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बिहार के इन 14 जिलों में होंगे हाईटेक मौसम केंद्र, अत्याधुनिक मशीनों से होंगे ये फायदे

राज्य के 14 अति संवेदनशील जिलों में हाईटेक मौसम केंद्र स्थापित होंगे। छह जिलों में काम शुरू हो गया है। हाइटेक मौसम विज्ञान केंद्र स्थापित हो जाने के बाद ये जिले विश्व मौसम संगठन से सीधे जुड़ जाएंगे।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Tue, 22 Sep 2020 07:57 AM (IST)Updated: Tue, 22 Sep 2020 07:57 AM (IST)
बिहार के इन 14 जिलों में होंगे हाईटेक मौसम केंद्र, अत्याधुनिक मशीनों से होंगे ये फायदे
बिहार में मौसम की पहले से जानकारी लेना हो जाएगा आसान।

नीरज कुमार, पटना। भारत मौसम विभाग की ओर से राज्य के 14 अति संवेदनशील जिलों में हाईटेक मौसम केंद्र स्थापित होंगे। छह जिलों में काम शुरू हो गया है। आठ जिलों के लिए योजना तैयार की गई है। हाईटेक मौसम विज्ञान केंद्र स्थापित हो जाने के बाद ये जिले विश्व मौसम संगठन से सीधे जुड़ जाएंगे। इन जिलों के मौसम संबंधी डाटा का अध्ययन विश्व मौसम संगठन करेगा। देश में इन केंद्रों के डाटा का अध्ययन भारत मौसम विभाग के मुख्यालय पुणे से किया जाएगा। 

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इनके विषय में आसानी से मिल सकेगी जानकारी

हाईटेक मौसम केंद्र स्थापित होने से यहां 24 घंटे उस क्षेत्र का तापमान, वायु की आर्द्रता, बारिश की मात्रा, वायु दाब, हवा की गति और दिशा, मिट्टी की आद्रता का अध्ययन किया जाएगा। इससे मौसम की तात्कालिक एवं दीर्घकालिक भविष्यवाणी करने में काफी मदद मिलेगी। 

संवेदनशील जिलों में मशीन लगाने का काम शुरू

पटना मौसम विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ विज्ञानी संजय कुमार ने कहा, हाल के वर्षों में राज्य, देश व विश्व की जलवायु में काफी बदलाव आया है। पश्चिमी विक्षोभ के प्रकोप में भी काफी इजाफा हुआ है। वज्रपात की घटनाएं बढ़ी हैं। कारणों को तलाशने के लिए हाईटेक मशीनों की जरूरत है। भारत मौसम विभाग ने अत्याधुनिक मशीनों को संवेदनशील जिलों में लगाने का काम शुरू कर दिया है। प्रथम चरण में छह जिलों पूर्वी चंपारण, अररिया, पूर्णिया, नवादा, खगडिय़ा व औरंगाबाद में हाईटेक मशीनें लग रही हैं। शेष आठ जिलों में तैयारी की जा रही है। 

हिमालय की तराई व बंगाल की खाड़ी का राज्य में व्यापक असर

मौसम विज्ञानियों का कहना है कि हिमालय की तराई में होने के कारण पूर्वी चंपारण को संवेदनशील माना जाता है। यहां हिमालय की तराई में होने वाली वर्षा व हिमपात का सीधा असर राज्य के मौसम पर पड़ता है। इसके अलावा अररिया व पूर्णिया में स्थापित होने वाले केंद्रों से बंगाल की खाड़ी में उठने वाले चक्रवातों का मैदानी भाग पर पडऩे वाले प्रभावों का अध्ययन किया जाएगा। गया, औरंगाबाद व बांका में स्थापित किए जाने वाले केंद्रों से पश्चिम से आने वाली गर्म हवाओं पर नजर रखी जाएगी। 

संवेदनशील जिले

पूर्णिया, खगडिय़ा, अररिया, नवादा, औरंगाबादश् पूर्वी चंपारण, शेखपुरा, गया, बांका, जमुई, मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, कटिहार ,बेगूसराय। 


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