चलती ट्रेन से बम बरसाते ये बच्चे; चौंकिए नहीं, कारण जानकर आप कहेंगे- भई वाह।
बिहार में एक संस्था धरती का पर्यावरण बचाने के लिए बच्चों से बम बनवा रही है। ये बम हरियाली बढ़ाने के काम आ रहे हैं। पूरी जानकारी के लिए जरूर पढ़ें यह खबर।
By Amit AlokEdited By: Published: Wed, 20 Feb 2019 08:30 PM (IST)Updated: Thu, 21 Feb 2019 11:04 PM (IST)
पटना [नीरज कुमार]। बिहार के ये बच्चे एक दिन में सैकडा़ें बम बनाते और उन्हें चलती ट्रेनों से बरसाते हैं। चौंकिए नहीं, ये विस्फोट करने वाले बम नहीं, इनसे जीवन के अंकुर फूटते हैं। ये बम हरियाली बढ़ाते हैं। हम बात कर रहे हैं पटना की एक संस्था ‘तरुमित्र’ के माध्यम से छात्र-छात्राओं के बनाए 'बीज बम’ की।
तरुमित्र आश्रम में देश के विभिन्न शिक्षण संस्थानों के बच्चे कई प्रजातियों के पेड़ों के बीजों का संग्रह करते हैं। फिर बीज के चारों ओर मिट्टी लपेटकर गोला बनाते हैं, जिन्हें बीज बम कहा जाता हैं। इन बमों को खाली या बंजर भूमि में फेंक दिया जाता है, जहां कुछ दिनों बाद पौधे उग आते हैं।
बीते साल से शुरू किया काम, इस साल जुलाई तक चलेगा अभियान
कटते पेड़ व बंजर होती धरती मानव जाति को गंभीर संकट का संकेत देने लगी है। अगर हरियाली बचाने के लिए ठोस प्रयास नहीं किये गए तो पृथ्वी मरुभूमि में तब्दील हो जाएगी। धरती को बचाने का संकल्प लिया है छात्र-छात्राओं ने। पटना के तरुमित्र आश्रम में प्रतिदिन देश के कोने-कोने से विभिन्न स्कूलों एवं कॉलेजों से छात्र-छात्राओं की टीम आती है। टीम बीज बम बनाती है। बीते साल शुरू किया गया यह काम इस साल फिर शुरू किया गया है। यह सिलसिला जुलाई तक चलेगा।
रोजाना बनाते 200 से 300 बीज बम, फिर चलती ट्रेनों से फेंकते
यहां पर प्रतिदिन 200 से 300 बीज बम बनाए जाते हैं। इनका उपयोग जुलाई से सितंबर तक किया जाता है। इन बमों को लेकर छात्र-छात्राओं की टीम ट्रेनों पर सवार हो जाती है। टीम पटना-बक्सर, पटना-गया, पटना-देवघर सहित विभिन्न रूटों पर सफर करती है। टीम में शामिल बच्चे चलती ट्रेन से ट्रैक के दोनों तरफ 'बम' फेंकते जाते हैं। इसके अलावा एक टीम गंगा एवं राज्य के अन्य नदियों के किनारे-किनारे वाहन से सफर करती है। इस टीम में शामिल छात्र भी बम फेंकते जाते हैं।
दिखने लगे बेहतर परिणाम, बंजर भूमि पर भी आई हरियाली
यह सिलसिला पिछले वर्ष शुरू किया गया था। जुलाई में बम फेंकने के बाद सितंबर में सर्वे किया गया। इसका काफी बेहतर परिणाम देखने को मिला। जिन जगहों पर अब तक कोई पौधा नहीं दिखाई देता था, वहां धीरे-धीरे हरियाली दिखाई देने लगी है। जल्द ही ये पौधे पेड़ में तब्दील हो जाएंगे।
आश्रम के पेड़ों से गिरे बीज का सालों भर होता रहता संग्रह
तरुमित्र के निदेशक फादर रॉबर्ट का कहना है कि पर्यावरण को समर्पित संगठन ने बीज बम बनाने के लिए सालोंभर आश्रम के पेड़ों से गिरे बीज का संग्रह किया जाता है। बीज का संग्रह करने के बाद छात्र-छात्राओं की टीम आश्रम में आने के बाद बीज बम बनाती है। गीली मिट्टी के गोले में एक बीज को डाला जाता है। इसे बनाने में काफी उर्वर मिट्टी का इस्तेमाल किया जाता है, ताकि बंजर भूमि में गिरने पर भी बरसात के दिनों में बीज उग सकें।
बच्चों के लिए लक्ष्य निर्धारित, कदंब से कहवा तक को बढ़ावा
स्कूली बच्चे कदंब, कहवा, आम, बरगद, जामुन, महुआ, पाटली आदि के सीड बम बड़े पैमाने पर बना रहे हैं। यहां पर हर छात्र के लिए कम से कम 100 बीज बम बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
तरुमित्र आश्रम में देश के विभिन्न शिक्षण संस्थानों के बच्चे कई प्रजातियों के पेड़ों के बीजों का संग्रह करते हैं। फिर बीज के चारों ओर मिट्टी लपेटकर गोला बनाते हैं, जिन्हें बीज बम कहा जाता हैं। इन बमों को खाली या बंजर भूमि में फेंक दिया जाता है, जहां कुछ दिनों बाद पौधे उग आते हैं।
बीते साल से शुरू किया काम, इस साल जुलाई तक चलेगा अभियान
कटते पेड़ व बंजर होती धरती मानव जाति को गंभीर संकट का संकेत देने लगी है। अगर हरियाली बचाने के लिए ठोस प्रयास नहीं किये गए तो पृथ्वी मरुभूमि में तब्दील हो जाएगी। धरती को बचाने का संकल्प लिया है छात्र-छात्राओं ने। पटना के तरुमित्र आश्रम में प्रतिदिन देश के कोने-कोने से विभिन्न स्कूलों एवं कॉलेजों से छात्र-छात्राओं की टीम आती है। टीम बीज बम बनाती है। बीते साल शुरू किया गया यह काम इस साल फिर शुरू किया गया है। यह सिलसिला जुलाई तक चलेगा।
रोजाना बनाते 200 से 300 बीज बम, फिर चलती ट्रेनों से फेंकते
यहां पर प्रतिदिन 200 से 300 बीज बम बनाए जाते हैं। इनका उपयोग जुलाई से सितंबर तक किया जाता है। इन बमों को लेकर छात्र-छात्राओं की टीम ट्रेनों पर सवार हो जाती है। टीम पटना-बक्सर, पटना-गया, पटना-देवघर सहित विभिन्न रूटों पर सफर करती है। टीम में शामिल बच्चे चलती ट्रेन से ट्रैक के दोनों तरफ 'बम' फेंकते जाते हैं। इसके अलावा एक टीम गंगा एवं राज्य के अन्य नदियों के किनारे-किनारे वाहन से सफर करती है। इस टीम में शामिल छात्र भी बम फेंकते जाते हैं।
दिखने लगे बेहतर परिणाम, बंजर भूमि पर भी आई हरियाली
यह सिलसिला पिछले वर्ष शुरू किया गया था। जुलाई में बम फेंकने के बाद सितंबर में सर्वे किया गया। इसका काफी बेहतर परिणाम देखने को मिला। जिन जगहों पर अब तक कोई पौधा नहीं दिखाई देता था, वहां धीरे-धीरे हरियाली दिखाई देने लगी है। जल्द ही ये पौधे पेड़ में तब्दील हो जाएंगे।
आश्रम के पेड़ों से गिरे बीज का सालों भर होता रहता संग्रह
तरुमित्र के निदेशक फादर रॉबर्ट का कहना है कि पर्यावरण को समर्पित संगठन ने बीज बम बनाने के लिए सालोंभर आश्रम के पेड़ों से गिरे बीज का संग्रह किया जाता है। बीज का संग्रह करने के बाद छात्र-छात्राओं की टीम आश्रम में आने के बाद बीज बम बनाती है। गीली मिट्टी के गोले में एक बीज को डाला जाता है। इसे बनाने में काफी उर्वर मिट्टी का इस्तेमाल किया जाता है, ताकि बंजर भूमि में गिरने पर भी बरसात के दिनों में बीज उग सकें।
बच्चों के लिए लक्ष्य निर्धारित, कदंब से कहवा तक को बढ़ावा
स्कूली बच्चे कदंब, कहवा, आम, बरगद, जामुन, महुआ, पाटली आदि के सीड बम बड़े पैमाने पर बना रहे हैं। यहां पर हर छात्र के लिए कम से कम 100 बीज बम बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
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