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अॉपरेशन से पहले बेहोश करने को डॉक्टर ने दी एेसी दवा कि अब कभी नहीं उठेगा मासूम

ग्यारह साल का मासूम युवराज हॉर्निया के ऑपरेशन के लिए शुक्रवार को भर्ती तो कराया गया पर किसी ने यह नहीं सोचा था कि वो यहां से जिंदा जा सकेगा। जानें क्या हुआ उसके साथ।

By Edited By: Published: Fri, 29 Mar 2019 10:07 PM (IST)Updated: Sat, 30 Mar 2019 09:34 AM (IST)
अॉपरेशन से पहले बेहोश करने को डॉक्टर ने दी एेसी दवा कि अब कभी नहीं उठेगा मासूम
अॉपरेशन से पहले बेहोश करने को डॉक्टर ने दी एेसी दवा कि अब कभी नहीं उठेगा मासूम
पटना, जेएनएन। चार दिन पहले ही तो स्कूल जाने के लिए नई ड्रेस खरीदी थी। वो नानी का दुलारा था। यह कहते-कहते युवराज के परिजन फफक पड़ते हैं। पटना में शुक्रवार को ग्यारह साल का मासूम युवराज हॉर्निया के ऑपरेशन के लिए बोरिंग रोड, एएन कॉलेज के सामने स्थित डॉ. केके कंठ के यहां भर्ती कराय गया था। परंतु ऑपरेशन से पहले बेहोश करने के लिए दी गई दवाइयों और एनस्थीसिया के ओवरडोज से उसकी मौत ऑपरेशन टेबल पर ही हो गई। युवराज के पिता ने यह आरोप लगाया है।

जानबूझकर बेटे की हत्या का आरोप
पिता संतोष सिंह ने एसकेपुरी थाने में डॉ. केके कंठ और उनके सहयोगी डॉक्टर, नर्सिग होम में काम करने वाली नर्स, कंपाउंडर पर इलाज में लापरवाही बरतने और जानबूझकर उनके बेटे की हत्या करने का मामला दर्ज कराया है। पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम कराकर परिजनों को सौंप दिया है।


संतोष सिंह राजीवनगर थाने के अंतर्गत रोड नंबर छह में अपने ससुर के मकान में रहते हैं। मूल रुप से वे फतुहा के बैकठपुर के रहने वाले हैं। पिछले दो सालों से उनके बेटे युवराज को हॉर्निया की शिकायत थी। शुक्रवार को दस बजे दिन में वे उसका ऑपरेशन कराने के लिए डॉ. केके कंठ के पास ले गए थे। बारह बजे डॉ. कंठ और उनके साथ काम करने वाले डॉक्टर और कंपाउंडर उसे ऑपरेशन थियेटर ले गए। एक घंटे बाद वहां काम करने वाली एक नर्स ने उनलोगों से कहा कि ऑपरेशन चल रहा है।

हाल चाल जानने गए तो निकल रहा था गले से खून
काफी समय बीत जाने के बाद जब वे अपने बेटे का हाल चाल जानने ओटी के पास पहुंचे तो डॉक्टर ने उनके बेटे को सीरियस बताया। जब उनलोगों ने अंदर जाकर देखा तो उनके बेटे की मौत हो चुकी थी। गले और नाक से खून निकल रहा था। गला भी कटा हुआ था। इसके बाद वहां मौजूद उसके परिजन हंगामा करने लगे। सूचना के बाद मौके पर एसकेपुरी थाने की पुलिस पहुंची और मामले को शांत करने में जुट गई।

चार दिन पहले ही नई ड्रेस, बैग और किताब खरीदकर लाया था
युवराज अल्पना मार्केट स्थित एक स्कूल में पढ़ता था। इस बार वह चौथी क्लास में 70 प्रतिशत नंबर के साथ पास हुआ था। पांचवीं क्लास में जाने वाला था। चार दिन पहले ही वह अपने पापा के साथ पांचवीं क्लास की किताबें और कॉपी खरीदकर लाया था। यही नहीं नई ड्रेस और बैग भी पापा से खरीदवाई थी। वह पढ़ने में तेज था। क्लास में भी सबका चहेता था। कभी भी दोस्तों से झगड़ा नहीं करता था। बहुत समझाने पर वह गया था ऑपरेशन कराने : युवराज काफी समझाने के बाद ऑपरेशन कराने के लिए राजी हुआ था। उसके पापा ने गुरुवार की रात और शुक्रवार को भी उसे इसके लिए काफी समझाया था कि कुछ नहीं होगा। परंतु उन्हें क्या पता था कि उनका बेटा सही था। वही गलत थे।

नाना-नानी का था आंख का तारा
युवराज अपने नाना और नानी की आंख का तारा था। उसका अधिक समय इन दोनों के साथ ही बीतता था। वह अपनी मां निशा सिंह और पिता संतोष सिंह के साथ अपने नाना मोती प्रसाद सिंह के राजीवनगर मकान में ही रहता था। नाना झारखंड विधानसभा से रिटायर्ड थे। वहीं नर्सिग होम के कंपाउंडर रमेश की मानें तो बच्चे को ऑपरेशन के पहले बेहोश करने के लिए जरुरी दवाइयां दी गई थीं। कुछ ही देर बाद उसके शरीर का ऑक्सीजन गिरने लगा। गले की नस काटकर वहां से भी ऑक्सीजन देने की कोशिश की गई परंतु वह नहीं बच पाया। पुलिस पूरे मामले की जांच में जुट गई है। वैसे पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आने के बाद ही स्थिति स्पष्ट होगी की मौत की वजह क्या थी।

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