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पूर्व केंद्रीय कानून मंत्री के बयान पर बिहार में बवाल, लालू ने कहा, पहले क्यों नहीं कहा?

केंद्र की तत्‍कालीन यूपीए सरकार में कानून मंत्री एचआर भारद्वाज ने कहा है कि 2005 में बिहार में राष्‍ट्रपति शासन को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को सरकार के हक में लाने का उनपर दबाव था। उनके इस बयान पर लालू ने पूछा, पहले क्यों नहीं कहा?

By Amit AlokEdited By: Sat, 16 Jan 2016 11:47 AM (IST)
पूर्व केंद्रीय कानून मंत्री के बयान पर बिहार में बवाल, लालू ने कहा, पहले क्यों नहीं कहा?

पटना। केंद्र की तत्कालीन यूपीए सरकार में कानून मंत्री एचआर भारद्वाज ने एक खुलासे से बिहार की राजनीति में खलबली मचा दी है। उनकी मानें तो 2005 में बिहार में राष्ट्रपति शासन को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को सरकार के हक में लाने का उनपर दबाव था। यह दबाव मनमोहन सिंह की सरकार की तरफ से था।

यह था मामला...

विदित हो कि 2005 में भाजपा-जदयू की सरकार को सत्ता में आने से रोकने के लिए केंद्र की तत्कालीन केंद्र सरकार ने बिहार में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया था। तब इस फैसले को सर्वोच्च अदालत में चुनौती दी गई थी।

भारद्वाज ने कहा कि उनके चीफ जस्टिस वाइके सभरवाल से व्यक्तिगत संबंध थे। इसलिए कांग्रेस के कुछ लोगों ने उनसे यह अपेक्षा की कि वे सभरवाल से बात करें। सभरवाल इस मामले को देख रही कंस्टिट्यूशन बेंच को हेड कर रहे थे। भारद्वाज के अनुसार, उन्होंने सभरवाल से बात नहीं की।

कोर्ट ने खारिज किया राष्ट्रपति शासन

इस मामले में फैसला सरकार के पक्ष में नहीं आया था। पांच सदस्यीय बेंच ने, 3-2 के बहुमत से राष्ट्रपति शासन के फैसले को धारा संविधान की 356 का दुरुपयोग करार दिया था। कोर्ट ने बिहार के तत्कालीन राज्यपाल बूटा सिंह की रिपोर्ट को राजनीति से प्रेरित बताया था।

खुलासे से बिहार की राजनीति में आया भूचाल

एचआर भारद्वाज के इस ख्ाुलासे से बिहार की राजनीति में भूचाल आ गया है। तब जदू के विरोधी रहे कांग्रेस व राजद आज उसके साथ हैं, जबकि जदयू के साथ रहे बीजेपी के रास्ते अलग हो चुके हैं।

शरद ने पल्ला झाड़ा : इस बाबत जदयू सुप्रीमो शरद यादव ने "जो बीत गई सो बात गई" कहकर पल्ला झाड़ लिया। जदयू प्रवक्ता केसी त्यागी ने सवाल किया कि भारद्वाज जस्टिस सभरवाल के पास गए ही क्यों?

सुशील मोदी ने कहा, लालू के दबाव में था केंद्र : भाजपा नेता व पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने कहा कि लालू प्रसाद के दबाव में यूपीए की सरकार ने राष्ट्रपति शासन लगाने का प्रयास किया था। यह तो केवल एक खुलासा है। तब की केंद्र सरकार ने एनडीए सरकार के खिलाफ कई अन्य कार्य किए थे।

लालू ने पूछा, पहले क्यों नहीं कहा? : उधर, राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद ने सवाल उठाते हुए कहा अगर कि ऐसी बात थी तो पहले बतानी चाहिए थी। प्रवक्ता मनोज झा ने कहा कि 10 साल बाद अचानक एकपक्षीय ढ़ंग से इस मुद्दे को उछालना गलत है।