सुशील मोदी की घर में एंट्री के साथ खुला तेजस्वी की शानो-शौकत का राज, जानें खास बातें
लंबी कानूनी लड़ाई के बाद मिले घर में बिहार के डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी ने एंट्री की। इसके साथ ही उन्होंने तेजस्वी की शानो-शौकत का राज भी खोला। राज जानने को पढ़ें यह खबर।
पटना [जेएनएन]। लंबी कानूनी लड़ाई के बाद मिले घर में बिहार के डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी ने एंट्री की। मंगलवार को वे अपने समर्थकों के साथ पटना के 5 देशरत्न मार्ग में गए। उन्होंने एक एक चीज का जायजा लिया। उन्होंने बिलियर्ड्स भी खेला तथा नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की शानो-शौकत का राज भी खोला। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि इस बंगले का इस्तेमाल वे केवल आॅफिस के लिए करेंगे। वे राजेंद्र नगर स्थित अपने पैतृक घर में ही रहेंगे।
राजभवन व मुख्यमंत्री आवास भी फीका
सुप्रीम कोर्ट आदेश के बाद तेजस्वी यादव ने इस बंगला को खाली किया है। इस बंगले में एंट्री करने के बाद डिप्टी सीएम सुशील मोदी ने कहा कि राजभवन या मुख्यमंत्री आवास भी इसके सामने फीका है।
सेवन स्टार होटल से भी ज्यादा भव्य
सुशील मोदी यहीं पर नहीं रुके। उन्होंने कहा कि यह केवल बंगला नहीं है, बल्कि सेवन स्टार होटल से भी ज्यादा भव्य है। उन्होंने घूम-घूम कर बंगले के साज-सज्जा का अवलोकन किया। फिर मीडिया से कहा कि भवन निर्माण मंत्री की हैसियत से तेजस्वी यादव ने पद का दुरूपयोग कर इस बंगले को सजाने-संवारने पर जनता की गाढ़ी कमाई का पैसा पानी की तरह बहाया है।
कम से कम पांच करोड़ किये हैं खर्च
उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव इस बंगले के साज-सज्जे पर पर कम से कम पांच करोड़ रुपये खर्च किये होंगे। मकराना के संगमरमर, इटालियन टाइल्स, बाथरूम में अत्याधुनिक झरने, कीमती फर्नीचर, स्वचालित आरामदायक सोफे, बिलियर्ड रूम की कौन कहे, क्या नहीं है इस बंगले में। टिकट लगा दिया जाए तो लोग इसे देखने आएंगे।
नीतीश कुमार को बुलाकर दिखाएंगे
मोदी ने कहा कि वह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को बुलाकर इसे दिखाएंगे और कहेंगे- देख लीजिए आपके डिप्टी सीएम कैसे रहते थे। उन्होंने कहा कि यह बंगला मेरे रहने लायक नहीं। ऐसा मुख्यमंत्री का आवास होना चाहिए। पीएम आवास से भी ज्यादा भव्य है। शायद यही वजह थी कि तेजस्वी के इस बंगले को खाली नहीं करने के पीछे। उन्हें इस बंगले से मोह हो गया था। तभी तो इसे खाली कराने में सरकार को पूरे 18 माह लग गए। वह भी सुप्रीम कोर्ट के 50 हजार जुर्माना लगाने के बाद।
यह बंगला हाथी पालने जैसा है
उन्होंने कहा कि यह बंगला मेरे लिए संकट है। इसका रखरखाव करना सबके वश की बात नहीं है। यह हाथी पालने जैसा है। मैं अपने राजेंद्र नगर के तीन कमरे के पैतृक मकान में ही रहना पसंद करूंगा। सरकारी कामकाज के लिए दफ्तर के रूप में ही इसका इस्तेमाल करूंगा। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक जीवन में रहने वाले व्यक्ति में सादगी और मितव्ययिता झलकनी चाहिए।