबंधित समस्याओं के समाधान के लिए विभागीय अधिकारियों के पास शनिवार को पटना गया था। पता चला कि अन्य शिक्षक भी नहीं आए, जिससे विद्यालय बंद रहा।
प्रभाव जमाने के लिए बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ इस संबंध में ग्रामीणों ने बताया कि कुछ शिक्षक और कर्मी विद्यालय में अपना प्रभाव जमाने के लिए अक्सर विद्यालय नहीं आते। इसका परिणाम बच्चों के कॅरियर पर पड़ रहा है। इसमें विद्यालय के छात्रों से वसूले जाने वाले शुल्क के वितरण को भी कारण बताया जा रहा है। विद्यालय में नौ पद हैं शिक्षकों के, सात हैं तैनात विद्यालय में शिक्षकों के नौ पद हैं। इसमें सात शिक्षक नियुक्त हैं, लेकिन वर्ग शिक्षक के अलावे पढ़ाने की जिम्मेदारी किसकी है यह किसी को नहीं मालूम।
जिसकी मर्जी वही लेता है क्लास
बच्चों ने बताया कि जिस शिक्षक की मर्जी होती है वही क्लास लेते हैं। इसके लिए विषयवार कोई चार्ट नहीं बनाया गया है। इस कारण पढ़ाई पूरी तरह बाधित हो रही है। तीन दिनों से नहीं आ रहे शिक्षक ग्रामीणों ने बताया कि गुरुवार से ही विद्यालय बंद है। शुक्रवार को भी कुछ छात्राएं स्कूल आई तो विद्यालय बंद मिला। छात्राओं ने बताया कि स्कूल में मात्र एक लिपिक थे। उन्होंने किसी रजिस्टर पर हस्ताक्षर करा लिया। विद्यालय में गठित समिति भी निष्क्रिय है। यह बात विद्यालय के प्रभारी प्रधान ने भी बातचीत में स्वीकारी। डेढ़ माह पूर्व ही मैंने प्रभार लिया है। विद्यालय से संबंधित समस्याओं के समाधान के लिए विभागीय अधिकारियों के पास शनिवार को पटना गया था। पता चला कि अन्य शिक्षक भी नहीं आए, जिससे विद्यालय बंद रहा।
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