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बेटियों से छात्र सीखें गोल्ड मेडल प्राप्त करने का हुनर

नालंदा खुला विश्वविद्यालय (एनओयू) के 13वें दीक्षांत समारोह में कुल 28 गोल्ड मेडल में से 22 पर छात्राओं ने कब्जा जमाया।

By JagranEdited By: Published: Sat, 08 Dec 2018 08:03 PM (IST)Updated: Sat, 08 Dec 2018 08:03 PM (IST)
बेटियों से छात्र सीखें गोल्ड मेडल प्राप्त करने का हुनर
बेटियों से छात्र सीखें गोल्ड मेडल प्राप्त करने का हुनर

पटना । नालंदा खुला विश्वविद्यालय (एनओयू) के 13वें दीक्षांत समारोह में कुल 28 गोल्ड मेडल में से 22 छात्राओं ने प्राप्त किए हैं। पिछले साल भी 29 में 20 से अधिक गोल्ड मेडल छात्राओं ने ही हासिल किए थे। बेटियों के प्रदर्शन से छात्रों को सीख लेनी चाहिए। उक्त बातें शनिवार को राजधानी के बापू सभागार में एनओयू के दीक्षांत भाषण में राज्यपाल सह कुलाधिपति लाल जी टंडन ने कहीं। उन्होंने कहा कि सर्वोच्च स्तर पर बेटियों का बढ़ता वर्चस्व सामाजिक बदलाव के साथ-साथ नारी सशक्तीकरण का उदाहरण है। यह बदलाव सही अर्थो में विकसित देश और समाज के रूप में प्रतिष्ठा दिला सकेगा। ऐसे समाज में हमारी शिक्षित बेटियां सफलता की नित नई ऊंचाई हासिल करेंगी।

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सभी विवि करेंगे शैक्षणिक कैलेंडर का पालन :

कुलाधिपति ने कहा कि सूबे के सभी विश्वविद्यालयों को एकेडमिक कैलेंडर का पालन करना होगा। निर्धारित समय पर नामांकन, कक्षा संचालन, परीक्षा, रिजल्ट और डिग्री प्रदान करनी होगी। एनओयू इस मामले में अन्य विश्वविद्यालयों के लिए मानक है। सूबे का यह प्रथम विश्वविद्यालय है जिसने 2018 की परीक्षा की सारी प्रकियाएं पूरी कर इसी वर्ष उत्तीर्ण विद्यार्थियों को उपाधि प्रदान कर दी है। आज देश में शिक्षा के विकास के लिए संसाधनों की कोई कमी नहीं है। हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं। उच्च शिक्षा के इस विस्तार में केवल परंपरागत तरीके की शिक्षा ही महत्वपूर्ण नहीं है। दूरस्थ शिक्षा पद्धति का महत्व भी तेजी से बढ़ रहा है।

'दीक्षांत' का अर्थ पढ़ाई का अंत नहीं :

राज्यपाल ने कहा कि 'दीक्षांत' का अर्थ पढ़ाई का अंत नहीं है। यह जीवन की लंबी यात्रा का एक पड़ाव है। इसके आगे ज्ञान की खोज में बढ़ते जाना है। आज चारित्रिक गुणों का परिव‌र्द्धन अनिवार्य है। आत्मानुशासन चरित्र-निर्माण की रीढ़ है। नैतिक मूल्य व मर्यादा से ही सामाजिक बुराइयों पर अंकुश लग सकता है। स्वस्थ शरीर, स्वस्थ मन और स्वस्थ विचार जीवन व जगत को भयमुक्त बनाते हैं।

एनओयू को नहीं होगी धन व संसाधन की कमी - शिक्षा मंत्री :

कुलपति प्रो. आरके सिन्हा ने कहा कि संसाधन की कमी के कारण विश्वविद्यालय के विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। इस पर शिक्षा मंत्री कृष्णनंदन प्रसाद वर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार स्वयं उच्च शिक्षा की बेहतरी के लिए प्रयासरत रहते हैं। एनओयू के विकास में राशि और संसाधन बाधा नहीं बनेंगे। परंपरागत विश्वविद्यालयों को भी सूचना व प्रौद्योगिकी से जोड़ा रहा है।

10 फीसद कॉलेज ही मानक के अनुरूप :

शिक्षा मंत्री ने कहा कि हर पांच में से एक विद्यार्थी दूरस्थ शिक्षा का लाभ उठा रहा है। परंपरागत विश्वविद्यालयों के अंतर्गत मात्र 10 फीसद कॉलेज ही मानकों की कसौटी को पूरा करते हैं। इसमें कोई संदेह नहीं है कि पारंपरिक शिक्षा पद्धति में नूतन तकनीक के प्रयोग तथा दूरस्थ शिक्षा में सेटेलाइट शिक्षा एवं ऑनलाइन एजुकेशन के प्रयोग ने क्रांतिकारी परिवर्तन ला दिया है।

कैंपस के अभाव में मान्यता पर संकट :

कुलपति ने कहा कि यूजीसी के नए मापदंड के आधार पर मान्यता के लिए 40 एकड़ में कैंपस अनिवार्य है। 18 साल बाद भी एनओयू किराए के भवन से संचालित है। ऐसी स्थिति में मान्यता लेने के लिए काफी परेशानी होती है। फिलहाल 100 से अधिक कोर्स संचालित हैं। विश्वविद्यालय को राज्य सरकार से संचालन के लिए फंड नहीं मिलता है। संसाधन और आर्थिक दुश्वारियों के बावजूद बेहतर प्रदर्शन किया जा रहा है। अतिथियों का स्वागत कुलपति तथा धन्यवाद ज्ञापन प्रतिकुलपति प्रो. कृतेश्वर प्रसाद व संचालन कुलसचिव डॉ. एसपी सिन्हा ने किया। मंच पर राज्यपाल के प्रधान सचिव विवेक कुमार सिंह, संयुक्त कुलसचिव अमरनाथ पांडेय सहित विश्वविद्यालय के पदाधिकारी मौजूद थे।

: उपाधि प्राप्त करने वालों में 45 फीसद महिलाएं :

उपाधि प्राप्त करने वालों में 11,490 विद्यार्थी स्नातकोत्तर तथा 4,180 विद्यार्थी स्नातक के हैं। इनमें से 1200 विद्यार्थी दूसरे राज्यों के निवासी हैं। उपाधि प्राप्त करने वाली 45 फीसद महिलाएं हैं। 25 विषयों के टॉपरों के अलावा सर्वोत्तम महिला स्नातक एवं सर्वोत्तम महिला स्नातकोत्तर को भी गोल्ड मेडल दिया गया। दानदाता के नाम से नौ गोल्ड मेडल दिए जाएंगे। छात्राएं सफेद रंग के सलवार एवं लेमन येलो रंग के कुर्ते या लेमन येलो रंग के लाल बॉर्डर की साड़ी व लाल ब्लाउज तथा छात्र सफेद कुर्ते एवं पायजामे में व पीली मालवीय पगड़ी एवं अंगवस्त्रम में थे।

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: इन्हें मिला गोल्ड मेडल :

* इकोनॉमिक्स - कुमारी मोनिका

* ज्योग्राफी - प्रिया कुमार

* हिंदी - चंदन कुमार व मधुमिता कुमारी

* हिस्ट्री - प्रतिभा सिंह

* मगही - गणेश चंद्र गुप्ता

* पॉलिटिकल साइंस - कंचन कुमारी

* साइकोलॉजी - प्रियंका श्रीवास्तव

* सोशियोलॉजी - प्रीति रॉय

* एमजेएमसी - कोमल रानी

* पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन - प्रीति सिंह

* रूरल डेवलपमेंट - गीता कुमारी

* एमकॉम - रजनी कुमारी

* भोजपुरी - राजेश कुमार

* एजुकेशन - तलत यास्मीन

* उर्दू - मो. मारूफ आलम

* केमेस्ट्री - कमल नाथ झा

* बॉटनी - वंशा सिंह

* जूलॉजी - रिंकू कुमारी

* फिजिक्स - शहाना परवीन

* मैथ्स - आयुषी सिंह

* इंवायरनमेंटल साइंस - दीपशिखा

* संस्कृत - हिमाद्रि शर्मा

* मैथिली - प्रभाष कुमार

* एमएलआइएस - अनुभा भारती

* एमसीए - कोमल सिन्हा

* बेस्ट गर्ल स्टूडेंट पीजी - आयुषी सिंह

* बेस्ट गर्ल स्टूडेंट यूजी - स्नेहा कुमारी

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डोनर्स गोल्ड मेडल :

इतिहास - पंडित रामसूरत शर्मा गोल्ड मेडल

अर्थशास्त्र - सुलभ गोल्ड मेडल

राजनीति विज्ञान - पंडित हरिद्वार पाडेय बाधाकोल गोल्ड मेडल

लाइब्रेरी एवं इन्फॉर्मेशन साइंस - अमर नाथ पाडेय मेमोरियल गोल्ड मेडल

मनोविज्ञान - डॉ. जसवीर कौर गोल्ड मेडल

रसायन शास्त्र - डॉ. आरएस गाधी गोल्ड मेडल

ग्रामीण विकास - सुमित्रा सिन्हा गोल्ड मेडल

सर्वोत्तम स्नातकोत्तर छात्रा - बृज चंद्रिका गोल्ड मेडल

सर्वोत्तम स्नातक छात्रा - राजेन्द्र प्रसाद सिंह मेमोरियल गोल्ड मेडल


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