स्कूली बच्चों के लिए 'कवच' बनेगा अस्थमा मैनुअल
बीमारी पर रोकथाम के लिए सरकार ने बनाई नई नीति
नलिनी रंजन, पटना। बार-बार खांसी आना, गले में घर्र-घर्र की आवाज, छाती में कफ भरना और नहीं निकलने की शिकायत स्कूली बच्चों में खूब मिल रही है। छोटे स्कूली बच्चों में लगातार नाक बहने (जुकाम), त्वचा पर बार-बार खुजली होना, नाक से सिटी की आवाज या घरघराहट होने को लेकर गंभीरता नहीं दिख रही है। अस्थमा (दमा) के बारे में जानकारी नहीं होने के कारण स्कूल और अभिभावकों में गंभीरता नहीं बरती जा रही है। इसको देखते हुए वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने बच्चों का 'कवच' बनते हुए अस्थमा मैनुअल बनाया है। इस मैनुअल को देशभर के स्कूलों में लागू किया जाएगा। अस्थमा मैनुअल का 11 भाषाओं में अनुवाद कराने के साथ-साथ इसके लिए एनीमेशन फिल्म भी बनाई गई है। पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने लंग केयर फाउंडेशन की देखरेख में यह मैनुअल तैयार कराया है। अस्थमा मैनुअल से स्कूलों के वातावरण को पर्यावरण के अनुकूल बनाने का प्रयास किया जाएगा। दमा को लेकर स्कूलों के प्रबंधन को भी जागरूक किया जाएगा। साथ ही इस मैनुअल को राज्य सरकार के माध्यम से लागू कराया जाएगा।
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कक्षा में बच्चों को नहीं मिल पाता पर्याप्त ऑक्सीजन
मैनुअल के अनुसार सर्वे में यह जानकारी सामने आई है कि निजी स्कूलों में बच्चों का दम घुटने जैसे हालात होते हैं। पर्यावरण के अनुरूप कक्षाओं में पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाती है। स्कूलों में बीचो-बीच खाली जगह नहीं होती है। दीवारों पर और अन्य जगह कड़वी गंध वाली पेंटिंग ज्यादा रहती है। पर्याप्त पानी का छिड़काव और पेड़-पौधे नहीं होने से धूल-कण की अधिकता होती है।
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स्कूल का वातावरण और प्राथमिक चिकित्सा की होगी जानकारी
अस्थमा गाइडलाइन को नई दिल्ली के गंगाराम अस्पताल के डॉ. अरविंद कुमार, एम्स के डॉ. जीसी खिलनानी सहित आठ चिकित्सकों की टीम ने तैयार किया है। मैनुअल में स्कूल के वातावरण को बेहतर करने के साथ-साथ स्कूली कर्मचारियों को अस्थमा की जानकारी और प्राथमिक चिकित्सा के बारे में बताया गया है। चिकित्सकों के अनुसार अस्थमा अटैक के 10 से 15 मिनट में इन्हेलर या नेब्युलाइजर देना होता है, जबकि स्कूल प्रबंधन बच्चे के परिजनों को सूचना कर बुलाने में इस समय को गवां देते हैं। अस्थमा गाइडलाइन में विभाग की ओर से मान्यता के लिए तय मापदंडों में भवन के ढाचा और पर्यावरण के अनुकूल स्कूल का वातावरण हो, इसके लिए प्रावधान है। इनके पालन के लिए स्कूलों का निरीक्षण भी किया जाएगा।
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जागरूक होंगे स्कूली बच्चे, शिक्षक और अभिभावक
पर्यावरण संरक्षण को लेकर वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की ओर से कवायद की जा रही है। पर्यावरण को लेकर होने वाली बीमारी अस्थमा को लेकर विशेष मैनुअल बनाया गया है। इससे स्कूलों में बच्चों के साथ-साथ शिक्षक और अभिभावकों को भी जागरूक बनाया जाएगा। साथ ही उन्हें पर्यावरण सुरक्षा के बारे में बताया जाएगा।
- प्रो. डॉ. अशोक घोष, अध्यक्ष, बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद।