13 साल का बच्चा अमेरिकी कंपनी में बना CEO, जानिए
बिहारी प्रतिभा ने एक बार फिर अपना लोहा मनवाया है। नवादा जिले के बरबीघा के रहने वाले 13 वर्षीय शशांक को अमेरिकन कंपनी ने सीईओ बनाया है। शशांक ने छोटी उम्र में ही मोबाइल एप बनाया।
नवादा [जेएनएन]। प्रतिभा की सीमा किसी राज्य अथवा देश की सीमाओं तक बंधी नही हो सकती। खेलने की उम्र में सॉफटवेयर का इतना ज्ञान विरले ही होता है। महज 13 वर्ष की उम्र में मोबाइल के 50,000 से अधिक यूजर वाले ऐप बनाकर मां बाप को गौरवांवित करनेवाले बच्चें विरले ही मिलते हैं।
बिहार के नवादा जिले के बरबीघा के जीआईपी पब्लिक स्कूल में पढऩे वाले नवम वर्ग के छात्र एवं तैलिक बालिका उच्च विद्यालय के प्राचार्य संजय कुमार के 13 वर्षीय पुत्र शशांक कुमार ने कुछ ऐसा ही कर दिखाया है।
शशांक कुमार ने न केवल बीओजीयूइ म्यूजिक प्लेयर ऐप बनाकर दुनिया भर के हजारों यूजर्स के बीच एक कीर्तिमान स्थापित किया है। साथ ही इतनी कम उम्र में अच्छी खासी रकम भी जुटा ली है। भारत के सबसे कम उम्र के एण्ड्राइड प्रोग्रामर का सम्मान रखने वाले शशांक कुमार ने वर्ल्ड लेवल पर ओरेकन के तत्वावधान में आयोजित होने वाले प्रतियोगिता परीक्षा में बीटेक एवं इंटर के छात्रों को पछाड़ते हुए 22 अक्टूबर को इसका सर्टिफिकेट प्राप्त किया है इस मेधावी छात्र को अमेरिकन स्टार्टअप कंपनी ने 51 प्रतिशत हिस्सेदारी देकर सीईओ बनाया है।
इतनी कम उम्र में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाने वाला शशांक कुमार को यह भी शायद पता नहीं था कि उसकी यह हुनर एक दिन ऐसा रंग दिखाएगा कि अमेरिका की अंतरराष्ट्रीय कंपनी उसे अपना चीफ एक्जीक्यूटिव ऑफिसर बनाते हुए 51 प्रतिशत की हिस्सेदारी दे देगी।
शशांक ने दैनिक जागरण को बताया कि बीटेक एवं एमटेक के छात्र-छात्राओं के लिए वह एक ट्यूटोरियल ऐप भी बना रहा हूं। साथ ही साथ वह एक ऐसा अलार्म भी बना रहा है जिसके द्वारा उपभोक्ता के क्षेत्र के वेदर रिपोर्ट के साथ मोबाइल पर गुजारे गए समय और किए गए काम की तुलना में सोने के उचित अवधि को भी संकेत दिया जाएगा।
शशांक कुमार ने बताया कि वह अपना यह सभी कार्य अपने वर्ग के पाठ्यक्रम को पूरा करने के बात किया करता है। जिससे पढ़ाई में भी कोई व्यावधान न हो। शशांक देश और दुनिया भर में अपना नाम कमाना चाहता है ।
कहीं भी नहीं ली है बेसिक ट्रेनिंग
शशांक कुमार ने बताया कि उसने कंप्यूटर की बेसिक शिक्षा अपने बड़े भाई के द्वारा पढ़ी जाने वाली पुस्तकों को अपने से पढ़ कर लिया है. तथा शेष कार्यों को ऑनलाइन उपलब्ध जानकारियों से सीखा है। मात्र 2 साल के भीतर यह उपलब्धि हासिल करने वाला भारत का यह दूसरा सबसे कम उम्र का छात्र शशांक है जबकि उसके पहले एक 11 वर्षीय सुरिल शाह के द्वारा यह उपलब्धि हासिल की जा चुकी है। बरबीघा के इस होनहार छात्र पर क्षेत्र के लोग भी गौरव महसूस कर रहे हैं । इसके लिए शशांक के साथ इनके माता-पिता को बधाई देने के लिए लोग उनके महावीर चौंक स्थित घर पर पहुंच रहे हैं।
कंप्यूटर के जरिए ब्रह्मांड के रहस्य को खोजना है उसका लक्ष्य
आदर्श टाउन उच्च विद्यालय में लिपिक के पद पर कार्यरत मां संयुक्ता कुमारी एवं तैलिक बालिका उच्?च विधालय के प्राचार्य पिता संजय कुमार की डांट सुनने वाला शशांक कुमार कंप्यूटर के एप्प बनाकर ब्रम्हांड के अनसुलझे रहस्यों का उछ्वेदन करने का लक्ष्य बनाए हुए हैं।
उसके पिता ने बताया की गुपचुप तरीके से कंप्यूटर पर अचंभित करने वाली इस खबर को जानकर उन्हें तब आश्चर्य हुआ जब विदेशी कंपनियों के ऑफर उनके फोन पर आने लगे। जीआईपी स्कूल के प्राचार्य संजय कुमार ने विद्यालय में अपने कंप्यूटर शिक्षक को शशांक कुमार की विशेष रुचि को देखते हुए स्पेशल क्लास आयोजित करने का ऐलान करने के साथ-साथ भव्य रूप से अपने छात्र को सम्मानीत करने का निर्णय लिया।