Bihar Lok Sabha Chunav 2019 Phase 6: आठ सीटों के लिए 127 प्रत्याशी मैदान में
बिहार में छठे चरण की वोटिंग का काउंट डाउनलोड शुरू हो गया है। छठे चरण में आठ सीटाें पर वोटिंग होनी है। इसके लिए 127 उम्मीदवार मैदान में किस्मत आजमा रहे हैं।
पटना, जेएनएन। बिहार में छठे चरण में वैसे तो आठ संसदीय क्षेत्रों में मतदान होना है, लेकिन उनमें से तीन पर देश-दुनिया की नजर लगी हुई है। पूर्वी चंपारण, वैशाली और सिवान के प्रति उत्सुकता की खास वजह है। सिवान में दो बाहुबलियों की बीवियां भिड़ी हुई हैं। समाजवाद के पहरूए रघुवंश प्रसाद सिंह को वैशाली में वीणा देवी शिकस्त दे रहीं हैं। पूर्वी चंपारण में राधा मोहन सिंह की टक्कर ऐसे नौसिखिए से हुई है, जिसकी उम्र महज 27 साल हो रही है। इन तीन सीटों के अलावा वाल्मीकिनगर, पश्चिमी चंपारण, शिवहर, गोपालगंज और महाराजगंज में 12 मई को मतदान होना है। इसके लिए कुल 127 प्रत्याशी मैदान में हैं।
पूर्वी चंपारण: नौसिखिए दे रहे टक्कर
पूर्वी चंपारण में केंद्रीय मंत्री राधा मोहन सिंह हैट्रिक लगाने के लिए भाजपा के टिकट पर मैदान में हैं। मुकाबले में रालोसपा के आकाश कुमार सिंह हैं। आकाश के पिता अखिलेश प्रसाद सिंह केंद्र में मंत्री रह चुके हैं। अभी कांग्रेस के प्रदेश चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष हैं। अखिलेश भी संसद में पूर्वी चंपारण का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। राधा मोहन सिंह यहां से पांच बार सांसद चुने जा चुके हैं। अगर इस बार वे विजयी हुए तो लगातार तीसरी जीत होगी। इसके अलावा वे बिहार से छह बार सांसद चुने जाने वाले चुनिंदा दिग्गजों की सूची में भी शामिल हो जाएंगे, जिस उपलब्धि के लिए वैशाली में रघुवंश प्रसाद सिंह जूझ रहे हैं।
वैशाली: समाजवाद की कठिन परीक्षा
वैशाली में पिछली बार रघुवंश प्रसाद सिंह लोजपा के रामकिशोर उर्फ रामा सिंह से परास्त हो चुके हैं। इस बार भी लड़ाई कड़ी है। उनके मुकाबले में लोजपा ने इस बार वीणा देवी को उतारा है, जो जदयू के विधान पार्षद दिनेश सिंह की पत्नी हैं। कभी दिनेश सिंह के मुजफ्फरपुर स्थित आवास में रहकर रघुवंश प्रसाद सिंह वैशाली का चुनाव लड़ा करते थे। राजनीति में दिनेश सिंह रघुवंश बाबू के शिष्य बताए जाते हैं। लोजपा ने इस बार रामा सिंह को इस बार टिकट नहीं दिया, लिहाजा उन्होंने अपना तेवर सख्त कर लिया है। बहरहाल रघुवंश को समाजवाद के उन आखिरी पहरूओं में माना जा रहा, जो इस बार प्रतिष्ठा के चक्रव्यूह में फंसे हुए हैं।
सिवान: बाहुबलियां की पत्नियां आमने-सामने
सिवान में राजद की उम्मीदवार हिना शहाब यहां से सांसद रह चुके बाहुबली मो. शहाबुद्दीन की पत्नी हैं। शहाबुद्दीन अभी तिहाड़ के सींखचों में कैद हैं। हिना का यह तीसरा चुनाव है। इससे पहले के दो चुनावों में वे ओमप्रकाश यादव से शिकस्त खाती रही हैं। ओमप्रकाश पिछली बार भाजपा के टिकट पर विजयी रहे थे। उससे पहले बतौर निर्दलीय उम्मीदवार। इस बार भाजपा ने उन्हें बेटिकट कर दिया और सीट जदयू की झोली में डाल दी। जदयू ने यहां से विधायक कविता सिंह को उम्मीदवार बनाया है, जो बाहुबली अजय सिंह की पत्नी हैं। अजय सिंह कट्टर ङ्क्षहदूवादी हैं, जबकि सिवान में इस बार नकाब से मतदान के मसले उछल रहे हैं।
बाकी की पांच सीटों पर भी है घमासान
उपरोक्त् तीनों सीटों के अलावा बाकी की पांच सीटों पर भी घमासान मचा हुआ है। महाराजगंज से 1989 में चंद्रशेखर भी विजयी रहे थे, जो प्रधानमंत्री बने। हालांकि वे संसद में उत्तर प्रदेश के बलिया का प्रतिनिधित्व किए। उस चुनाव में वे जनता दल के टिकट पर महाराजगंज के अलावा बलिया से भी विजयी रहे थे। महाराजगंज से इस बार महाराजगंज में भाजपा के जनार्दन सिंह सिग्रीवाल दूसरी बार संसद जाने के लिए प्रयासरत हैं। उनके मुकाबले बाहुबली प्रभुनाथ सिंह के पुत्र रणधीर सिंह राजद के उम्मीदवार हैं। लोकसभा के लिए रणधीर का यह पहला चुनाव है। शिवहर में भाजपा की रमा देवी लगातार तीसरी जीत के लिए हाथ-पैर मार रहीं हैं। मुकाबले में राजद के सैयद फैसल अली का यह पहला चुनाव है। इसी तरह, गोपालगंज में राजग और महागठबंधन, दोनों के उम्मीदवार नए हैं। गोपालगंज से राजद से सुरेंद्र राम और जदयू से अशोक कुमार किस्मत आजमा रहे हैं। वाल्मीकि नगर में कांग्रेस के शाश्वत केदार का पहला चुनाव है। वे पूर्व मुख्यमंत्री केदार पाण्डेय के पौत्र हैं। उनसे दोगुनी से अधिक उम्र वाले जदयू उम्मीदवार वैद्यनाथ महतो वहां से एक बार सांसद रह चुके हैं। पिछली बार वे तीसरे नंबर पर रहे थे। निवर्तमान सांसद सतीश चंद्र दुबे का टिकट काटकर भाजपा ने यह सीट जदयू के हवाले की है। पश्चिमी चंपारण सीट पर लड़ाई साफ है। दो बार सांसद बने एनडीए प्रत्याशी डॉ. संजय जायसवाल हैट्रिक लगाने के लिए पसीना बहा रहे हैं। वहीं, महागठबंधन की ओर से रालोसपा के टिकट पर मैदान में आए बृजेश कुमार कुशवाहा के लिए पहली लड़ाई है।
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