एक महीने के भीतर प्रवेश रद कराने पर ही वापस होगी फीस
अच्छे संस्थानों की चाहत में एक से दूसरे कालेजों में प्रवेश लेने वाले छात्रों को अब अपनी फीस नहीं गवानी होगी।
अच्छे संस्थानों की चाहत में एक से दूसरे कालेजों में प्रवेश लेने वाले छात्रों को अब अपनी फीस नहीं गंवानी पड़ेगी। बशर्ते प्रवेश बंद होने के महीने भर के भीतर उन्हें अपने प्रवेश को रद कराना होगा। सरकार ने ऐसे छात्रों को एक बड़ी सहूलियत दी है। इसके साथ ही कोई भी संस्थान इन्हें दस्तावेज देने से भी मना नहीं कर सकेंगे। ऐसा करने पर संस्थानों के खिलाफ कार्रवाई होगी। यूजीसी ने इसे लेकर नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया है।
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बुधवार को इसकी जानकारी देते हुए बताया कि उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश के दौरान छात्र अक्सर एक संस्थान से दूसरे संस्थान में प्रवेश लेते हैं। लेकिन अब तक ऐसा करने पर संस्थान उनकी फीस वापस नहीं करते थे, साथ ही उनके दस्तावेज भी नहीं देते थे। जिसके चलते वह दूसरे संस्थानों में प्रवेश नहीं ले पाते थे। छात्रों की इसी समस्या और शिकायतों को देखते हुए उच्च शिक्षण संस्थानों में फीस वापसी को लेकर नए नियम बनाए गए हैं। जिसमें ऐसा करने वाले संस्थानों के खिलाफ दंड का प्रावधान रखा गया है। इसके तहत ऐसे संस्थानों की मान्यता भी रद की जा सकती है।
वहीं नए नियमों के तहत यदि कोई छात्र प्रवेश बंद होने के 15 दिन पहले प्रवेश रद कराता है, तो प्रोसेसिंग फीस काटकर पूरा पैसा वापस मिलेगा। वहीं प्रोसेसिंस फीस के नाम पर कॉलेज अधिकतम सिर्फ पांच हजार रुपये ही काट सकेंगे। जबकि प्रवेश बंद होने के 15 दिनों के भीतर यदि कोई छात्र प्रवेश रद कराता है, तो उसे 90 फीसद फीस वापस मिलेगी। जबकि 15 दिनों से ज्यादा होने पर सिर्फ 80 फीसद और 30 दिन होने पर 50 फीसद फीस ही वापस होगी। प्रवेश बंद होने के एक महीने के बाद प्रवेश रद कराने पर फीस वापस नहीं होगी। वहीं नए नियमों के तहत प्रवेश के दौरान छात्रों को अब सिर्फ माइग्रेशन को छोड़ बाकी किसी भी दस्तावेज की मूल प्रति नहीं देनी पडे़गी। सिर्फ स्वत: सत्यापित प्रति से ही प्रवेश मिल जाएगा। केंद्रीय मंत्री जावड़ेकर ने एक सवाल के जवाब में कहा कि छात्रों को अच्छे संस्थान में प्रवेश लेने का पूरा हक है। नए नियम इसी को ध्यान में रख लाए गए हैं।
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